वाराणसी (ब्यूरो)शहर के लोगों को मुख्य धारा में लाने और बाल विवाह के मामलों में गिरावट के लिए पुलिस प्रशासन के साथ ही कई निजी संस्थाएं प्रयासरत हैंबनारस में यह प्रयास सार्थक दिशा में बढ़ रहा है, इसका खुलासा नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे रिपोर्ट और चाइल्ड लाइन की तरफ से जारी संयुक्त रिपोर्ट भी करती हैरिपोर्ट के अनुसार बनारस में पांच साल में बाल विïवाह के मामले में काफी गिरावट दर्ज की गई हैइस दौरान 18 वर्ष से कम उम्र की 46 किशोरियों को बालिका वधू बनने से रोका गया है.

दर्ज की गई गिरावट

एनएफएचएस की तरफ से जारी रिपोर्ट में वाराणसी शहर में 2015 के मुकाबले में 2022 में बाल विवाह न के बराबर है। 2015 में बाल विवाह का ग्राफ 20.09 प्रतिशत था जो 2022 में घटकर 10.4 प्रतिशत रह गया.

साक्षरता से मिलेगी मुक्ति

डीसीपी ममता रानी चौधरी कहती हैं कि बाल विवाह पर रोक के लिए समाज की महिलाओं का साक्षर होना जरूरी हैताकि उन्हे बेहतर भविष्य की जानकारी हो सकेयही नहीं बाल विवाह की रोकथाम के लिए शासन स्तर से भी नए प्रयास किए जा रहे हैंराज्य सरकार की कन्या सुमंगला योजना, मिशन शक्ति जैसी कई कल्याणकारी योजनाएं लाभदायक साबित हो रही हैं.

रोके 46 बाल विवाह

समाज के जागरूक नागरिकों की सूचना और एनजीओ की सहायता से बीते पांच साल में बाल विवाह के 46 मामलो को पुलिस प्रशासन की मदद से रोका गयाटीम के द्वारा लोकेशन को टै्रस करते हुए लोकेशन पर पहुंच कर एक्शन लिया गयाबाल विवाह रोकने और उससे जुड़े लोगों की धरपकड़ के लिए जिले में बाल संरक्षण ईकाई, बाल कल्याण समिति, विशेष पुलिस किशोर ईकाई, चाइल्ड लाइन, एंटी रोमियो स्कावायड, मिशन शक्ति जैसी टीमें कार्यरत हैं.

क्या होता है बाल विवाह

भारतीय संविधान के अनुसार शादी के लिए पुरुष की उम्र 21 वर्ष और महिला की उम्र 18 वर्ष होनी चाहिएशादी के समय दोनों में यदि किसी की भी उम्र कम है तो उसे बाल विवाह की श्रेणी में रखा जाता हैइसे कानूनी तौर पर अपराध माना जाता हैभले ही विवाह दोनों पक्षों की सहमति से ही क्यों ना किया जा रहा होइसकी रोकथाम के लिए बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के मुताबिक सजा का निर्धारण भी किया गया है.

बाल विवाह पर नियंत्रण लगाने के लिए एनजीओ और स्वंयसेवी संस्थाओ की तरफ से प्रयास किया जा रहा हैहमारी महिला आरक्षी टीम की तरफ से एंटी रोमियो और मिशन शक्ति के तहत विभिन्न इलाको में जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा हैस्कूलों में जाकर बच्चियों को जागरूक किया जा रहा है.

ममता रानी चौधरी, डीसीपी, महिला सेल

हम लोगों ने पिछले पांच सालों में जागरूकता अभियान संचालित करते हुए भारी मात्रा में सफलता हासिल की हैमामले में एनजीओ के द्वारा भी हमें मदद मिलती हैआने वाले समय में और अधिक मात्रा में विशेष तौर पर अभियान चलाया जाएगा.

सुधाकर शरण पांडेय, जिला प्रोबेशन अधिकारी