वाराणसी (ब्यूरो)। चंदौली पीडीडीयू रेलवे सुरक्षा बल व बचपन बचाओ आंदोलन की संयुक्त टीम ने शुक्रवार की सुबह सीमांचल एक्सप्रेस से बाल मजदूरी के लिए ले जाए जा रहे नौ नाबालिगों को मुक्त कराया। नाबालिगों को ले जा रहे ट्रैफिकर को भी गिरफ्तार किया। बिहार के अररिया से नाबालिगों को दिल्ली ले जाया जा रहा था। ट्रैफिकर के खिलाफ मुगलसराय कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया है। वहीं नाबालिगों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए चाइल्ड लाइन के सुपुर्द कर दिया गया।
रेलवे सुरक्षा बल पीडीडीयू के निरीक्षक प्रदीप कुमार रावत ने बताया कि बचपन बचाओ आंदोलन के साथ आरपीएफ की संयुक्त टीम शुक्रवार की सुबह रेलवे स्टेशन पर गश्त कर रही थी। इसी दौरान सुबह नौ बजे प्लेटफार्म संख्या छह पर सीमांचल एक्सप्रेस पहुंची। आरपीएफ की एसआइ अर्चना, कुमारी मीना, निशांत कुमार, बचपन बचाओ आंदोलन के चंदा गुप्त आदि की टीम वहां पहुंची तो जनरल कोच में नौ नाबालिग संदिग्ध हाल में दिखे। उनके साथ दो युवक थे। दोनों व्यक्तियों से पूछने पर इधर-उधर की बात करने लगे। संदेह होने पर नाबालिगों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हम लोग दिल्ली में लक्ष्मी टव्याज कंपनी में खिलौना बनाने का काम करने के लिए जा रहे है। इसके बाद नाबालिगों को और दोनों युवकों को नीचे उतार लिया गया। पोस्ट पर लाकर काउंसिङ्क्षलग की गई तो पता चला कि बच्चों को ट्रैफिङ्क्षकग कर ले जा रहे दोनों व्यक्तियों का नाम छेदी सदा निवासी हलधरा, थाना कुर्साकाटा, जिला अररिया व छोटू निवासी तारबारी, थाना महलगांव, जिला अररिया, बिहार है। दोनों सभी नाबालिगों को अपने खर्चे पर सीमांचल एक्सप्रेस से दिल्ली लेकर जा रहे थे। फिलहाल सभी नाबालिगों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए रेलवे चाइल्ड हेल्प लाइन के टीम मेंबर शंभू यादव को सुपुर्द कर दिया गया। वहीं दोनों ट्रैफिकर के खिलाफ मुगलसराय कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया और दोनों को उनके हवाले कर दिया गया।
खेलने की उम्र में बना रहे खिलौना
दिल्ली में लक्ष्मी टव्याज कंपनी में खिलौना बनाने के लिए ले जा रहे थे। खिलौना बनाने वाली कंपनी में नाबालिगों से सुबह आठ से रात आठ बजे तक काम कराया जाता। इसके बदले उन्हें प्रतिमाह छह हजार रुपये मजदूरी मिलेगी। ट्रैफिकर ने बताया कि इस कार्य से हम दोनों को कुछ मुनाफा हो जाता है। नाबालिगों के परिवार वालों को एक से डेढ़ हजार रुपये एडवांस दिया गया है। हैरानी की बात यह है कि खेलने की उम्र में बच्चों से खिलौना बनवाया जा रहा है।