वाराणसी (ब्यूरो)। काशी के शिल्पकार अब और हाईटेक होंगे। इनके उत्थान के लिए शहर में पांच जगह 16 करोड़ की लागत से कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) खोले जाएंगे। इन सेंटर में शिल्पियों के लिए डिजाइन, ब्रांडिंग से लेकर प्रशिक्षण की भी सुविधा दी जाएगी। खास बात यह है कि जहां का जो उत्पाद फेमस है वहां सीएफसी स्थापित किए जाएंगे। इन्हें बनवाने की जिम्मेदारी वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार को दी गई है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार जल्द ही इनके टेंडर आदि की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
ट्रेडिशनल को मिलेगी गति
लकड़ी का खिलौना, वुड कार्विंग समेत कई ऐसे उत्पाद हैं जिनको शिल्पकार तैयार करते हैं। खोजवां में लकड़ी के खिलौने की काफी इकाईयां हैं। यहां के शिल्पकार एक से एक डिजाइन के खिलौने तैयार करते हैं इनकी डिमांड देश से लेकर विदेशों तक है। इसे देखते हुए सीएफसी खोलने की योजना बनायी गयी है.
सरकार है गंभीर
सरकार शिल्पियों के उत्थान को लेकर काफी गंभीर है। शिल्पियों को एक ही स्थान पर सभी सुविधाएं मिलें इसके लिए शहर के पांच स्थानों पर सीएफसी खोलने की योजना बनायी गई है। सीएफसी में शिल्पियों के उत्पादों की ब्रांडिंग के साथ प्रशिक्षण भी दिया जाएगा.
16 करोड़ से होगी तैयार
स्कीम के तहत अधिकतम 16 करोड़ की लागत के सीएफसी सेंटर स्थापित किए जाएंगे। इसके लिए जगह की तलाश शुरू हो गई है। लैंड मिलते ही कॉमन फैसिलिटी सेंटर स्थापित किए जाएंगे। इस सेंटर को काफी मॉडर्न बनाया जाएगा। दूर से ही देखने में काफी भव्य लगेंगे।
क्या होगी फैसिलिटी
सीएफसी सेंटर में टेस्टिंग लैब, डिजायन डेवलपमेंट एंड ट्रेनिंग सेंटर, तकनीक अनुसंधान एवं विकास केंद्र, उत्पाद प्रदर्शन सह विक्रय केंद्र, रॉ मैटेरियल बैंक, कामन रिसोर्स सेंटर, कामन प्रोडक्शन, प्रोसेसिंग सेंटर, कामन लाजिस्टिक सेंटर, सूचना संग्रह- विश्लेषण एवं प्रसारण केन्द्र, पैकेजिंग-लेबलिंग एवं बार कोडिंग सुविधाएं आदि कार्य कराए जाएंगे.
इन उत्पादों को फायदा
सीएफसी खुलने से लकड़ी के खिलौना, स्टोन क्राफ्ट, वुड कार्विंग, साफ्ट स्टोन जाली वर्क, चुनार का बलुआ पत्थर को काफी लाभ मिलेगा। इन सभी उत्पादों का जीआई हो चुका हैं। सबसे खास बात यह है कि एक ही छत के नीचे सभी सुविधाएं मिलने से उत्पादन बढ़ेगा साथ ही देश-विदेश में और मांग बढ़ेगी।
शिल्पकारों के उत्थान को लेकर सरकार काफी कुछ कर रही हैं। ओडीओपी का लाभ शिल्पकारों को मिल ही रहा है। सीएफसी खुलने से भी शिल्पकारों को फायदा होगा।
अब्दुल्लाह, सहायक निदेशक, वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार