वाराणसी (ब्यूरो)। चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल व ट्रामा सेंटर में फर्जी इंटर्न बनकर चिकित्सा कार्य करने व कराने वाले सात लोगों के खिलाफ लंका थाने में केस दर्ज हो गया है। पुलिस जांच में जुटी है। संस्थान स्तर पर फर्जी ड्यूटी कराने वाले इंटर्न के खिलाफ जांच शुरू हो गई है। यदि ये जांच में दोषी पाए जाते हैं तो इनकी डिग्री रद हो सकती है। कारण कि संस्थान द्वारा जांच रिपोर्ट विवि प्रशासन के साथ ही नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) को भी भेजनी पड़ेगी। इसके बाद दोनों ही स्तर पर आरोपितों पर कार्रवाई होगी।
जान से खिलवाड़
अस्पताल में जब मरीज या परिजन आते हैं तो एप्रन पहनने वाले सभी को डाक्टर ही मानते हैं। ऐसे में एप्रन पहनकर कोई फर्जी डाक्टर या बिना डिग्री के अन्य कोई भी उपचार करता है तो यह मरीजों की जान से खिलवाड़ ही है। फर्जी ड्यूटी करने व कराने वाले दोनों कार्रवाई के दायरे में आ रहे हैं। जिम्मेदारों पर भी सवाल खड़ा हो गया है कि भला अधिकारियों ने ड्यूटी में लगे स्टाफ का आई कार्ड क्यों नहीं चेक किया और लंबे समय से अप्रशिक्षित लोग कैसे डाक्टर के रूप में इंटर्नशिप करते रहे।
इनके खिलाफ एफआईआर
लंका थाने में फर्जी डाक्टर बनकर इलाज करने वाले अदलहाट विटुडका मीरजापुर के मोहित ङ्क्षसह, डब्ल्यूआईई कालोनी गेट अनपरा सोनभद्र के अभिषेक ङ्क्षसह व अमरपुर मडिया, विश्वेश्वरगंज जैतपुरा की प्रीति चौहान के साथ ही बीएचयू के इंटर्न नितिन, शुभम, सौमिक डे, कृति अरोड़ा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.
गलत जांच लिखने पर शंका
18 जनवरी को एमसीएच ङ्क्षवग में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की ओपीडी चल रही थी। वहां सीनियर डॉक्टर ने जूनियर को जांच लिखने के लिए कहा तो उसने पर्ची पर गलत जांच लिख दी। इस पर उन्होंने नाराजगी जताई। कहा, बार-बार गलती कर रहे हो, तुम्हें अनुपस्थित करूंगी। उन्होंने फर्जी इंटर्न से अटेंडेंस रजिस्टर लाने को कहा तो वह कुछ देर के लिए गायब हो गया। इस पर शंका हुई। जब लौटा तो उसका आई कार्ड मांगा गया तो आनाकानी करने लगा।
ले गए एमएस कार्यालय
इससे फर्जी होने की आशंका पुष्ट हो गई। सुरक्षाकर्मी उसे पकड़ कर एमएस कार्यालय ले गए। यहां से प्राक्टोरियल बोर्ड ने उसे पुलिस को सौंप दिया। आरोपित मोहित ने बताया कि वह इंटर्न नितिन के कहने पर विभिन्न विभागों में ड्यूटी कर रहा था। इससे पहले इंटर्न शुभम ने भी ड्यूटी कराई थी। वहीं सौमिक डे के कहने पर इमरजेंसी वार्ड में सात से 15 जनवरी तक ड्यूटी की थी। फर्जी इंटर्न व डाक्टर बनकर घूमने वाली प्रीति ने बताया कि उसने इंटर्न कृति अरोड़ा के कहने पर ट्रामा सेंटर के कमरा नंबर 15 में 14 से 18 जनवरी तक ड्यूटी की थी। प्रीति ने महज जीएनएम का कोर्स किया है।
दलाली का खेल
अपने नाम पर फर्जी ड्यूटी कराने वाले इंटर्न आनलाइन पेमेंट करते थे। एक दिन की ड्यूटी पर पांच से 800 रुपये तक दिए जाते थे, लेकिन यह तो मात्र एक छोटी राशि ही है। बताया जा रहा है कि फंर्जी इंटर्न या डाक्टर बनकर ड्यूटी बजाने वाले बीएचयू से मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में भी भेजते थे, जिसके लिए उन्हें मोटी कमीशन मिलती थी। ये बाहर की जांच व दवा भी लिखते थे.
2015 से चल रहा खेल
बताया जा रहा है कि फर्जी इंटर्न या डॉक्टर बनकर अस्पताल में घुसने व उपचार करने का खेल 2015 से ही चल रहा है, हालांकि इसका रिकार्ड नहीं मिलने के कारण पहले के आरोपित पकड़ से दूर हैं। इमरजेंसी या किसी भी वार्ड में ड्यूटी चार्ट रहता है। इसमें डाक्टर के साथ ही जूनियर डाक्टर, नर्स व अन्य पैरामेडिकल स्टाफ का नाम रहता है, लेकिन एसएसबी में बने इमरजेंसी वार्ड में ड्यूटी बोर्ड नहीं है। हालांकि पुराने इमरजेंसी वार्ड में ड्यूटी बोर्ड लगा रहता था। यही नहीं बीएचयू सर सुंदरलाल अस्पताल में कई साल से स्थायी सीएमओ इंजार्च की नियुक्ति नहीं हो सकी है। सीएमओ इंचार्ज की नियुक्ति विश्वविद्यालय की काउंसिल करती है।
मामला गंभीर है। हमने कभी सोचा भी नहीं था कि ऐसा भी होता होगा। फर्जी इंटर्न की गहनता से जांच की जा रही है। इस लिए 48 घंटे में रिपोर्ट तैयार होना मुश्किल है। रिपोर्ट विवि प्रशासन व एनएमसी को भी भेजी जाएगी। जांच में दोषी पाए जाने पर बड़ी कार्रवाई की जाएगी।
प्रो। एसके ङ्क्षसह, डीन एंड डायरेक्टर
चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू