वाराणसी (ब्यूरो)। बच्चे तो नादान हैं मगर आप नादानी न करें। बच्चे जिद करते हैं तो उन्हें समझाएं कि इस उम्र में बिना लाइसेंस बाइक या स्कूटी चलाना गलत है। दोस्तों में स्टेटस सिंबल दिखाने की चाहत और ड्राइविंग की जिद में पकड़े गए तो उनके पापा के खिलाफ एक्शन लिया जा सकता है। यह व्यवस्था अपने शहर में भी है, मगर ट्रैफिक पुलिस बच्चों को महज चेतावनी देकर छोड़ देती है। सभी जानते हैं कि 18 साल की उम्र से कम होने पर ड्राइविंग लाइसेंस नहीं बनता, फिर भी बिना लाइसेंस टीनएचर्स फर्राटा भर रहे हैं.
बिना हेलमेट के खतरनाक रफ्तार
शहर की रपटीली सड़कों पर सुबह-सुबह तेज रफ्तार बाइक, स्कूटी पर स्कूली ड्रेस में नाबालिग बच्चे फर्राटा भरते दिख जाते हैं। किसी को बर्थडे पर पापा ने तेज रफ्तार बाइक खरीदकर दे दी तो किसी ने जिद करके मंगवा ली। तेज गति से बाइक दौड़ाने के साथ उनके स्टंट करने से अगल-बगल से गुजरने वाले दहशत में रहते हैं लगभग 90 फीसद स्कूली बच्चे बिना हेलमेट के ही घर और स्कूल का सफर तय करते हैं। हर दिन बाइक फिसलने और टकराने की घटनाएं भी होती हैं। शुक्रवार को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने कई चौराहों पर पड़ताल की तो कई चौकाने वाले दृश्य सामने आए। ट्रैफिक पुलिस के सामने से बिना डर के बाइक सवार स्कूली बच्चे निकल रहे थे, लेकिन कहीं भी उन्हें रोका या टोका नहीं गया।
नाबालिग को वाहन देना कानूनन जुर्म
मोटरयान अधिनियम की धारा 180 के तहत नाबालिग बच्चों को वाहन चलाने देना जुर्म है.ऐसा करने वाले अभिभावकों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए तीन माह की सजा का प्रावधान भी किया गया है। बच्चे के वाहन चलाते पकड़े जाने पर उनके पिता का डीएल भी जब्त हो सकता है.आईपीसी में 88, 89, 109 सहित कई ऐसी धाराएं मौजूद हैं, जो अपराध के लिए प्रेरित करने वालों पर लागू होती हैं। नाबालिग बच्चे को वाहन चलाने देने की मंजूरी देना अपराध को प्रेरित करना है। इसलिए अभिभावकों पर भी इन धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की जा सकती है। ट्रैफिक पुलिस का कहना है कि हादसों में ज्यादातर टीनएजर्स शिकार बनते हैं.
गार्जियन हैं भी करते लापरवाही
स्कूल के प्रिंसिपल कहते हैं कि नाबालिग बच्चों को दोपहिया लाने से मना किया गया है, इसके बावजूद विद्यार्थी बाइक लेकर आ जाते हैं। बच्चे घर से बाइक लेकर निकलते हैं और इधर-उधर घूमते हैं। स्कूल एसोसिएशन के अनुसार बच्चों के पास बाइक या स्कूटी होना पैरेंट्स का पूरा दोष है, जो बच्चों के हाथ में वाहन देते हैं। यही कारण है कि बच्चों में पढ़ाई के प्रति लगाव कम हो रहा है। बच्चों में भटकाव देखने को मिल रहा है। नाबालिग बच्चों के वाहन चलाने के मामले में पुलिस कभी-कभार सख्ती करती है, लेकिन बाइक या कार चला रहे बच्चों के पकड़े जाने पर परिजन ही पैरवी करके छुड़ा ले जाते हैं।
सख्ती हो तो किया जा सकता है कंट्रोल
ट्रैफिक पुलिस स्कूल जाने वाले बच्चों को अवेयर करे। बाइक या स्कूटी वाले नाबालिगों के पकड़े जाने पर तत्काल उनके परिजनों को सूचना दी जाए। गार्जियन को बुलाकर ट्रैफिक पुलिस पहले नाबालिगों को गाड़ी न देने का अनुरोध करे। दोबारा पकड़े जाने पर आरोपी के पिता को थाना की हवालात में डाल दिया जाए। ड्राइविंग कर रहे लोगों के लाइसेंस, आधार कार्ड, पैन कार्ड और स्कूल के दस्तावेजों के आधार पर उम्र की जांच पड़ताल हो। वाहन को सीज करके पुलिस थाने में खड़ा कर कर दिया जाए। ऐसी सख्ती से ही कंट्रोल संभव है.
केस स्टडी-1 : 05 नवंबर 2023 को दर्दनाक हादसा हुआ। चोलापुर से एक युवक बाइक से निकला, सामने छात्र की बाइक से जोरदार टक्कर हो गयी। हेलमेट न लगाने वाले युवक की जान चली गई, जबकि छात्र का सिर फट गया। छात्र को स्वस्थ होने के लिए कई महीने इलाज कराना पड़ा.
केस स्टडी-2 : 25 दिसंबर 2022 को पांच बाइक पर सवार होकर कुछ छात्र रिंग रोड पर रेस लगा रहे थे। रेस करते समय एक छात्र की बाइक ट्रेलर की चपेट में आ गया और उसकी मौके पर ही कुचलकर जान चली गई। बाइक पर पीछे बैठा साथी घायल हो गया।
केस स्टडी-3 : 15 अगस्त 2022 को शिवपुर बाईपास पर अग्रसेन कालेज मोड़ के समीप पिकअप वाहन ने कक्षा 11 के 17 साल के छात्र को कुचल दिया। वह अपने दो दोस्तों के साथ बाइक से जा रहा था। नवलपुर की ओर से शिवपुर की ओर जाने के क्रम में यह हादसा हुआ।
केस स्टडी-4 : 12 अप्रैल 2022 को चौबेपुर में दसवीं के तीन नाबालिग छात्र एक ही बाइक से परीक्षा देने निकले। रास्ते में ट्रैक्टर की बाइक से टक्कर हो गई। हादसे में एक छात्र की मौके पर ही मौत हो गयी और दो गंभीर रूप से घायल हो गए। तीनों की उम्र 15-15 साल रही.ड्राइविग करने वाले ने हेलमेट तक नहीं लगाया था.
पहली जिम्मेदारी तो पैरेंट्स और स्कूल की है। उन्हें बच्चों को बाइक या स्कूटी नहीं देनी चाहिए और स्कूल प्रबंधक को एंट्री बंद कर देनी चाहिए। स्कूलों में समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया जाता है। ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने पर चालान भी किया जाता है। हालांकि पहली बार समझाकर और चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है.
-प्रबल प्रताप सिंह, डीसीपी ट्रैफिक