वाराणसी (ब्यूरो)। देश की सांस्कृतिक नगरी काशी के स्टॉपेज गायब हो चुके हंै। यकीन नहीं होता है तो आप भ्रमण कर देख सकते हंै। यही नहीं इसकी बानगी देखनी है तो कहीं भी खड़ा होकर देख सकते हैं आटो वाले, ई रिक्शा या फिर बस चालक कहीं भी बस खड़ाकर पैसेंजर्स को उतारते और चढ़ाते दिख जाएंगे। इनकी इस कारस्तानी से न सिर्फ शहर में ठसाठस जाम लगता है बल्कि लोगों को घंटों परेशान होना पड़ता है। चौंकाने वाली बात है कि स्मार्ट सिटी का दर्जा मिलने के बाद शहर में ढंग के स्टॉपेज ही नहीं बनाए गए। जो पहले के बनाए गए थे उनमें इन्क्रोचमेंट का बोलबाला है.
गुम हो गए 36 स्टॉपेज
शहर को स्मार्ट सिटी का तमका भले ही मिल गया हो लेकिन व्यवस्था अभी भी पुराने ढर्रे पर चल रहा है। कही भी वाहन खड़ा करिए, सवारी भरिए और चल दीजिए यही शहर की पहचान बन गयी है। सुनने में आता है कि नगर निगम ने शहर में 36 प्वाइंट को चिह्नित कर स्टॉपेज बनाए थे लेकिन स्मार्ट सिटी ने उसे भी नहीं संभाल पाया। कहीं ढंग का स्टॉपेज तक नहीं बना पाया। सच्चाई भी यही है कि जो स्टॉपेज बनाए गए थे उनमें कहीं दुकान चल रही है तो कही स्टॉपेज हटाकर वहां पर वेडिंग जोन बना दिया गया.
शहर में ट्रेवल करना चुनौतीभरा
शहर में ट्रेवेल करना आम लोगों के लिए चुनौतीभरा है। कब कहां से कोई वाहन आगे आकर खड़ा हो जाए, यह आप सोच भी नहीं सकते। सिटी बस, पेट्रोल-डीजल ऑटो, सीएनजी ऑटो और ई-रिक्शा चालकों ने आम लोगों को परेशान कर रखा है। नतीजतन बस चालक हो या ऑटो चालक सभी बीच सड़क पर ही पैसेंजर बैठाते और उतारते हैं। इससे सड़क पर जाम की स्थिति बन जाती है। मेन रोड कचहरी, मैदागिन, लहुराबीर, मलदहिया, रथयात्रा, नदेसर, बेनियाबाग, विशेश्वरगंज, नई सड़क, गोदौलिया, जंगमबाड़ी समेत दर्जनों एरिया जाम से भरा रहता है.
सवारी दिखी नहीं कि बीच सड़क पर ब्रेक
शहर में स्टॉपेज न होने की वजह से आटो चालक हो या फिर बस चालक सवारी देखते ही बीच सड़क पर ब्रेक मारकर वाहन को रोक देते हंै। यह नहीं सोचते हैं कि कोई पीछे आ रहा है। कई बार इसमें दुर्घटना तक हो जाती है। सभी वाहन चालक सड़क के बीच में ही गाड़ी रोक कर यात्रियों को बैठाने और उतारने का काम करते हैं। यहां तक कि ई-रिक्शा वाले भी नियमों को ताक पर रखकर वाहन चला रहे हैं। कहीं भी गाड़ी रोक कर सवारी बैठाना चालकों की आदत हो गई है। इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है.
स्टॉपेज पर इन्क्रोचमेंट
शहर में एक-दो स्थान पर स्टॉपेज बचे हैं वहां पर इन्क्रोचमेंट कर दुकानें लगने लगी हैं। कोई उसमें खस की दुकान चला रहा है तो कोई नारियल पानी बेच रहा है। स्टॉपेज के स्थान पर दुकानें लग जाने की वजह से कोई यह भी नहीं जान पाता है कि यहां पर स्टॉपेज बना है। बेनियाबाग को ही देख लीजिए यहां बहुत बड़ा स्टॉपेज था लेकिन अब वहां पर पार्किंग बना दी गयी। यही हाल लहुराबीर स्टॉपेज का है, जहां पर खस की दुकान चल रही है। बेनिया त्रिमुहानी से आटो चालकों की लंबी कतार जब लगती है तो पता ही नहीं चल पाता है कि कहां तक वहां पर स्टॉपेज बनाया गया है.
कचहरी स्टॉपेज पर लग गई दुकान
कचहरी चौराहे के पास भी स्टॉपेज बनाया गया था लेकिन वहां अब जूस की दुकानें चल रही हैं। कमोबेश शहर का यही हाल है। सिगरा, महमूरगंज, रथयात्रा, लंका, सुंदरपुर, नरिया, पाण्डेयपुर, अर्दलीबाजार, भदऊंचुगी, कैंट, लालपुर, पहडिय़ा, आशापुर समेत कई एरिया में स्टॉपेज गायब हो चुके हैं। स्मार्ट सिटी ने इन स्टॉपेज को न तो डेवलप करने के बारे में सोचा न ही नगर निगम ने यहां से इन्क्रोचमेंट हटाने के लिए पहल की.
नए रुट को भी चिह्नित किया जा रहा है। इसके बाद अपडेट कर स्टॉपेज बनाए जाएंगे। यहीं नहीं जहां इन्क्रोचमेंट है उसको भी अतिक्रमण फ्री किया जाएगा.
प्रबल प्रताप सिंह, डीसीपी ट्रैफिक
शहर में 36 प्वाइंट पर स्टॉपेज बनाए गए थे। उन्हेें फिर से चिह्नित कर सही किया जाएगा। इसके लिए जल्द ही कार्य शुरू किए जाएंगे.
शिपू गिरी, नगर आयुक्त