-कबाड़ मार्केट में बिकने के लिए आती हैं दूसरे प्रदेशों की चोरी की गाडि़यां

-बनारस से नेपाल तक तस्करी का जरिये पहुंचते हैं गाडि़यों के पा‌र्ट्स

VARANASI

कबाड़ मार्केट के काले धंधों की कारगुजारी को उजागर करती आई नेक्स्ट की रिपोर्ट की अगली कड़ी में हम बताने जा रहे हैं कि इसका कनेक्शन कहां-कहां तक है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इन बाजारों में न सिर्फ बनारस और आसपास के जिलों की चोरी हुई गाडि़यां कटने के लिए आती हैं बल्कि कई प्रदेश और नेपाल तक काले धंधे का कनेक्शन है। वहां से चोरी की गाडि़यों को यहां खपाया जाता है। गाडि़यों के पा‌र्ट्स भी तस्करी के जरिये वहां पहुंचते हैं।

झारखण्ड-बिहार से कनेक्शन

बनारस में लगभग हर रोज दो-तीन गाडि़यों की चोरी होती है। बरामदगी का हाल यह है कि दो-चार महीने में कोई वाहन चोर गिरोह पकड़ा जाता है और उनके पास से चार-छह गाडि़यां बरामद होती हैं। बनारस में सबसे अधिक दो पहिया वाहन की चोरी होती है। यह कबाड़ मार्केट में खप जाती हैं लेकिन मार्केट में बड़ी गाडि़यों के डिमांड को आसपास के प्रदेशों में सक्रिय वाहन चोर गिरोह पूरी करते हैं। खासतौर पर बिहार, झारखण्ड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ से चोरी की बड़ी गाडि़यां यहां के बाजार में खपायी जाती हैं। चार पहिया वाहन हो, ट्रक, टै्रक्टर ट्रेलर आदि सब कुछ यहां आते हैं।

नेपाल जाता है माल

बनारस के कबाड़ मार्केट से गाडि़यों के पा‌र्ट्स देश के कई शहरों में जाते हैं। यही नहीं गोरखपुर के रास्ते तस्करी करके गाडि़यों के पा‌र्ट्स नेपाल तक पहुंचते हैं। नेपाल में गाडि़यों की कीमत काफी ज्यादा और रजिस्ट्रेशन काफी महंगा है। कबाड़ के काले धंधे में लगे लोग बनारस से छोटी-बड़ी गाडि़यों के पा‌र्ट्स नेपाल लेकर जाते हैं उसे असेम्बल करके बेहद कम कीमत में बेच देते हैं। इसी तरह का काम देश के दूसरे हिस्सों में भी होता है। इसमें बनारस के कबाड़ मार्केट अहम भूमिका निभाते हैं।

बदल गयी जगह

बनारस में पिशाचमोचन, नदेसर, चौकाघाट में मौजूद कबाड़ मार्केट दशकों पुराने हैं। ये खाकी और खादी धारियों के संरक्षण में चल रहा है। संरक्षणकर्ताओं ने इन तीन जगहों के साथ ही शहर की सीमा के करीब के इलाकों में भी गाडि़यों के काटने का कारखाना बिठा रखा है। रात के अंधेरे में यहां छोटी-बड़ी गाडि़यों को काटा जाता है। पुलिस या किसी और तरह की कोई परेशानी भी यहां नहीं होती है।