वाराणसी (ब्यूरो)। नकली दवाओं का हब बनता जा रहा है काशी। 7.5 करोड़ की नकली दवा के मिलने के बाद शहर में करीब 16 ऐसे और प्रतिष्ठान मिले हैं, जो नकली के साथ नारकोटिक्स की दवाओं की सप्लाई धड़ल्ले से करते रहे। इसकी भनक जब ड्रग डिपार्टमेंट को लगी तो इन दुकानों के खिलाफ जांच की कार्रवाई शुरू की तो सच उजागर हुआ। डिपार्टमेंट ने सभी का लाइसेंस कैंसिल कर ब्लैकलिस्ट में डाल दिया है.
बिक रहा असली संग नकली दवा
शहर में नकली दवाओं का कारोबार की जड़ काफी अंदर तक फैल चुका है। असली दवाओं के साथ नकली दवा की भी बिक्री धड़ल्ले से कर रहे हैं। असली दवा का कारोबार करने के नाम पर लाइसेंस लेकर उसी की आड़ में नकली दवाओं के साथ नारकोटिक्स दवाओं का भी कारोबार कर रहे हैं.
अलर्ट हुआ डिपार्टमेंट
शहर समेत आसपास के क्षेत्र की मेडिकल की दुकानों पर नकली दवाओं के साथ नारकोटिक्स की दवा के कारोबार की सूचना पर ड्रग डिपार्टमेंट ने अभियान चलाना शुरू किया। इसके तहत करीब 40 से अधिक मेडिकल की दुकानों पर जांच की कार्रवाई की गई। इनमें से अधिकतर दुकानों के पास लाइसेंस नहीं थे। कई ऐसे थे जो अनुभव के आधार पर दवा की दुकान चला रहे थे.
16 दुकानों पर एक्शन
ड्रग डिपार्टमेंट ने शहर के आसपास के क्षेत्र में करीब एक हफ्ते तक अभियान चलाया। इसके तहत करीब 16 दुकान ऐसे पाए गए जो नियम के विरुद्ध कारोबार कर रहे थे। इनमें दस ऐसे दुकान थे जो नारकोटिक्स की दवाओं की सप्लाई शहर में करते ही थे, साथ ही पूर्वांचल के जिलों में भी नशीली दवा भेजते थे। इसके अलावा कई मेडिकल स्टोर्स ऐसे थे जो मुनाफा कमाने के चक्कर में नकली दवाओं की सप्लाई करते थे.
उड़ीसा तक भेजते थे माल
जांच की कार्रवाई में पता चला कि आधा दर्जन से अधिक मेडिकल स्टोर उड़ीसा तक दवाओं की सप्लाई करते थे। उनके यहां का स्टाक चेक किया गया तो बहुत सारी दवाएं भी पायी गयी.
कई दुकानों पास रिकॉर्ड ही नहीं थे
जांच के दौरान कई दुकानदारों के दवा से खरीद-बिक्री समेत रिकॉर्ड नहीं पाए। नकली दवा उन्होंने कितना बेचा है और कितना नारकोटिक्स की दवाओं की सप्लाई की है। 16 में से करीब दस ऐसे मेडिकल स्टोर थे जिनका शहर से अधिक पूर्वांचल के जिलों में दवा की सप्लाई थी.
ऐसे लोगों के खिलाफ कोई हमदर्र्दी नहीं
नकली दवा का कारोबार करने वालों के खिलाफ दवा विक्रेता समिति के पदाधिकारियों ने भी मोर्चा खोल रखा है। डिपार्टमेंट तो एक्शन लेता ही है, साथ ही इनका कारोबार खत्म करने में संगठन भी पीछे नहीं रहता है। दवा के फील्ड से संगठन के पदाधिकारी बाहर कर देते हैं ताकि वह इस सेक्टर को बदनाम न कर सकें.
शहर में अभी भी मेडिकल स्टोर की जांच चल रही है। पिछले दिनों शहर के 16 मेडिकल स्टोर्स के लाइसेंस निरस्त किए गए। यही सभी नकली के साथ नारकोटिक्स की दवाओं का कारोबार करते थे.
एके बंसल, डीआई
नकली दवा शरीर के लिए काफी नुकसानदायक होता हैं। न सिर्फ शरीर की नसों को इफेक्ट करता है बल्कि आंख और मस्तिष्क पर भी असर करता है। डाक्टर से बिना पूछे कोई भी दवा नहीं खानी चाहिए.
डा। संदीप चौधरी, सीएमओ
नकली दवा के सौदागरों को समाज को विभाग कड़ी सजा दे। ऐसे लोगों के खिलाफ दवा संगठन भी चुप नहीं बैठेगा। इनको दवा के सेक्टर से बाहर किया जाएगा। साथ ही इनसे कोई कारोबार भी नहीं करेगा.
संजय सिंह, महामंत्री, दवा विक्रेता समिति
इस कार्रवाई का समर्थन करते हैं। इस तरह की कार्रवाई रेगुलर होनी चाहिए ताकि दवा सेक्टर बदनाम न हो। बहुत सारे दवा कारोबारी बदनाम होने से बच जाएंगे। ऐसे लोगों के चलते डाक्टर के साथ केमिस्ट भी बदनाम होते हैं.
दिनेश कुमार, अध्यक्ष, दवा विक्रेता समिति