वाराणसी (ब्यूरो)। बच्चों में हर बार दौरे वंशानुगत नहीं होते, इसे लेकर पैरेंट्स कोई भी संशय न पालें। बच्चों को दौरे पडऩे पर सिर्फ न्यूरोलॉजिस्ट है। दौरे पडऩे पर बिल्कुल घबराएं नहीं बल्कि धैर्य से काम लें और संभव हो तो दौरे की एक वीडियो जरूर बना लें, जिससे चिकित्सक को समझने में आसानी हो सके। यह बातें बीएचयू के आईएमएस न्यूरोलॉजी और आईएएन चैप्टर वाराणसी के संयुक्त तत्वावधान में केएन उडप्पा सभागार में आयोजित चार दिवसीय आईईएस समर स्कूल के तीसरे दिन एम्स दिल्ली से आई न्यूरोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो। मंजरी त्रिपाठी ने कही। डॉ। बिंदू मेनन ने ऑटोइम्यून मिर्गी पर अपना वक्तव्य दिया। इस दौरान उन्होंने अपने शोध पर चर्चा की। डॉक्टर परमप्रीत सिंह, डॉक्टर आरुषि गहलोत सैनी, चेन्नई से आए डॉक्टर लक्ष्मीनारायण, डॉक्टर आरएन चौरसिया, डॉक्टर अभिषेक पाठक ने मिर्गी के प्रकारों पर चर्चा की।
आम न्यूरोलॉजिकल बीमारी है मिर्गी
विशेषज्ञों ने कहा कि फेब्राइल मिर्गी अभिभावकों के लिए थोड़ा कठिन होता है। यह दौरे 5 माह से 6 साल तक के बच्चों में आते हैं। अतिथियों का स्वागत बीएचयू न्यूरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विजयनाथ मिश्र और धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर अभिषेक पाठक ने किया। इस दौरान कार्यक्रम में डॉक्टर विनीता सिंह, डॉक्टर प्रिया देव, निधि चंद्रा, दामिनी शुक्ला, नेहा, स्वाति के अलावा सभी शोधार्थी मौजूद रहे.