वाराणसी (ब्यूरो)। कैंट स्टेशन पर यार्ड री-मॉडलिंग कार्य और नॉन इंटरलॉकिंग (एनआई) ब्लाक के कारण वाराणसी मंडल में ट्रेनों की चाल काफी बिगड़ गई है। यानी ट्रेनों की पंक्चुअलिटी के मामले में एनईआर में वाराणसी मंडल 65 फीसदी के साथ तीसरे स्थान पर है। वहीं इज्जतनगर मंडल सर्वाधिक 92 फीसदी के साथ इस मामले में पहले स्थान पर है। वहीं लखनऊ मंडल 80 से 82 फीसदी पंक्चुअलिटी बरकरार रखने में सफल रहा है। चार दिन पहले रेल मंत्रालय की ओर हुई पंक्चुअलिटी मीटिंग के दौरान यह जानकारी सामने आई.
दी गई हिदायत
बेहतर मंडल और मुख्यालय वाले रेलवे को जहां शाबाशी मिली, वहीं खराब प्रदर्शन करने वाले मंडलों को हिदायत दी गई कि वे जल्द से जल्द अपनी स्थिति बेहतर करें। वाराणसी में ट्रेनों के लेट होने कारण सिर्फ मॉनीटरिंग में कमी नही है। दरअसल कैंट में नान-इंटरलॉकिंग का काम चलने से यहां से वाराणसी जाने वाली और वाराणसी से आने वाली एक दर्जन से अधिक ट्रेनें या री-शेड्यूल हैं या फिर डायवर्ट हैं.
महज 65 फीसदी है पंक्चुअलिटी
वाराणसी मंडल जहां पंक्चुअलिटी महज 65 फीसदी है, वहीं ट्रेनों की औसत संख्या रोजाना 151 है। मंडल की इतनी ट्रेनों में रोजाना 55 से 60 ट्रेनें लेट हो जा रही हैं। वहीं बात करें इज्जतनगर मंडल की तो यहां रोजाना ट्रेनों की संख्या 35 से 37 है। मंडल की इतनी ट्रेनों में 28 ट्रेनें राइट टाइम चल रही हैं, जबकि महज 7 से 9 ट्रेनें ही लेट चल रही हैं। बात करें लखनऊ मंडल की, जिसमें गोरखपुर से गुजरने और बनकर प्रस्थान करने वाली ट्रेने भी शामिल हैं, वहां से रोजाना 164 ट्रेनें चलती हैं। यहां औसतन 128 ट्रेनें राइट टाइम चल रही है और 36 ट्रेनें औसतन लेट हो रही हैं.
रीमॉडलिंग कार्य से लेट हो रही टे्रनें
वाराणसी में ट्रेनों के लेट होने कारण सिर्फ मॉनीटरिंग में कमी नही है। दरअसल कैंट में नान-इंटरलॉकिंग का काम चलने से यहां से वाराणसी जाने वाली और वाराणसी से आने वाली एक दर्जन से अधिक ट्रेनें या री-शेड्यूल हैं या फिर डायवर्ट है। इन वजहों से ट्रेनें लेट हो रही हैं। कैंट के बाद से ही वाराणसी मंडल का कार्यक्षेत्र शुरू हो जाता है.
क्या होती है पंक्चुअल्टी
अगर एक दिन में 100 ट्रेनें चलीं और 80 ट्रेनें राइट टाइम गन्तव्य तक पहुंच गईं तो उस दिन की पंक्चुअल्टी 80 है। ट्रेनों के राइट टाइम पहुंचने के आधार पर इसकी गणना होती है.
रेलवे बोर्ड करता है मॉनीटरिंग
रेल बोर्ड देशभर में ट्रेनों के परिचालन की मॉनिटरिंग करता है। जिस जोन में ट्रेनों की पंक्चुअल्टी 80 से कम होती है, उन्हें सुधारने की हिदायत दी जाती है.
कैंट स्टेशन पर ये होंगे कार्य
यार्ड रीमॉडलिंग के तहत वाराणसी यार्ड में लप की लंबाई और प्लेटफार्म की लंबाई में की जा रही है। प्लेटफार्म संख्या एक से चार तक की इनका पूर्वोत्तर रेलवे के स्टेशन प्लेटफार्म संख्या सेकी लाइनों का लोहता स्टेशन एवं प्लेटफार्म संख्या छह से नौ तक की लाइनों का शिवपुर स्टेशन से सीधे जोड़ा जा रहा है। इससे आवागमन सुगम होगा। ट्रेनें तेज गति से जाएंगी-आएंगी। वाराणसी सिटी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन की ओर से सभी प्लेटफार्मों (1 से 9) की कनेक्टिविटी, कैंट पर दो अतिरिक्त पूर्ण लंबाई वाले यात्री प्लेटफार्म (10 और 11) और तीसरे प्रवेश द्वार का प्रावधान भी है। शिवपुर की ओर से गुड्स बाईपास लाइन का निर्माण, जिससे यार्ड के माध्यम से क्रॉस-मूवमेंट कम होगा.
एक सितंबर से 15 अक्टूबर तक एनआई ब्लॉक
कैंट स्टेशन पर यार्ड री-मॉडलिंग कार्य और नॉन इंटरलॉकिंग ब्लाक एनआई के कारण एक सितंबर से 15 अक्टूबर तक मेगा ब्लॉक लिया जाएगा। बेगमपुरा, महाकाल समेत कई टे्रेनें अब लोहता व सुल्तानपुर रेलवे स्टेशन से चलाई जाएंगी। कई ट्रेनें निरस्त कर दी गई हैं। कुछ बदले मार्ग से चलेंगी। सिग्नल बंद रहेगा, इसलिए टे्रनें कॉशन पर चलाई जाएंगी। इसके लिए 25 हट बनाए जा रहे हैं। एक हजार अतिरिक्त कर्मचारी लगाए गए हैं। हर हट में 24 घंटे कर्मचारियों की तैनाती रहेगी.