वाराणसी (ब्यूरो)। रिटायर्ड शिक्षिका शम्पा रक्षित से 3.55 करोड़ की साइबर ठगी की रकम यूपी समेत कई प्रदेशों के 2000 लोगों के खातों में घूमी है। गिरफ्तार बैंककर्मी आलम बद्रर्स ने वाराणसी कमिश्नरेट की पूछताछ में कई राज उगले हैं। साइबर धोखाधड़ी की रकम क्रिप्टो करेंसी में खपाई गई। ये क्रिप्टो करेंसी के भी जानकार हैं.
केस-1: शिवदासपुर निवासी योगेश जायसवाल का एचडीएफसी बैंक में खाता खुलवाया गया। साइबर फ्रॉडर्स ने एटीएम, चेक व पासबुक अपने पास रख ली। खाते में लाखों रुपए जमा और निकाले गए, लेकिन इसकी भनक तक योगेश को नहीं लगी।
केस-2: कैंट निवासी शिल्पा भारती का केनरा बैंक में खाता खुलवाया। उसके खाते में आठ लाख रुपए आए और निकल भी गए। इसकी जानकारी शिल्पा को भी नहीं हुई।
ठगी की रकम क्रिप्टो करेंसी में खपाई
इस तरह के डमी अकाउंट सिर्फ दो नहीं, बल्कि बनारस से गुजरात वाया लखनऊ तक दो हजार से अधिक हंै, जिसमें साइबर ठगी के लाखों रुपए डिपॉजिट और बिड्रॉल होते रहे। पुलिस की पूछताछ में आलम बद्रर्स ने यह चौंकाने वाला खुलासा किया है। रिटायर्ड शिक्षिका शम्पा रक्षित से 3.55 करोड़ की साइबर ठगी की रकम यूपी समेत कई प्रदेशों के 2000 लोगों के खातों में घूमी है। गिरफ्तार बैंककर्मी आलम बद्रर्स ने वाराणसी कमिश्नरेट की पूछताछ में कई राज उगले हैं। साइबर धोखाधड़ी की रकम क्रिप्टो करेंसी में खपाई गई। ये क्रिप्टो करेंसी के भी जानकार हैं। सरफराज आलम ने एमबीए किया है। बैंक में छह वर्ष की नौकरी के बाद उसे एरिया मैनेजर बनाया गया, जबकि नुरूलहुदा ने बीबीए किया है। सरफराज ने ही नुरूलहुदा की नौकरी एचडीएफसी में लगवाई थी.
इंडिया के कई शहरों में नेटवर्क, दुबई से जुड़े तार
आलम बद्रर्स सरफराज आईसीआईसीआई बैंक में रीजनल हेड और नुरूलहुदा एचडीएफसी में कैशियर है। ये दोनों डमी अकाउंट की चेन में बहुत नीचे हैं। इनके ऊपर कई लेयर हैं, जो गुजरात के चांदखेड़ा, गुरुग्राम, अलवर, उदयपुर, जामताड़ा, लखनऊ से लेकर खाड़ी देशों में बैठे हैं, जो देशभर में अपना जाल फैला चुके हैं। मास्टरमाइंड दुबई में मुख्य ब्रांच खोलकर डमी अकाउंट का फंडा बताता है और ठगी को अंजाम दे रहा है। इनके लैपटॉप, मोबाइल और व्हाट्सएप से काफी जानकारी मिली है.
ऐसे खोलते डमी अकाउंट
नौकरी या सरकारी सुविधा दिलाने के नाम पर लोगों के नाम से बैंक खाता खुलवाकर व मोबाइल सिम हासिल करके उसका इस्तेमाल साइबर ठगी करने के मामले साइबर क्राइम थाना के पास लगातार आ रहे हैं। साइबर ठगों के झांसे में आने वाले को जानकारी भी नहीं हो पाती कि उनके नाम के खाते में लाखों रुपए आते हैं और निकल जाते हैं।
ऐसे जुटाते पर्सनल डिटेल
- सिटी और रूरल एरिया में सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए लगाते हैं कैम्प.
