वाराणसी (ब्यूरो)। ये चप्पल पूरी तरह से इको फ्रेंडली है। फिलहाल ये चप्पलें बाहर के राज्यों से मंगवाई गई हैं। लेकिन इसका निर्माण जल्द ही जिले के सेवापुरी गांधी आश्रम में करने की योजना है। इससे यहां के लोगों को रोजगार भी उपलब्ध होगा। विभाग की ओर से चप्पलों के निर्माण के लिए जल्द ही कई लोगों को प्रशिक्षित करने की योजना है।
मंदिरों के पास होगी बिक्री
दिल्ली व अहमदाबाद के मंदिरों में पहले से ही कागज के चप्पल प्रचलन में हैं। अब वाराणसी के मंदिरों में जाने के लिए भी कागज के चप्पलों का निर्माण कराने की योजना बनाई गई है। सेवापुरी में चप्पल बनाए जाने का विचार आयोग की ओर से चल रहा है। इस काम के लिए कम से कम 40 से 45 लोगों की आवश्यकता होगी। वाराणसी में चप्पल का निर्माण होने के बाद मंदिरों के पास इनकी बिक्री शुरू की जाएगी। यही नहीं यहां से चप्पल बनाकर देश के दूसरे हिस्सों में भी भेजने की योजना है।
सर्दी-गर्मी से बचाएगी चप्पल
काशी विश्वनाथ धाम का परिसर काफी लंबा और चौड़ा है। यहां सैकड़ों की संख्या में कर्मचारी और सेवादार तैनात हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की तादात भी काफी है। खास बात ये कि ये चप्पलें इको फ्रेंडली हैं और इनकी भी काफी कम है। खादी ग्रामोद्योग इसे देश के अन्य मंदिरों में भेजने की योजना भी बना रहा है। इन चप्पलों से सर्दी और गर्मी में मंदिर परिसर में दर्शन के दौरान पांव को बचाया जा सकेगा। श्रद्धालुओं का मानना है कि मंदिर में दर्शन के बाद इस चप्पल का इस्तेमाल घर के पूजा घर और रसोई में भी किया जा सकता है।
सैंपल के तौर पर मंगवाया
बीते शुक्रवार को गोदौलिया स्थित एक खादी भंडार केंद्र में कागज के चप्पलों की प्रदर्शनी लगाई गई। इसमें ट्रायल के तौर पर 500 चप्पलें जयपुर से मंगवाई गई थीं। खादी केंद्र के मुताबिक शुक्रवार को ही 100 जोड़ी से अधिक चप्पलें बिक गईं। कागज के इन चप्पलों को खरीदने के लिए लोग पहले दिन से ही उत्साहित दिखे।
ऐसे बनेगी चप्पल
खादी की यह चप्पल सफेद और लाल रंग से बनाई गई है। चप्पल के तलवे में मोटी दफ्ती का इस्तेमाल किया गया है। चप्पल में लगी बद्धि भी कागज से बनी है। यदि इसे पानी से बचाया जाए तो यह कई दिनों तक चलती रहेगी। हांलाकि इसे यूज एंड थ्रो को ध्यान में रख कर बनाया गया है, लेकिन यदि कोई पानी से बचा ले जाता है तो ये कई दिन चल सकती हैं। फिलहाल इसकी कीमत 50 रुपए तय की गई है।
अभी यह चप्पल प्रदर्शनी के लिए लाई गई हैं। यह चप्पल मंदिरों के लिए ही खासतौर पर बनाई गई है। चप्पलों का निर्माण यहां होने लगेगा तो इससे वाराणसी के लोगों को भी रोजगार का अवसर उपलब्ध होगा।
डीएस भाटी, निदेशक, खादी और ग्रामोद्योग आयोग
कागज के चप्पल लोगों के लिए फायदेमंद साबित होंगे। इसे मंदिर के अलावा यदि घर में भी उपयोग किया जाए तो फंगल इंफेक्शन, फूट इंजरी से काफी बचाव होगा। स्कीन भी अच्छी रहेगी।
डॉ। कार्तिकेय सिंह, स्वास्थ्य अधिकारी