वाराणसी (ब्यूरो)। अतिथि देवो भव:, यह वाक्य सदियों से हमारी संस्कृति और परम्परा में विराजमान है। आधुनिक युग में भी इस वाक्य का आदर और सम्मान वही है। अतिथियों के प्रति स्नेह और सम्मान में पूरी दुनिया में बनारस के लोगों का जवाब ही नहीं है। परिवार व व्यापार में आने वाले हर शख्स को अतिथि देवो भव: यानी भगवान कहा जाता है। राजनीति पृष्ठभूमि पर भी बनारसियों ने इसे खूब चरितार्थ किया है। वाराणसी संसदीय सीट पर अब तक 17 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं, जिसमें 12 व्यक्तियों को संसद में जाने का अवसर मिला, जिसमें सात शख्सियत राजाराम शास्त्री, चंद्र्रशेखर सिंह, श्यामलाल यादव, श्रीशचंद्र दीक्षित, राजेश मिश्रा, मुरली मनोहर जोशी और पीएम नरेंद्र मोदी हैं, जिनकी बनारस के लोगों ने दिल खोलकर मेहमाननवाजी की है।
प्रो। राजाराम शास्त्री
विख्यात शिक्षाविद् प्रो। राजाराम शास्त्री ने सन् 1971 से संसद में वाराणसी का प्रतिनिधित्व किया। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में कुलपति पद को सुशोभित करते हुए उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता, जबकि वह मूल रूप से मिर्जापुर के चुनार क्षेत्र के रहने वाले थे।
चंद्रशेखर सिंह
जनता पार्टी की लहर के दौरान समाजवादी नेता चंद्रशेखर सिंह ने 1977 में वाराणसी संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीता। उनकी छवि एक प्रखर समाजवादी नेता की रही। मूलत: चंदौली जनपद के सकलडीहा के रहने वाले चंद्रशेखर सिंह ने सांसद बनने से पूर्व पंडित कमलापति त्रिपाठी को विस चुनाव में हराया था। हालांकि, बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए.
श्यामलाल यादव
श्यामलाल यादव ने 1984 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर वाराणसी संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इस दौरान केंद्र सरकार में कृषि राज्यमंत्री रहे। मूलत: चंदौली जनपद के सकलडीहा के रहने वाले श्यामलाल पूर्व में चौधरी चरण सिंह के साथ राजनीति में सक्रिय रहे। इस दौरान सन् 1967 में प्रदेश के न्याय मंत्री बने। इससे पूर्व सन् 1970, सन् 76 व सन् 82 में राज्यसभा के लिए चुने गए। इस दौरान उन्होंने रास में उपसभापति पद को सुशोभित किया.
श्रीशचंद्र दीक्षित
यूपी के पूर्व पुलिस महानिदेशक श्रीशचंद्र दीक्षित ने सन् 1991 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीता था, जबकि वह मूल रूप से रायबरेली के रहने वाले थे और लखनऊ में शिक्षा-दीक्षा हुई थी। इस चुनाव में उन्हें राम मंदिर आंदोलन का भरपूर लाभ मिला। उनकी छवि बेदाग व अनुशासनप्रिय राजनीतिज्ञ की रही.
डॉ। राजेश मिश्र
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति से संसद तक का सफर तय करने वाले डॉ। राजेश मिश्र को सन 2004 के संसदीय चुनाव में विजयश्री मिली थी। इससे पूर्व वे स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीतकर एमएलसी बने थे, जबकि वह मूल रूप से देवरिया के रहने वाले हैं। बनारस में ही छात्रों के अधिकारों की रक्षा के लिए उन्होंने लंबी लड़ाई लड़ी।
डॉ। मुरली मनोहर जोशी
केंद्र सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। मूल रूप से इलाहाबाद के रहने वाले प्रोफेसर जोशी इलाहाबाद विवि में प्रोफेसर रहते हुए राजनीति में लंबे समय से सक्रिय हैं। 2009 में वाराणसी से चुनाव जीतकर संसद पहुंचते थे। संसद की लोक लेखा समिति के दूसरी बार अध्यक्ष चुने गए हैं। भारतीय संस्कृति में रचे-बसे डॉ.जोशी की राजनीति में बेदाग व साफ-सुथरी छवि है.
पीएम नरेंद्र मोदी
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार वाराणसी से चुनाव लड़ रहे हैं। गुजरात के सीएम रहते 2014 में पीएम कैंडिडेट घोषित होने के बाद मोदी ने काशी विश्वनाथ की नगरी वाराणसी को चुना। उन्होंने कहा था कि मैं आया नहीं हूं, मुझे तो मां गंगा ने बुलाया है। यह वाक्य आज भी चर्चा में है। बनारसियों ने पीएम मोदी को रिकॉर्ड वोटों से जिताया ही नहीं, बल्कि जमकर प्यार भी लुटाया। यही स्थिति 2019 में रही। एक बार फिर पीएम मोदी बनारस से चुनावी मैदान में हैं.
1952 रघुनाथ सिंह कांग्रेस
1957 रघुनाथ सिंह कांग्रेस
1962 रघुनाथ सिंह कांग्रेस
1967 एसएन सिंह सीपीएम
1971 राजाराम शास्त्री कांग्रेस
1977 चंद्रशेखर सिंह
1980 कमलापति त्रिपाठी कांग्रेस
1984 श्यामलाल यादव कांग्रेस
1989 अनिल शास्त्री जनता दल
1991 श्रीशचंद दीक्षित भाजपा
1996 शंकर प्रसाद जायसवाल भाजपा
1998 शंकर प्रसाद जायसवाल भाजपा
1999 शंकर प्रसाद जायसवाल भाजपा
2004 डॉ। राजेश मिश्र कांग्रेस
2009 डा। मुरलीमनोहर जोशी भाजपा
2014 नरेन्द्र मोदी भाजपा
2019 नरेन्द्र मोदी भाजपा