वाराणसी (ब्यूरो)ऑनलाइन कंपनियों के कारण बनारस में नारकोटिक्स दवाईयों के कारोबार में वृद्धि हो गई हैचौैंकिए नहीं, यह बिल्कुल सच हैपिछले तीन सालों में इन दवाईयों की खपत 20 से बढ़कर 35 से 40 परसेंट हो गयी हैइसकी लत में ज्यादातर यूथ फंसे हैंवजह डाक्टर्स के बिना प्रिसक्राइब के आसानी से मिल जाना बताया जा रहा हैइसलिए लोग आसानी से डिलीवरी ब्वाय से मंगाकर धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैंजबकि रिटेल दुकानदारों से नारकोटिक्स की दवाईयां लेने के लिए मानक तय हैं.

क्यों बढ़ी नारकोटिक्स दवाइयों की डिमांड

सिटी के रिटेल दुकानदारों के लिए नारकोटिक्स की दवाईयां बेचने के मानक तय हैंअगर कोई रिटेल दुकानदार के पास से दवा लेने जाता है तो दुकानदार बिना डाक्टर्स के प्रिसक्राइब के दवा नहीं देते हैंइनसे बचने के लिए लोग ऑनलाइन कंपनियों का सहारा लेने लगेऑनलाइन कंपनियां बिना डाक्टस के प्रिसक्राइब के बिना ही धड़ल्ले से दवा पहुंचा रही हैं.

सिर्फ दस गोली देने का ही नियम

रिटेल दुकानदार के पास डाक्टर द्वारा लिखी गयी नारकोटिक्स की दवा देने के लिए रिटेल दुकानदारों के पास सिर्फ दस गोली ही देने का नियम हैंइससे अधिक गोली वह नहीं दे सकतेजबकि ऑनलाइन कंपनियों से लोग बिना प्रिसक्राइब के ही 20 से 25 पत्ता मंगवाकर नशे के लिए इस्तेमाल करते हैं वह भी बिना डाक्टर्स के प्रिसक्राइब केऑनलाइन कंपनियां डिलीवरी ब्वाय के सहारे बिना रोक-टोक धड़ल्ले से दवा पहुंचा देती हैं.

तीन साल में कारोबार दोगुना

ऑनलाइन कंपनियों से आसानी से मिलने की वजह से इसके शिकार ज्यादातर युवा हो रहे हैंदवा मार्केट के विशेषज्ञों की मानें तो शहर के 60 परसेंट से अधिक युवा नारकोटिक्स दवाओं का सेवन कर रहे हैंइसकी देन ऑनलाइन कंपनियां हैंडिमांड के चलते पिछले तीन सालों में नारकोटिक्स दवाओं की खपत बढ़कर दोगुनी हो गई.

रिटेल दुकानदारों के लिए सीसीटीवी जरूरी

नारकोटिक्स की दवाएं कौन खरीद रहा हैं इसके लिए ड्रग डिपार्टमेंट ने रिटेल हो या फिर थोक दुकानदार सभी को अपने प्रतिष्ठानों पर सीसी टीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिया ताकि उन लोगों को चिह्नित किया जा सके जो नारकोटिक्स की अधिक से अधिक दवाएं खरीद रहे हैं.

ऑनलाइन कंपनियों के लिए नियम नहीं

ऑनलाइन कंपनियों के लिए कोई नियम हैवह कब, कहा, किसको दवा की सप्लाई कर रही हैं इसका कोई लेखा-जोखा नहीं हैंकहां कंपनियों ने डिपो बनाया हैं, कहां इनके डिस्ट्रीब्यूटर्स हैं आज तक लोगों को नहीं पताबस डिलीवरी ब्वाय के माध्यम से दवा भेजकर कारोबार कर रही हैं.

आसानी से मिल जाती हैं दवाएं

नाम न छापने की शर्त पर सोनिया के रहने वाले व्यक्ति के बताया कि ऑनलाइन कंपनियों से नारकोटिक्स की दवा या फिर सीरप आसानी से मिल जाते हैंदुकानों पर जाने से डाक्टर्स के पर्चा मांगते हैंपर्चा देखने के बाद ही दस से अधिक गोली नहीं देते हैंऑनलाइन कंपनी से चाहे जितनी भी दवा मंगवा लीजिएवहीं मच्छोदरी के निवासी अनिल का भी कहना है कि ऑनलाइन कंपनियों से दवा लेने पर भारी छूट भी मिलती हैं कोई इन्क्वायरी भी नहीं की जाती.

लागू हो ड्रग एक्ट रूल

दवा कारोबारियों का कहना है कि ऑनलाइन कंपनियों पर ड्रग एक्ट का नियम लागू होना चाहिए, जिससे पता चल सके कि इनकी एजेंसी कहां पर हैकितने लोगों को कौन-कौन सी दवा सप्लाई कर रही हैंबिना बी फार्मा की डिग्री के सिटी कहां-कहां दवा दे रही हैंइस पर डिपार्टमेंट को एक्शन लेना चाहिए क्योंकि ऑनलाइन कंपनियां ही ज्यादातर नकली दवाईयां भी सप्लाई कर रही हैंपिछले दिनों इसका खुलासा भी हुआ है.

इन दवाओं की खपत

-एल्प्राजोलम

-जोल्पीडम

-क्लोनाजिपम

-ट्रामाडोल

-क्लोडायजाइपाक्साइड

-लोराजीपम

क्या है नियम

-रिटेलर दुकानदारों को दस गोली से अधिक देने का नियम

-होलसेलर को एक डिब्बा से अधिक नहीं बेच सकते

-ऑनलाइन कंपनियों के लिए कोई नियम नहीं, खुलेआम ड्रग एक्ट रुल का उल्लंघन

ऑनलाइन कंपनियां ज्यादातर नकली दवाएं भी दे रही हैंपिछले दिनों कई लोगों ने इसकी शिकायत भी की हैइन कंपनियों की दवाएं लोगों को नहीं खरीदनी चाहिएइनका आफिस, डिस्ट्रीब्यूटर्स पता किया जा रहा हैसरकार ने इन कंपनियों को नोटिस जारी किया है.

अमित कुमार बंसल, डीआई

इन कंपनियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, जो लोगों की जान के साथ सीधे खिलवाड़ कर रहे हैंनोटिस से मार्केट पर काफी असर पड़ेगाऑनलाइन कंपनियों की दवाओं से लोगों का भरोसा उठेगा.

संजय कुमार सिंह, महामंत्री दवा विक्रेता समिति