वाराणसी (ब्यूरो)। स्मार्ट सिटी वाराणसी में सीवर की सफाई भी अब स्मार्ट तरीके से होगी। नगर निगम आम पब्लिक की कम्प्लेन को ध्यान रखते हुए कैमरे से लैस नए टेक्नोलॉजी मशीन से सीवर की सफाई की जाएगी। इससे सफाईकर्मियों का दम भी नहीं घुटेगा और सीवर में उतरना भी नहीं पड़ेगा। मशीन में लगे कैमरे से ही देख लेंगे कि कितना नीचे सीवर चोक है। यही नहीं अगर सीवर जाम रहेगा तो कैमरे में फीड ड्रिल मशीन चलाकर चोक सीवर को आसानी से साफ किया जाएगा। यह टेक्नोलॉजी नगर निगम जल्द ही शहर में लाने जा रहा है। इस टेक्नोलॉजी के आ जाने से शहर में सीवर जाम की समस्या से जल्द ही काशी की जनता को निजात मिलेगी.
दर्जन भर क्षेत्रों में सीवर की समस्या
शहर के दर्जनभर ऐसे क्षेत्र हैं, जहां हमेशा सीवर चोक ही रहता है। बारिश होने पर पानी लग जाता है। इससे लोगों को भारी फजीहत उठानी पड़ती है। इनमें सरैया, कोनिया, विशेश्वरगंज, मच्छोदरी, कोयला बाजार, छित्तनपुरा, तुलसीपुर, महमूरगंज, अंधरापुल समेत कई ऐसे क्षेत्र है जहां सीवर हमेशा चोक ही रहता है.
सीवर में नहीं उतरना होगा
नगर आयुक्त शिपू गिरी का कहना है कि इंदौर में जिस तरह से सीवर की सफाई होती है, उसी तरह बनारस में भी इस सिस्टम को लागू किया जाएगा। इंदौर में कैमरे से लैस मशीन से सीवर की सफाई की जाती है। वहां की टेक्नोलॉजी को बनारस में जल्द लाया जाएगा। इंदौर में सीवर साफ करने के लिए ऐसी मशीन है कि सफाईकर्मियों को सीवर साफ करने के लिए नीचे नहीं उतरना पड़ता। लोगों को सीवरेज ब्लॉकेज व बरसात में पानी लगने की समस्या से निजात मिलेगी.
एडवांस टेक्नोलॉजी से लैस है कैमरा
सीवर साफ करने वाली मशीन में कैमरा, सेंसर सहित एडवांस टेक्नोलॉजी इस्तेमाल की गई है। दरअसल, अब से पहले ऐसी व्यवस्था नहीं होने के कारण प्राय: सीवरेज की सही सफाई नहीं हो पाती थी और उसका खमियाजा आम जन को भुगतना पड़ता था। सफाईकर्मियों को सीवरेज में घुसकर सफाई करने में जो दम घुटता था वह अलग। वैसे भी स्वच्छ सर्वेक्षण के तहत पूरे देश में सीवर की सफाई के लिए मशीन खरीदना अनिवार्य किया गया है, ताकि किसी सीवरमैन को सीवर के अंदर उतरकर जान न गंवानी पड़े.
दी जाएगी टे्रनिंग
सिटी क्लीन हो, इसके लिए सफाईकर्मियों को तैनात किया गया है। सीवर साफ करने के लिए नई टेक्नोलॉजी की जो मशीनें आएंगी, उसको चलाने के लिए सभी सफाईकर्मियों को ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि सीवर जाम की समस्या का निस्तारण किया जा सके। मशीन में लगे कैमरे से सीवर कितना नीचे से चोक है, यह देख सकेंगे। कैमरा रहने से यह फायदा रहेगा कि जहां जाम होगा, उस जगह को कैमरे के लेंस से आसानी से देख सकेंगे.
30 फीट अंदर तक निकाल सकेंगे गाद
नगर आयुक्त के अनुसार, कैमरे से लैस मशीन में से 30 फीट अंदर जाकर गाद, ईंट, पत्थर जाम है तो उसे निकाल सकेंगे। अगर नहीं निकलता है तो मशीन में फीड ड्रिल मशीन से चोक एरिया को खोल सकते हैं। इससे जाम की समस्या काफी हद तक समाप्त हो जाएगी। मशीन को ऑपरेट जनरेटर से किया जाएगा.
सीवर के गैस को भी डिटेक्ट करेगा
मशीन को एडवांस टेक्नोलॉजी से तैयार किया गया है। इसमें कैमरे के अलावा सेंसर भी लगाए हैं, जो सीवर में बनने वाली गैस को भी डिटेक्ट कर सकता है। सीवर के अंदर सील्ट निकालने के बाद मशीन सड़क पर सील्ट को नहीं छोड़ेगी, बल्कि सीधे वाहन में गिरा देगी। इसके आ जाने से कम समय में काफी सीवर की सफाई की जा सकेगी.
जीपीएस कैमरा से लैस
सीवर की सफाई करने वाली मशीन में खूबियों से भरा है। इसमें जीपीएस से लैस कैमरा भी लगा है जो रियल टाइम लोकेशन के साथ फोटो खींचकर दिखा सकता है कि जहां सीवर चोक है। यहीं नहीं वर्क प्लेस की जगह सफाईकर्मियों ने कितना कार्य किया, यह भी कैमरे से खींचकर भेज देगा। इससे पता चल सकेगा कि मौके पर कौन-कौन कर्मचारी मौजूद थे। इस मशीन से सीवर मैन को फायदा होगा। साथ ही सीवर ब्लॉकेज व बरसात के सीजन में पानी रुकने की समस्या से भी निजात मिलेगी.
कैमरा से लैस मशीन में काफी खूबी है। इंदौर में देखकर आया हूं। इसे जल्द ही वाराणसी में लागू किया जाएगा। इससे कम समय में सीवर की सफाई होगी। साथ ही आम जनता को समस्या से भी राहत मिलेगी.
शिपू गिरी, नगर आयुक्त