सर्वत्र हो भारत माता की जयकार : मोहन
-संस्कृत यूनिवर्सिटी में आयोजित हुआ आरएसएस का संघ समागम
-सरसंघचालक ने 25 हजार स्वयंसेवकों को दिया राष्ट्र निर्माण का मंत्र
VARANASI
हमारा मिशन भू-भाग नहीं बल्कि दिलों को जीतना है। हमारा लक्ष्य समाज को एकत्रित करना है। बेमतलब की भीड़ इकट्ठा करना नहीं है। संगठन में बगैर स्वार्थ और भय के लोगों को जोड़ना है, शक्ति प्रदर्शन के लिए नहीं। यह बातें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने रविवार को संस्कृत यूनिवर्सिटी के ग्राउंड पर आयोजित संघ समागम में कहीं। वहां मौजूद 25 हजार स्वयंसेवकों में ऊर्जा भरते हुए उन्होंने कहा कि शक्ति का प्रदर्शन होता है तो इसका आभास अपने आप हो जाता है। हमारा लक्ष्य एकमात्र है कि विश्व पटल पर सर्वत्र भारत माता की जय-जयकार हो।
आना होगा एक साथ
बनारस में चल रहे सात दिवसीय संघ समागम के चौथे दिन भागवत ने रविवार को सार्वजनिक आयोजन के तहत संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी ग्राउंड में 25 हजार स्वयंसेवकों को संबोधित किया। बोले, संपूर्ण समाज के एकजुट प्रयास से ही भारत की जयकार होगी। सारा समाज जब भेद व स्वार्थ भुलाकर एक साथ खड़ा होगा तो दुनिया की कोई शक्ति उसे रोक नहीं सकती है। भारत की समृद्धि और यहां के लोगों की सत्यता व स्वभाव का गुणगान समय-समय पर यहां बाहर से आने वाले लोगों ने किया है।
मूल्यों पर आधारित हो जीवन
संघ प्रमुख ने कहा कि नदी, गाय और धरा हमारी माता हैं। यह हमें कुछ न कुछ देती ही हैं इसलिए इनकी सेवा होनी चाहिए। इस सत्य को समझते हुए जिंदगी जियेंगे तो सारे कष्ट मिट जाएंगे। जीवन मूल्यों पर आधारित होना चाहिए। मोहन भागवत ने कहा कि राष्ट्र के विकास में उद्धारकर्ता की बार-बार आवश्यकता नहीं पड़ती। आज के दौर में हमें यह देखना होगा कि समाज का सामान्य व्यक्ति क्या देश की चिंता करता है। इस दिशा में लगातार विचार व चिंतन करते रहेंगे तो देश का विकास होगा। हमें यह भी देखना होगा कि भारत हमेशा भारत ही रहे। मोहन भागवत ने कहा, किसी देश को भूमि नहीं, लोग बनाते हैं। देश के साथ आत्मीय संबंध जरूरी है। मातृभूमि मानेंगे तभी राष्ट्र साकार होगा। हमारे पूर्वजों ने विविधताओं में एकता के संदेश को पहचान लिया था। विविधता की इस एकता को संजोया और देश को एकाकार बनाए रखा।