वाराणसी (ब्यूरो)पत्थरों को तराश कर एक आकृति के अंदर दूसरी आकृति फिर उस आकृति के अंदर हू--हू तीसरी आकृति, वह भी बिना किसी जोड़ के बनाना काशी के कलाकारों की नायाब कलाकारी हैवाराणसी सॉफ्ट स्टोन जाली वर्क के नाम से विश्व में मशहूर इस हुनर को प्रदेश सरकार की मदद से नई पहचान मिली हैजीआई उत्पाद में शामिल सदियों पुरानी इस कला से मुंह मोड़ चुके कारीगर एक बार फिर इससे जुडऩे लगे हैं.

12 करोड़ तक पहुंचा कारोबार

सरकार प्रदेश के शिल्पकलाओं को वैश्विक मंच देने में जुटी हुई हैइसके तहत जीआई उत्पादों की ब्रांडिंग शुरू की गई हैइससे इन उत्पादों को पंख लग गए हैंइसी में से एक है वाराणसी सॉफ्ट स्टोन अंडर कट जाली वर्कइसकी खासियत यह है कि एक ही पत्थर के टुकड़े में बिना किसी जोड़ के पाइप के सहारे अन्डर कटवर्क से नायाब कलाकृतियां बनाई जाती हैंजैसे एक ही पत्थर से बने हाथी के अंदर दूसरा हाथी, उसके भी अंदर एक और हाथी अथवा कोई अन्य पशु पक्षी या आकृति को उकेरा जाता हैजीआई एक्सपर्ट पद्मश्री रजनीकांत मिश्र ने बताया कि ये कला लुप्त प्राय हो चुकी थी, मगर सरकार की नीतियों से इस कला का कारोबार आज करीब 12 करोड़ हो गया है.

रामनगर में आसरा

शुरुआती समय में रामनगर के कारीगरों को काशी नरेश के पूर्वजों द्वारा राज आश्रय मिलाकालांतर में लुप्त प्राय होने की कगार पर पहुंच चुकी इस पारंपरिक कला को सरकार का आश्रय मिला तो यही कला अब विश्व बाजार में अपनी धाक जमा रही हैयूरोप, खाड़ी देश, बुद्धिस्ट देश और अमेरिका के बाजार तक इस कला की दीवानगी बढ़ गई हैलगभग 500 से 700 कारीगर अभी भी इस परम्परागत उद्योग में लगे हुए हैं

दुनिया को भा रही कला

स्टेट अवार्ड विजेता द्वारिका प्रसाद के अनुसार प्रदेश सरकार सैकड़ों साल पुरानी इस कला को जिंदा करके नई पहचान दे रही हैएक समय था जब कारीगर बिजली की समस्या, बाजार न होने और अन्य समस्याओं से इस काम छोड़ रहे थेयोगी सरकार की नि:शुल्क टूल किट वितरण, स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम ने इस हुनर को निखारा हैखासकर सरकार द्वारा ब्रांडिंग और विदेशी मेहमानों को उपहार स्वरूप इसे भेंट करने से इसकी ख्याति सात समुंदर पर तक पहुंच गई हैदेश के साथ ही विदेशों में भी इसकी मांग बढ़ रही है, जिससे अब कारीगरों को नये ऑर्डर मिल रहे हैं.