-अलम, ताबूत, दुलदुल व अमारी के जुलूस में 'या हुसैन' की सदा हुई बुलंद -जुलूस से पहले मजलिस का हुआ आयोजन varanasi@inext.co.in VARANASI अय्यामे अजा का आखिरी जुलूस मंगलवार को पुरानी अदालत दालमंडी स्थित शब्बीर व सफदर के अजाखाने से अनवर काजिम मुन्ने व हैदर हुसैन के संयोजन में निकला। अलम, ताबूत, दुलदुल व अमारी के जुलूस में अजादार 'या हुसैन' की सदा बुलंद करते तिरंगा लिए चल रहे थे। कदीमी रास्तों से होता हुआ जुलूस आठ घंटे में तय करके शाम पांच बजे दरगाह फातमान पहुंचकर समाप्त हुआ। जुलूस से पूर्व आयोजित मजलिस को मौलाना अब्बास इरशाद नकवी लखनऊ ने खेताब किया। जुलूस में क्क्वें इमाम हुसैन असकरी का ताबूत, अलम, दुलदुल व अमारी शामिल थी। पेश किया लहू का नजराना अजादारों ने जंजीर व कमा (खंजर) का मातम कर लहू का नजराना पेश किया। जुलूस के काली महल पहुंचने पर हजारों अकीदतमंदों ने उसका स्वागत किया। यहां आयोजित मजलिस को मौलाना नदीम असगर ने खेताब किया। शायर हैदर किरतपुरी, शोएब नौगानवी देहली, गुलशन बिजनौरी ने कलाम पेश किया। संचालन सैयद फरमान हैदर ने किया। पितरकुंडा मस्जिद के पास मौलाना कैसर अब्बास आजमी ने मजलिस को खेताब किया। अतहर बनारसी ने कलाम पेश किए। नई पोखरी पितरकुंडा में अंजुमन जव्वादिया ने जुलूस का स्वागत किया। अकीदतमंदों ने की जियारत दरगाह फातमान में अमारी का परिचय मौलाना जहीन हैदर व दिलकश गाजीपुरी ने कराया। अय्यमे अजा की आखिरी मजलिस को मौलाना सैयद मोहम्मद अकील हुसैनी ने खेताब किया। दरगाह फातमान में हजारों अकीदतमंदों ने जुलूस की जियारत की। जुलूस में शामिल होने के लिए इंग्लैंड, अमेरिका, कुवैत, दुबई, सऊदी अरब आदि देशों के आशिके हुसैन पहुंचे थे।