वाराणसी (ब्यूरो)साइंस आज अपनी नई-नई खोजों से लोगों के जीवन को आसान बना रहा हैहमारा अधिकतर जीवन सांइस पर ही निर्भर हैआए दिन साइंटिस्ट हमारी लाइफ को और आसान बनाने के लिए नए-नए इन्वेंशन करते रहते हैैंहर साल 28 फरवरी यानी आज के दिन नेशनल साइंस डे मनाया जाता हैइस मौके पर आपको काशी के ऐसे होनहारों के बारे में बताते हैैं, जिन्होंने डिवाइस और साइंस के मॉडल तैयार किए हैैंअपने मन में साइंटिस्ट बनने का सपना लिए नन्हे-मुन्ने बच्चे भी भले ही छोटे हों, पर इनका दिमाग कंप्यूटर जितना तेज काम करता हैआइये साइंस डे के मौके पर इन बच्चों के मॉडल से आपको रूबरू कराते हैं.

एग्जीबिशन में किया आकर्षित

हाल ही में सिल्वर ग्रोव स्कूल में सांइस मॉडल एग्जीबिशन लगाया गया थाबच्चों द्वारा तैयार किए सभी मॉडल खास थे पर कक्षा तीन के आकर्ष द्वारा तैयार किए गए वॉटर अलार्म ने सभी का ध्यान खींच लियायह वॉटर अलार्म पानी की उपस्थिति का पता चलने पर अलार्म बजा देता हैआकर्ष ने इसे बनाने के लिए पुराना मोबाइल चार्जर लिया और एक बाइक का इंडीकेटर, बजर, और वायर का यूज कियाग्लू की मदद से चार्जर के ऊपर इंडीकेटर बजर को चिपका दिया और चार्जर व बजर के रेड वायर्स को आपस में जोड़ दियासाथ ही काले वायर को खुला छोड़ दियाचार्जर को स्विच में लगा कर जैसे ही दूसरे वायर को पानी में डाला, वैसे ही आलर्म बजने लगाआकर्ष ने बताया कि इसका उपयोग हम पानी बचाने के लिए कर सकते हैं.

क्लीन काशी को दर्शाया

कक्षा तीन के सिद्धांत ने एग्जीबिशन में प्लास्टिक से कई घर बनाए, जिसके अंदर वायर जोड़कर लाइट लगाई गई थीइसमें गाड़ी, सड़क, पेड़-पौधे आदि को बड़ी खूबसूरती के साथ दर्शाया गया थासिद्धांत ने मात्र 6 साल की उम्र में इस मॉडल को दो दिन में तैयार कियाइस मॉडल में उसने क्लीन काशी को दर्शाया था और इस मॉडल का संदेश काशी को ऐसा ही साफ रखने का थासाथ ही एग्जीबिशन में बहुत से बच्चों ने अपने स्मार्ट माइंड से कई मॉडल तैयार किए थे.

सीवी रमन ने की थी खोज

वैज्ञानिक सीवी रमन ने 28 फरवरी 1928 को रमन इफेक्ट की खोज की थीसीवी रमन ने साबित किया था कि अगर कोई प्रकाश किसी पारदर्शी वस्तु के बीच से गुजरता है तो प्रकाश का कुछ हिस्सा विक्षेपित होता हैजिसकी वेब लेंथ में बदलाव आता हैइस खोज को रमन इफेक्ट के नाम से जाना जाता हैउनकी इस खोज के लिए साल 1930 में उन्हें नोबेल पुरस्कार से नवाजा गयासीवी रमन की इस खोज के लिए 1987 से 28 फरवरी को नेशनल साइंस डे मनाने का फैसला किया गया.

छोटी उम्र में ही बच्चों ने साइंटिस्ट बनने की ठान ली हैलगातार वह सांइस के मॉडल बनाते रहते हैं और प्रैक्टिस करते रहते हैं.

रचना श्रीवास्तव, डायरेक्टर, सिल्वर ग्रोव स्कूल