मेन हेडिंग
कम सप्लाई का कोढ़, जमाखोरी का खाज, भाव खा रहा टमाटर-प्याज
- महाराष्ट्र के सब्जी-फल व्यवसायी शार्टेज दिखाकर कम ही दे रहे हैं सप्लाई
- मंडी में आने वाले माल में से काफी को स्थानीय व्यापारी कर ले रहे होल्ड
- इसी वजह से कम नहीं हो रहा है सब्जियों का भाव, पब्लिक है परेशान
VARANASI
मौसम का बदला रुख मगर सब्जियों के दाम में उछाल तनिक भी नीचे नहीं आ रहा है। चाहे प्याज, टमाटर हो या आलू को ही ले लिया जाए। पिछले तीन-चार माह से इनके दामों में कमी नहीं आई है। आसमान पर चढ़े सब्जियों के दाम जमीन पर क्यों नहीं आ रहे हैं? जब इसकी पड़ताल की गई तो चौंकाने वाले फैक्ट सामने आये। एक तो महाराष्ट्र, नासिक से आने वाली प्याज, टमाटर की आवक को वहां के बड़े कारोबारियों ने कम कर दिया है। इधर, जो दो-तीन गाड़ी माल आ रहा है तो उसमें से भी यहां के कुछ कारोबारी जमाखोरी कर रहे हैं। माल डंप की वजह से मार्केट में टमाटर, प्याज का रेट भागना तय है। यही कारण है कि सुबह चाहे शाम जब भी सब्जी मंडी जाइए मिजाज खट्टा हो जा रहा है। जिला प्रशासन भी टमाटर, प्याज के बढ़ते रेट पर मौन है।
जमाखोरों का चल रहा सिंडिकेट
टमाटर, प्याज का उत्पादन महाराष्ट्र के नासिक में अधिक होता है। जब बंगलुरु, कर्नाटक से आने वाले टमाटर, प्याज की आवक ठप हो जाती है तो फिर नासिक के माल की आवक शुरू होती है। इस साल भी यही हो रहा है मगर, महाराष्ट्र में बड़े कारोबारियों ने खेल करते हुए माल डंप कर दिया है। जितनी की आवक होनी चाहिए उतनी भेज नहीं रहे। मंडी समिति के पदाधिकारी भी मानते हैं कि जमाखोरी के मामले में महाराष्ट्र के कारोबारियों का पूरा सिंडिकेट काम करता है, जब उन्हें लगेगा कि माल अब भेजना चाहिए तभी भेजते हैं। टमाटर, प्याज के बढ़ते रेट के पीछे मूल कारण यही है।
एक यह भी फैक्टर
बनारस में टमाटर, प्याज की आवक प्रतिदिन आठ से दस ट्रक होने चाहिए। लेकिन सिर्फ दो ट्रकें ही आ पा रहे हैं। कारोबारियों का मानना है कि टमाटर के दाम बढ़ने के दो कारण हैं। एक तो पिछले साल टमाटर की फसल बहुत अच्छी हुई थी जिसके कारण बाजार में टमाटर की अधिकता हो गई। कई किसानों के माल खराब हो गए। इस कारण कई किसानों ने इस साल टमाटर की खेती ही नहीं की। दूसरा कारण मौसम के चलते टमाटर की कुछ फसल खराब भी हुई है। जिससे टमाटर के दाम में तेजी है।
नया आलू की बढ़ेगी आवक
सब्जियों में राजा कहे जाने वाले आलू का हाल यह है कि पुराना ही मार्केट में अधिक खप रहा है। अक्टूबर से ही मंडियों में नये आलू की खेप आनी शुरू हो जाती थी, मगर इस साल मंडियों में उतने पैमाने पर नया आलू नहीं पहुंच रहा। पुराना आलू ही फ्भ् से ब्0 रुपये पसेरी बिक रहा है। यह सिलसिला बारिश के बाद से ही बना हुआ है। छत्तीसगढ़ के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नये आलू की खोदाई शुरू हो गई है। फर्रूखाबाद, अमरोहा, मुजफ्फरनगर से नये आलू की खेप धीरे-धीरे आनी शुरू हो गई है। एक सप्ताह के अंदर ही मंडियों में नया आलू हेलाहेल दिखाई देगा।
एक नजर
मंडी में भाव
ख्000-फ्000
प्रति क्विंटल प्याज
फ्000-ब्000
प्रति क्विंटल टमाटर
क्क्00
रुपये प्रति क्विंटल आलू
बाजार भाव
-फ्0 से फ्भ्
रुपये प्रति किलो प्याज
-भ्0 से भ्भ्
रुपये प्रति किलो टमाटर
-क्0 से क्ख्
रुपये प्रति किलो आलू
8 से क्0
ट्रक है अभी प्याज की आवक
ब् से भ्
ट्रक है अभी टमाटर की आवक
क्8 से ख्0
ट्रक आवक है आलू की
प्रमुख मंडी
प्रधान मंडी पहडि़या, कछवां, राजातालाब, सुंदरपुर, चंदुआ सट्टी सिगरा
दो मंडियों में रेट जुदा-जुदा
एक ही शहर की दो अलग-अलग मंडियों में टमाटर के रेट में अंतर रहा। अंतर भी एक दो रुपये का नहीं बल्कि पूरे दस रुपये का। पहडि़या मंडी में टमाटर का थोक रेट भ्भ् रुपये प्रति किलोग्राम तो राजातालाब में इसके रेट ब्भ् रुपये प्रति किलोग्राम रहा। जबकि दोनों मंडियों में टमाटर एक ही जगह से आता है।
बंगलुरू, कर्नाटक से टमाटर की आवक ठप हो गई है। सिर्फ नासिक से टमाटर आ रहा है, वह भी आवक अब आधा से भी आधा हो गया है। जमाखोरी की गुंजाइश से इनकार नहीं किया जा सकता है। जिला प्रशासन को सख्त से सख्त कदम उठाना चाहिए।
कृष्ण कुमार सोनकर, अध्यक्ष
वाराणसी प्रगतिशील फूल-सब्जी व्यवसाई समिति
जिला प्रशासन को जमाखोरी के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। यह गौर करने वाली बात है कि बढ़ते रेट पर कैसे अंकुश लगाया जाए। एग्रीकल्चर को बढ़ाने वाली कुछ योजनाओं पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
पप्पू लाल सोनकर, आलू कारोबारी
बाहर से माल की आवक कम होने के चलते स्वभाविक है कि दाम बढ़ेंगे। पिछले साल की अपेक्षा टमाटर, प्याज की आवक आधा से भी आधा है। जिला प्रशासन को चाहिए कि कुछ उपाय करें।
बाबू सोनकर, प्याज कारोबारी