- कैम्प में आने वाले युवकों से आधार कार्ड की कॉपी, निवास प्रमाण-पत्र, फोटो, मोबाइल नंबर, बैंक डिटेल.
- इंटरनेट मीडिया साइट्स से.
- कंपनियों व बैंकों में किए गए आवेदन से.
- पेट्रोल पंप आदि जगहों पर इनाम के लालच में कूपन भरने वालों से.
- इनाम जीतने आदि का मैसेज भेजकर.
साइबर ठगी से ऐसे ऐसे बचें
- लुभावने और धन दोगुना करने वाले मैसेज के झांसे में न आएं.
- व्यक्तिगत और बैंक संबंधी जानकारी से किसी भी साझा न करें.
- व्हाट्सएप और संदेश में आने वाले लिंक न खोलें.
- एटीएम नंबर, सीवीवी, पिन व ओटीपी साझा न करें.
- अज्ञात आनलाइन क्यूआर कोड को स्कैन न करें.
- सरकारी योजनाओं के नाम पर सब्सिडी देने वाले विज्ञापन पर भरोसा न करें.
- केवाईसी अपडेट करने वाले मैसेज व लिंक को खोलने से बचें.
- फ्र इंटरनेट डाटा, रिचार्ज व अन्य लुभावने संदेश वाले लिंक खोलने से बचें.
यहां करें कंप्लेन
7839856954-हेल्पलाइन साइबर सेल (वाराणसी)
1930- साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर होम मिनिस्ट्री
एनसीसीपीआर-नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल
एक नजर में 2023 के साइबर क्राइम
2693 मामले आए साइबर ठगी के साइबर सेल में
35 मामले दर्ज हुए साइबर थाने में
386 मुकदमे दर्ज हुए थानों में साइबर ठगी के
20 मुकदमे दर्ज हुए इस वर्ष अब तक साइबर थाने में
33 मुकदमे दर्ज हुए पुलिस थानों में
साइबर लॉ एक्सपर्ट डॉ। भूपेश विश्वकर्मा बताते हैं कि कहीं आपके नाम पर फर्जी बैंक अकाउंट तो नहीं चल रहा है या खुला है? ऐसे करें पता
स्टेप-1 यहां पर आपको रू4 ्रड्डस्रद्धड्डड्डह्म् पर क्लिक करना होगा और ्रड्डस्रद्धड्डड्डह्म् स्द्गह्म्1द्बष्द्गह्य पर क्लिक करना होगा.
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स्टेप-3 इसके बाद नए पेज पर आपको 12 डिजिट के आधार नंबर या फिर वर्चुअल आईडी को भरना होगा। इसके साथ ही आपको कैप्चा कोड भी भरना होगा।
स्टेप-4 स्द्गठ्ठस्र ह्रञ्जक्क विकल्प पर क्लिक करना होगा। आपको ओटीपी तभी प्राप्त होगा अगर आपने अपना नंबर आधार पर रजिस्ट्रर करवाया हो।
स्टेप-5 ह्रञ्जक्क मिलने के बाद आपको इसे भरना होगा और आपके सामने आपके ्रड्डस्रद्धड्डड्डह्म् में कितने और कौन-कौन से बैंक के खाते लिंक हैं इसकी जानकारी दिखेगी.
आलम बद्रर्स से पूछताछ में कई अहम जानकारियां मिली हैं। इनका बहुत बड़ा नेटवर्क है। इन तक पहुंचने के लिए एक हजार से अधिक अकाउंट को खंगाला गया। इनसे मिले इनपुट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जा रही है।
चंद्रकांत मीणा, डीसीपी क्राइम
बैंक के पास ऐसा कोई सॉफ्टवेयर या टूल्स नहीं है, जिससे यह पता किया जा सके कि किसी एक व्यक्ति के नाम से कितने जगहों पर खाता खुला है। बैंक खातों में अगर बल्क में पैसा आता है तो उस पर नजर रखी जाती है। इस संबंध में आईटी यानी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को जानकारी दी जाती है.
प्रभात सिन्हा, एलडीएम