वाराणसी (ब्यूरो)। किताबों से बेहतर दोस्ती किसी से भी नहीं हो सकती। इनसे दोस्ती करने वाला कभी अकेला नहीं रहता। ये ज्ञान का अनमोल खजाना देती हैं और बदले में कुछ नहीं मांगती और न ही कोई शिकायत करती हैं। अक्षरों के इस संसार में जीना कितना सहज व सरल है, ये देखना है तो बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के सेंट्रल लाइब्रेरी में आ जाइए। यहां आने पर आपको पता लग जाएगा कि वर्चुअल प्लेटफार्म पर डिपेंड होती इस दुनिया में आज भी किताबें पढऩे का शौक रखने वालों की कमी नहीं है। खासकर यंगस्टर्स में। एशिया में अपनी पहचान बना चुके इस लाइब्रेरी में आने वाले स्टूडेंट्स को वो सभी किताबें आसानी से मिल जाती है, जिसकी उन्हें जरूरत होती है। नालंदा यूनिवर्सिटी के बाद यह एक ऐसा यूनिवर्सिटी माना जाता है, जहां की लाइब्रेरी में 16 लाख से ज्यादा किताबों का कलेक्शन उपलब्ध है.
माइक्रोडेटा का भी है बड़ा केंद्र
यहां के लाइब्रेरियन की मानें तो इस लाइब्रेरी मेंं आजादी से काफी पहले की किताबों का विशाल संग्रह है। इसमें 1864 से अब तक की सभी बुक्स हैं। खास बात ये है कि यहां एनी बेसेंट द्वारा सनातन धर्म पर लिखी गई किताब भी उपलब्ध है। इसके अलावा करीब 20 हजार से ज्यादा पांडुलिपि है। इसके साथ ही यहां एक माइक्रो डेटा का सेंटर भी है। इसे सेंसेस डेटा वर्क स्टेशन कहते हैं। इसे सेंट्रल गवर्नमेंट की ओर से अलॉट किया गया है। इसमें जितने भी रिर्सचर्स हैं, वे सेंसेस से रिलेटेड जितने भी माइक्रो डेटा है, उसे प्राप्त करते हैं। इसके अलावा यहां एक यूनाइटेड नेशन एंड गवर्नमेंट डॉक्यूमेंट्स सेक्शन है, जो इंडिया में कुछ ही लाइब्रेरी के पास है.
रिसर्चर करते हैं ई-बुक्स का इस्तेमाल
उनका कहना है कि यहां स्टूडेंट्स में बुक पढऩे की आदत सबसे ज्यादा है। ई-बुक्स का इस्तेमाल ज्यादा रिर्सचर ही कर रहे हैं, लेकिन यूजी और पीजी के स्टूडेंट्स में आज भी लाइब्रेरी के बुक्स का महत्व ज्यादा है। यहां एक लाख के करीब बाउंड जर्नल है। उनके मुताबकि नालंदा के बाद बीएचयू से बड़ी आज तक कोई लाइब्रेरी नहीं देखी गई है।
400 कंप्यूटर वाली साइबर लाइब्रेरी भी
सेंट्रल लाइब्रेरी के साथ बीएचयू का साइबर लाइब्रेरी भी काफी अहम है। 450 कम्प्यूटर्स वाली इस लाइब्रेरी को काफी हाईटेक और स्मार्ट बनाया गया है। यह इंडिया का पहला साइबर लाइब्रेरी है। 2011-12 में इसे स्टेबलिस किया गया था। पूरी तरह से डिजिटल सेक्शन है। यह स्टूडेंट्स के लिए यह 21 घंटे तक खुला रहता है। इसमें ज्यादातर रिसर्ज करने वाले स्टूडेंट्स की मौजूदगी रहती है।
एक और हाईटेक लाइब्रेरी हो रहा तैयार
सेंट्रल लाइब्रेरी में स्टूडेंट्स की बढ़ती भीड़ को देखते हुए यहां इससे भी बड़ी एक और लाइब्रेरी बनवाई जा रही है। करीब 5 हजार स्क्वायर मीटर एरिया में 6 फ्लोर का बन रहा है। यह लाइब्रेरी पूरी तरह से हाईटेक होगा। एयर कंडीशन होने के साथ इसमें बेहतरीन लाइटिंग व स्मार्ट चेयर और टेबल होंगे। इसमें करीब एक हजार स्टूडेंट्स के बैठने का अरेंजमेंट होगा। दरअसल यूजीसी के नॉम्र्स के अकॉडिंग स्टूडेंट्स के कुल स्ट्रेंथ का 20 परसेंट कैपिसिटी लाइब्रेरी में होनी चाहिए। जबकि वर्तमान में जो सीटे है वे 552 है। जिसमें एक हजार से 1200 बच्चे बैठते है। इसके बनने के बाद लाइब्रेरी में और ज्यादा स्टूडेंट्स की भीड़ बढ़ेगी।
लगाव इतना कि गार्डेन में पढ़ते हंै
आपको जानकर हैरानी होगी है यहां के स्टूडेंटस की किताबों से इतना ज्यादा लगाव है कि ये लोग लाइब्रेरी में जगह कम होने के कारण बाहर गार्डेन में और सीढिय़ों पर आकर किताबें पढ़ते हैं। यहां स्टूडेंट्स किताबें पाने के लिए इस तरह से लाइन लगाकर खड़े रहते हैं जैसे फ्री में कोई सामान मिल रहा हो.
देश में कहीं भी रहकर जुड़े रहिए
यहां के स्टूडेंट्स व फैकल्टी मेंबर्स को एन लिस्ट से भी जोड़ा गया है। इसके माध्यम से ये नेशनल-इंटरनेशनल लेवल के एजुकेशन मैटेरियल को कहीं भी रहकर आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। यह एक डिजिटल लाइब्रेरी है। इसमें प्रत्येक रजिस्टर्ड छात्र को आई-पासवर्ड दिया जाता है। इसे रिमोट एक्टिविटी कहते है.
सेंट्रल लाइब्रेरी देश के टॉप और सबसे बड़े लाइब्रेरी में आती है। डिजिटल युग में भी यहां के स्टूडेंट्स में किताबें पढऩे का क्रेज है। यहां इनकी इतनी ज्यादा भीड़ रहती है कि बैठने को जगह नहीं मिलती। इसलिए इससे भी बड़ी एक और लाइब्रेरी बनाई जा रही है.
डीके सिंह, लाइब्रेरियन-सेंट्रल लाइब्रेरी-बीएचयू
किसी भी चीज को अच्छा या बुरा उसके कलेक्शन, उसके यूजर के एकॉर्डिंग और उसके एरिया कि वह कितनी बड़ी है। हम 40 हजार यूजर्स को सर्विस देते हैं। इस तरह की फैसिलिटी देने वाली यह इंडिया की सबसे बड़ा लाइब्रेरी है।
राजेश सिंह, डिप्युटी लाइब्रेरियन-सेंट्रल लाइब्रेरी-बीएचयू