वाराणसी (ब्यूरो)। वाराणसी से करीब एक लाख फेक करेंसी के साथ पकड़े गए दीपक और चंदन ने पूछताछ में कई ऐसे खुलासे किए हैं, जिसे जानकर पुलिस के होश उड़ गए। बांग्लादेश से नकली इंडियन करेंसी को फरक्का, मालदा, बिहार, चंदौली के रास्ते बनारस में लाया जाता है। गाजीपुर और मऊ के रास्ते भी बनारस लाया जाता है। इसके बाद यहां से आजमगढ़, भदोही, मिर्जापुर, सोनभद्र और जौनपुर के छोटे-छोटे बाजारों में खपाया जाता है। अभी तक लगभग एक करोड़ रुपये तक खपाए गए हैं। इन करेंसी की तभी पहचान होगी, जब ये बैंक में जमा होने के लिए पहुंचेंगे। हालांकि एटीएस के साथ स्थानीय पुलिस भी इनपुट के आधार पर तस्करों के नेटवर्क ध्वस्त करने के प्रयास लगातार कर रही है.
ट्रेनों के जरिए हो रही तस्करी
वाराणसी समेत पूर्वांचल में नकली नोटों की तस्करी सबसे ज्यादा बिहार के रास्तों से होती है। यूपी के गाजीपुर, मऊ, बलिया, चंदौली जिलों की सीमा से जुड़े बिहार के जिलों से तस्कर वाराणसी तक पहुंच जाते हैं। सीवान समेत कई इलाके नकली नोटों की छपाई और तस्करी के लिए चर्चित हैं। वहीं बांग्लादेश से कोलकाता के रास्ते भी तस्कर ट्रेनों से बनारस आते हैं.
छोटे बाजारों में बड़ी खपत
नकली नोटों की खेप बिहार-झारखंड से भी आती है। एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड ने पहले भी नोटों की बड़ी-बड़ी खेप पकड़ी थी। लाखों रुपयों के साथ कई गिरफ्तारियां भी हुई। अधिकतर मामलों में तस्करी का केंद्र बिंदु पश्चिम बंगाल का मालदा रहा है। तस्करी में शामिल सबसे ज्यादा तस्कर बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के रहने वाले बताए गए हैं। पूर्वांचल के छोटे बाजारों में नकली नोटों को खपाना तस्करों से लिए सबसे आसान होता है.
सारनाथ में छपाई कारखाना
22 दिसम्बर 2022 को मथुरा जीआरपी ने नोटों की खेप पकड़ी थी। आरोपियों ने वाराणसी में नोटों के छपाई की जानकारी दी थी, जिसके बाद छपाई के कारखाने का पुलिस ने खुलासा किया था। सारनाथ थाने के श्रीनगर कॉलोनी से दो लोगों की गिरफ्तारी की गई थी। पकड़े गए रौनक और मुकेश उर्फ टीपू ने अहम सुराग दिए थे। मामले में पुलिस ने जानकारी दी थी कि प्रिटिंग मशीन तेलंगाना और पंजाब से मंगाई गई थी। नोटों के बीच लगने वाला सिक्योरिटी थ्रेड (सुरक्षा धागा) चीन से ऑनलाइन मंगाया जाता था। वहां के एक कंपनी इस धागे की आपूर्ति करती है.
पड़ोसी देश में छपती
पाकिस्तान के अलावा बंग्लादेश के भी कई इलाकों में भारतीय मुद्रा समेत कई देशों की करेंसी की छपाई होती है। इन जगहों पर भारतीय करेंसी देने पर तीन गुना ज्यादा नोट मिलते हैं, जिन्हें लाने वाले तस्कर पूर्वांचल के बाजार में आधी कीमत पर बेच देते हैं। फिर उनके एजेंट बाजार में नोट को चलन में लाकर पूरी कीमत वसूलते हैं। पुलिस इन नकली नोट तस्करों का नेटवर्क खंगालेगी और जिलों में मिली सूचनाओं के आधार पर छापेमारी करेगी.
चार गुना नकली नोट
तीन से चार गुना तक अधिक रुपये देने का लालच देकर नकली नोटों की खेप लोगों को दी जाती है। इन नोटों को छोटे बाजारों के एजेंट को आधी कीमत में देकर खपा दिया जाता है। वाराणसी के अलावा गाजीपुर, सोनभद्र, बलिया, मऊ, आजमगढ़ में सर्वाधिक नोट खपाने पर फोकस रहता है.
अब तक नकली करेंसी के खिलाफ कार्रवाई
20 जनवरी 2014 : रोडवेज बस स्टैंड के पास से दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था। उनके पास से एक लाख 95 हजार रुपये नकली नोटों की गड्डियां बरामद हुई थीं.
01 सितंबर 2018 : 86 हजार रुपये नकली नोटों की गड्डियां पकड़ी गई थीं। इस मामले में पुलिस ने तीन लोगों छित्तनपुरा के एकता नगर कॉलोनी अब्दुल कादिर, गोलघर कचहरी निवासी आकिब कुरैशी व गड़ही कोयला बाजार निवासी नियाज अहमद को गिरफ्तार किया था।
अक्टूबर 2018 : 12 लाख 90 हजार की खेप पकड़ी गई। तस्करों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने पूछताछ की तो पता चला कि नकली नोट आधी कीमत में बिहार से लेकर आए थे.
01 जनवरी 2019 : आठ लाख रुपये की नकली नोटों की गड्डियां पकड़ी गईं। बिहार के नवीन कुमार को गिरफ्तार किया गया।
01 नवबंर 2021 : मंडुवाडीह के लहरतारा बौलिया निवासी माइकल सिंह यादव उर्फ मोंटी को गिरफ्तार किया गया था। मोंटी नकली नोटों का व्यापार करने वाले गिरोह का सदस्य था.
25 जनवरी 2023 : नकली नोटों के तस्कर बबलू बिन्द उर्फ बाबिल को दबोचा, उस पर 50 हजार रुपये का ईनाम था।
09 सितंबर 2023 : चांदमारी क्षेत्र में रिंगरोड किनारे एक रेस्टोरेंट के पास से 5400 रुपये फेक करेंसी के साथ आदर्श उर्फ आशु को गिरफ्तार किया गया था.
फेक करेंसी के सौदागरों पर नजर रखे हुए हैं। ये कैरियर होते हैं, इन्हें भी पूरी जानकारी नहीं होती, मामले को लगातार मॉनिटर किया जा रहा है.
मुथा अशोक जैन, सीपी