वाराणसी (ब्यूरो)। वाणिज्यकर विभाग में कारोबार करने की नियत से कई कारोबारियों ने फर्मों का रजिस्ट्रेशन कराया। इसके बाद धड़ल्ले से करोड़ों रुपए का कारोबार किया। जब टैक्स की देनदारी आई तो फरार हो गए। ऐसे फर्मों की संख्या करीब 500 बताई जा रही हैं। टैक्स बकाया पर इन कारोबारियों के फर्मों का डिपार्टमेंट के अफसरों ने भौतिक सत्यापन किया तो मौके पर कुछ भी नहीं मिला। व्यापारिक स्थल पर बोर्ड तक नही पाया गया। जमीन खा गई या फिर आसमान निगल गया, विभाग के लिए आज भी पहेली बनी हुई है.
कोयला, बालू, लोहा का किया कारोबार
वाणिज्यकर विभाग में बोगस फर्मों की आड़ में कारोबार करने का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। फर्जी एड्रेस पर पंजीयन लेने के बाद कागजों पर कारोबार किया। इनमें लोहा, बालू, कोयला के अलावा इलेक्ट्रानिक उत्पाद, गारमेंट्स, ड्राई फ्रूट समेत कई फर्म बताए जा रहे हैं। इन फर्म संचालकों ने कारोबार करने के लिए फर्जी एडे्रस पर पंजीयन लिए थे.
कई राज्यों में किया कारोबार
बोगस फर्मों की आड़ में कारोबारियों ने कई राज्यों से कारोबार किया। बिहार, राजस्थान, नोएडा, मेरठ, मध्य प्रदेश समेत कई ऐसे राज्यों में धड़ल्ले से कारोबार किया। इनके रिटर्न पर जब विभाग में नहीं आए तो डिपार्टमेंट ने सूची बनाकर ऐसे फर्मों की जांच शुरू की। इसके लिए बोगस फर्म संचालकों को कई विभाग के अफसरों ने कई बार नोटिस जारी की, लेकिन नोटिस का जवाब नहीं आया। इस पर विभाग के अफसरों ने व्यापारिक स्थलों का भौतिक सत्यापन किया तो मौके पर कुछ भी नहीं पाया। स्थल तो दूर जिस नाम से पंजीयन लिया गया था उसका बोर्ड भी नहीं मिला.
कागजों पर किया कारोबार
सभी कारोबारियों ने कागजों पर कारोबार किया था। इनमें सबसे अधिक लोहा, बालू और कोयला की बोगस फर्म थी। बोगस फर्म पकड़े जाने के बाद वाणिज्य कर विभाग इन फर्मों से लेनदेन करने वाले कारोबारियों को चिन्हित करने की कोशिश की गयी तो उनका पता नहीं चला। जमीन खा गयी या फिर आसमान निगल गया आज विभाग के लिए सिरदर्द बना हुआ है। वाणिज्य कर विभाग की एसआईबी टीम ने सभी फर्मों से जब्त अभिलेखों की छानबीन की लेकिन कुछ भी पता नहीं चल पाया। विभागीय सूत्रों के मुताबिक टीमें इन अभिलेखों में कारोबारी लेनदेन की जांच में भी कुछ नहीं निकला।
कारोबारियों में बेचैनी
बताया जा रहा है कि बोगस फर्म काफी समय से कई व्यापारी और प्रतिष्ठानों के लिए बिल काटती रह। कागजों पर होने वाला यह लेनदेन करोड़ों में होता था जबकि असल में बिल तो काटे जाते थे लेकिन कोई भी फर्म न कोई माल लेती थी न सप्लाई करती थी। वाणिज्य कर विभाग की कार्रवाई के बाद कारोबारियों में बेचैनी का माहौल है.
बोगस फर्मों के खिलाफ हमेशा जांच की जाती है। पूरे प्रदेश में अभियान चलाकर ऐसे फर्मों के खिलाफ जांच की गई थी। जांच के दौरान कई बोगस फर्म मिले। ऐसे फर्मों को ब्लैकलिस्टेड कर दिया गया है। बिना पंजीयन के जो लोग फर्म चला रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है.
प्रिंस कुमार, एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-1, वाणिज्यकर विभाग