वाराणसी (ब्यूरो)। वाराणसी जोन की आजमगढ़ पुलिस ने ऑनलाइन बेटिंग एप रेड्डी, अन्ना, लोटस, महादेव आदि के जरिए लोगों को ठगने वाली साइबर गैंग का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने 11 साइबर ठगों को अरेस्ट किया है और 169 बैंक खातों के दो करोड़ रुपये फ्र ज किए हैं। आरोपितों के पास से 3.40 लाख रुपये नकद, 51 मोबाइल फोन, छह लैपटॉप, 61 एटीएम कार्ड, 56 पासबुक, 19 सिम, सात चेकबुक, तीन आधार और जियो का एक राउटर भी बरामद हुआ है। इन्होंने उप्र, बिहार, आंध्र प्रदेश समेत 12 राज्यों में अपना जाल फैला रखा था। आरोपितों में छह उप्र, दो बिहार, दो ओडिशा और एक मप्र का रहने वाला है। इन्होंने कोचिंग के नाम पर आजमगढ़ के रैदोपुर क्षेत्र में स्मार्ट माल के सामने दो मंजिल का मकान किराये पर ले रखा था। आरोपितों को सोमवार रात यहीं से गिरफ्तार किया गया। जबकि वाराणसी के दो आरोपित भागने में सफल रहे।
पुलिस अधीक्षक हेमराज मीना ने मंगलवार को बताया, एनसीआरबी पोर्टल पर साइबर ठगी की शिकायतें दर्ज थीं। इनमें से कुछ मामले आजमगढ़ के थे। इस आधार पर पुलिस ने जांच शुरू की। पता चला कि ऑनलाइन जुआ खिलाने की दो यूनिटें अप्रैल 2024 से चल रही हैं, जिसमें 13 लोग शामिल हैं। आजमगढ़ में इनका सरगना महराजगंज के सिसवा बाजार निवासी राम सिंह था। आरोपित पैसा दोगुना, तीन गुना करने का लालच देते हुए सोशल मीडिया जैसे इंस्टाग्राम, वाट्सएप, मेटा और टेलीग्राम चैनलों पर लिंक साझा करते। इसमें जो लोग फंस जाते उनका लॉगिन आईडी और पासवर्ड बनाते थे और खाते की पूरी जानकारी भी ले लेते थे। इसके बाद खाते का पूरा पैसा फर्जी खातों में ट्रांसफर कर लेते थे। पैसा उड़ाने के बाद वे पीडि़त की लॉगिन आईडी ब्लॉक कर देते थे। गिरोह करीब तीन साल से साइबर ठगी के धंधे में था और इनके खिलाफ विभिन्न राज्यों में साइबर ठगी के 70 मामले दर्ज हैं। इनके गिरोह में श्रीलंका और यूएई के ठगों के भी शामिल होने की बात बताई गई है, हालांकि पुलिस अभी इसकी पड़ताल कर रही है।
ये हुए अरेस्ट
गिरफ्तार आरोपितों में राम सिंह के अलावा महराजगंज का अमित गुप्ता, आजमगढ़ का मिर्जा उमर बेग, मीरजापुर का संदीप यादव व विकास यादव, जौनपुर का आकाश यादव, बिहार के गोपालगंज का अजय कुमार पाल व बांका के आनंदी कुमार यादव, ओडिशा के कलाहांडी का विशाल दीप और बलांगिर का प्रदीप क्षात्रिया, मप्र के जबलपुर का पंकज कुमार हैं। फरार आरोपितों में वाराणसी का विनय यादव और सौरभ हैं।
अर्जित राशि का साझेदारों में होता था बंटवारा
सरकार द्वारा प्रतिबंधित एप का उपयोग कर ठग करते थे। ज्यादातर व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए इनका खेल संचालित होता था। गैंग द्वारा अर्जित धनराशि को फर्जी खातों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साझेदारों के साथ बांटा जाता था। गिरोह के सदस्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, मेटा और टेलीग्राम पर विज्ञापन देकर लोगों को फंसाते थे। बाद में पीडि़तों की आईडी ब्लाक कर दी जाती थी। इस संगठित गिरोह में भारत के अलावा श्रीलंका और यूएई के सदस्य भी शामिल थे। हालांकि पुलिस को इनके गिरोह के आजमगढ़ में और सक्रियता की आशंका है। इसे लेकर टीम लगी हुई है।
व्हाट्सएप ग्रुप की वाराणसी में होगी जांच
यूं तो तमाम सोशल साइट्स के माध्यम से यह खेल संचालित हो रहा था, लेकिन व्हाट्सएप ग्रुप इसका मुख्य आधार है। जालसाजों के मिले वाट्सएप ग्रुप को वाराणसी स्थित विधि प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा गया है। माना जा रहा है कि इसके माध्यम से और कई मामलों का राजफाश होने की संभावना है।
यह हुई बरामदगी
1. 169 बैंक खातों में करीब 02 करोड रुपए फ्रीज
2. 35 लाख रुपए सामान बरामद
3. 3 लाख 40 हजार नकद बरामद
4. 51 मोबाइल फोन
5. 6 लैपटॉप
6. 61 एटीएम कार्ड
7. 56 बैंक पासबुक
8. 19 सिंम कार्ड
9. 7 चेक बुक
10. 3 आधार कार्ड
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1 जीओ फाइबर राउटर