वाराणसी (ब्यूरो)। रथयात्रा मेले के अंतिम दिन प्रभु जगन्नाथ का रथ खींचने के लिए होड़ मची रही। हजारों की जुटान से मेला क्षेत्र रात भर बम-बम रहा। धर्मरथ पर प्रभु जगन्नाथ भक्तों के भावों से विभोर, इसमें संस्कारों की अटूट जोड़ भी दिखी। बड़ों का अनुसरण करती नई पीढ़ी जो धार्मिक मान्यताओं को आत्मसात कर निखरी। कोई पहियों को छू पाया तो कोई रथ में बंधी श्रद्धा और आस्था की रस्सी को हाथ लगाकर रस्म निभाया.
भक्तों ने शीश नवाया
जगन्नाथ स्वामी नयन पथगामी भवतु में के भाव के साथ भक्तों ने नाथों के नाथ के सम्मुख शीश नवाया। तुलसी दल व सुगंधित बेला की माला चढ़ाया। डमरुओं की नाद के बीच जय जगन्नाथ का जयघोष कर अघाया। इन्द्र देव भी अवसर नहीं गंवाये और बारिश की बूंदों से अष्टकोणीय रथ को भींगोकर अपनी हाजिरी लगाई.
भगवान का श्रृंगार दिव्यतम, भोग भव्यतम
सुबह 5:11 बजे पुजारी पं। राधेश्याम पाण्डेय द्वारा मंगला आरती के पश्चात रथ रूपी मन्दिर के पट खुले। प्रभु जगन्नाथ, बहन सुभद्रा एवं भइया बलभद्र का श्वेत परिधान एवं बेला की कली से श्रृंगार किया गया। रथ के गर्भगृह में विग्रहों के पृष्ठ भाग एवं पाटन को गुलाब एवं बेला की कलियों से सुसज्जित तो रथ के शिखर एवं छतरी हरी पत्तियों एवं सफेद फूलों से आच्छादित मनभावन रहे.
भव्य श्रृंगार
अपराह्न 03्र:00 से 04:00 बजे के मध्य दिव्यतम श्रृंगार एवं आरती के पश्चात पुन: दर्शन प्रारम्भ हुआ। वहीं, रात्रि 08:00 बजे एवं मध्यरात्रि 12:00 बजे आरती हुई। दर्शनार्थियों का तांता शेष रात्रि तक लगा रहा। शयन आरती के बाद रथ पर प्रभु दर्शन थम गया। इसके पश्चात प्रभु को असि धाम प्रस्थान कराने की तैयारियां शापुरी परिवार ने शुरू कर दी थी.
इन्होंने खींचा रथ
अंतिम दिन कांग्रेस के प्रांतीय अध्यक्ष व पूर्व मंत्री अजय राय भी मेला क्षेत्र पहुंचे और उन्होंने प्रभु का रथ खींचकर पुरातन परम्परा निभाई। उनके अलावा प्रमुख ट्रस्टी उपाध्यक्ष शैलेश शापुरी, सचिव आलोक शापुरी, संजय शापुरी, अखिलेश खेमका, करूणेश खेमका, अरविन्द शर्मा, कृष्णा पाण्डेय, अभय सिंह, प्यारेलाल आदि भक्तजन भगवान के रथ को निराला निवेश से यूनियन बैंक के सामने खींचकर मुख्य द्वार के सामने खड़ा किया.
अंतिम दिन उमड़े हजारों लोग
तीसरे एवं अंतिम दिन मेला क्षेत्र में हजारों लोग उमड़े रहे। मेले में नानखटाई की खूब बिक्री हुई। चाट एवं अन्य व्यंजनों की दुकानों व ठेलों पर महिलाओं और बच्चों का रेला लगा रहा। लोग झूले एवं चर्खियों का आनन्द लेने के साथ ही मेला के रौनक में मगन रहे। हर तरफ भीड़ ही भीड़ दिखी। मेला के चलते रथयात्रा मार्ग पर वाहानों का यातायात पूरी तरह प्रतिबन्धित था.