वाराणसी (ब्यूरो)। विश्व पटल पर बनारसी साड़ी की खूबसूरती और निखरेगी। इसके लिए सिटी के करीब एक लाख से अधिक साड़ी कारीगरों को सोलर पावर से जोड़ा गया जाएगा। इनमें करीब 20 हजार से अधिक महिलाएं शामिल हैं। सौर ऊर्जा संयंत्र मिलने के बाद सभी कारीगर केला, कतान से लेकर टसर सिल्क की साड़ी की एक से एक डिजाइन तैयार कर सकेंगे। इससे इनकी मालीय हालत सुधरेगी और इनकम भी बढ़ेगा.
बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक साड़ी के दीवाने
बनारसी साड़ी की बुनकारी की पूरी दुनिया कायल है। बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक सभी बनारसी साड़ी के दीवाने हैं, लेकिन इनके कारीगरों को अक्सर इलेक्ट्रिकसिटी के लिए परेशान होना पड़ता है। बिजली के बढ़ते रेट से अफेक्टेड होते ही हैं, साथ ही उनकी बुनकारी पर भी असर पड़ता हैं। इसके चलते वह नए-नए डिजाइन नहीं तैयार कर पाते हैं और प्रतिस्पर्धा में नहीं टीक पाते.
एक लाख साड़ी कारीगर को सोलर पावर
साड़ी बिनकारी से लेकर डिजाइन में आ रही प्रॉब्लम को देखते और विश्व पटल पर प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए हैंडलूम एंड टैक्सटाइल्स डिपार्टमेंट ने सिटी के करीब एक लाख से अधिक साड़ी कारीगरों को सौर ऊर्जा सौर ऊर्जा संयंत्र से जोडऩे की तैयारी में जुट गया हैं। इन कारीगरों को यह सुविधा मिलने के बाद इनको घरेलू बिजली के बिल से मुक्ति मिल जाएगी और इनके प्रोडक्शन भी बढ़ जाएंगे। घरों में आराम से अपना कार्य कर सकेंगे.
सालों से थी डिमांड
डिपार्टमेंट के अफसरों का कहना था कि साड़ी कारीगर, बुनकर हो या फिर कारोबारी सभी पिछले कई सालों से डिमांड कर रहे थे कि साड़ी सेक्टर से जुड़े लोगों को सोलर ऊर्जा की सुविधा दी जाए। बिजली के न रहने से डिजाइन प्रभावित होता हैं, प्रोडक्शन के अलावा रंगाई के भी वर्क अफेक्टेड होते हैं। कई बुनकर तो बिजली के बिल से बचने के लिए काम ही छोड़ दिए थे। सौर ऊर्जा का साथ मिलने से अब जो बुनकर इस फिल्ड से दूरी बना लिए थे अब वह दोबारा आने चाहेंगे.
20 हजार महिलाओं को होगा फायदा
साड़ी सेक्टर में करीब 20 हजार से अधिक महिलाएं जुड़ी हैं जो नए डिजाइन के साथ ही कतरन, रंगाई और पॉलिस का वर्क करती हैं। सभी वर्क के लिए बिजली का होना बहुत ही जरूरी होता हैं। रात-दिन बिजली की रोशनी में काम करने पर महीने का बिल बढ़कर आमदनी से अधिक हो जाता हैं। बिल के भार से बचने के लिए कई महिलाएं फैक्ट्री में ही जाकर काम करने लगती थीं। सौर ऊर्जा संयत्र का पावर मिल जाने से उनकी बिजली की बचत के साथ ही उनका खर्च भी कम होगा और आय में भी इजाफा होगा। इससे उनकी मालीय हालत सुधरेगी।
नए डिजाइन की अभी भी डिमांड
टसर, सिल्क, केला, कतान बनारसी साड़ी की देश ही विदेशों में भी काफी डिमांड हैं। इन साडिय़ों में नए-नए डिजाइन बनाने के लिए कारीगरों को दिया जाता हैं। इन कारीगरों को अगर बिजली में राहत दिया जाए तो बनारसी साड़ी सेक्टर में काफी सुधार आएगा। नए-नए डिजाइन तो तैयार करेंगे ही पारंपरिक साडिय़ां की डिमांड बढ़ जाएगी। विश्व के मार्केट में बने रहने के लिए नए-नए डिजाइन तैयार करना जरूरी है.
बिल बढऩे पर आय पर नहीं असर
बिजली के रेट बढऩे पर बुनकरों की आमदनी पर नहीं फर्क पड़ेगा। स्कीम का लाभ कम से कम 10 प्रतिशत महिला बुनकरों को दिया जाएगा। पावरलूम कारीगरों के लिए सोलर प्लांट की लागत का 50 परसेंट सरकार देगी। बचे हुए 50 परसेंट कारीगरों को वहन करना होगा। अनुसूचित जाति व जनजाति के पावरलूम बुनकरों के लिए 75 परसेंट और 25 प्रतिशत उन्हें खुद देना होगा.
योगी सरकार पावर लूम बुनकरों को सौर ऊर्जा संयंत्र के लिए अनुदान प्रदान कर रही है। इस योजना में महिला बुनकरों को भी विशेष लाभ दिया जाएगा। साड़ी सेक्टर में विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा में टिके रहने के लिए काशी के साड़ी कारीगरों की लिस्ट तैयार की जा रही हैं। करीब एक लाख से अधिक सिटी में पावरलूम कारीगर हैं। सौर ऊर्जा का पावर मिलने घर की बिजली पर निर्भर नहीं रहना होगा.
अरुण कुमार कुरील, सहायक आयुक्त, हैंडलूम एंड टैक्सटाइल्स
साड़ी कारीगरों को बिजली का बिल सबसे भारी पड़ता हैं। बनारसी साड़ी के जितने भी कारीगर हैं उन्हें अगर डिजाइन से लेकर बुनाई, कताई में छूट दिया जाए तो माली हालात सुधरेगी साड़ी का कारोबार और बढ़ सकता है.
अमीन, साड़ी कारीगर
बड़े गद्दीदारों के पास समय नहीं रहता हैं। साड़ी की बुनकारी करने के साथ ही नए-नए डिजाइन तैयार करने को कहते हैं लेकिन बिजली का भार इतना अधिक पड़ता हैं कि खर्च निकालना बड़ा मुश्किल होता हैं.
इरशाद, साड़ी बुनकर
सरकार साड़ी बुनकरों के बारे में सोच रही हैं यह अच्छी बात हैं। बशर्ते योजनाओं का लाभ सही ढंग से मिल जाए। अक्सर योजनाओं का लाभ से कारीगर वंचित हो जाते हैं.
रामू, साड़ी कारीगर
बनारसी साड़ी की डिमांड बहुत हैं, अगर कारीगरों को सहूलियत मिले तो एक से एक डिजाइन तैयार कर सकते हैं। कारीगरों की देन है कि बनारसी साड़ी की पहचान पूरे विश्व में बनी हुई है.
छोटेलाल, कारीगर