वाराणसी (ब्यूरो)। जेल में बंद माफिया और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी एक बार फिर चर्चा में है। वाराणसी के चर्चित अवधेश राय हत्याकांड में एमपी-एमएलए कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई है। पहली बार मुख्तार अंसारी को इतनी बड़ी सजा मिली है। अवधेश हत्याकांड में फैसला आने में 32 साल लग गया। बहुत जल्द ही मुख्तार अंसारी के गिरोह पर इस फैसले का असर भी दिखेगा। प्रदेश सरकार की सख्ती के चलते पूरे पूर्वांचल में जरायम के पैसे से अर्जित संपत्तियों पर बुलडोजर का कहर जारी है। अभी कुछ दिन पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्तार अंसारी गैंग को देश का सबसे खंूखार आपराधिक गिरोह करार दिया था। कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद अब अदालत का रुख भी मुख्तार के खिलाफ दिख रहा है।
मजबूत नेटवर्क बना खड़ा किया आपराधिक साम्राज्य
बेहद ही प्रतिष्ठित और संभ्रांत परिवार से आने वाला मुख्तार अंसारी बहुत कम में ही जरायम की दुनिया में सक्रिय हो गया था। गाजीपुर में 1988 में मंडी परिषद के ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या कर वह पहली बार सुर्खियों में आया। मुख्तार एक-एक कर अपराध की सीढिय़ां चढ़ता गया। यूपी पुलिस के मुताबिक मुख्तार अंसारी गाजीपुर जिले के मुहम्मदाबाद थाने का मजारिया हिस्ट्रीशीटर है। उसके खिलाफ प्रदेश के अलग-अलग जिलों में 52 मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें से 15 मुकदमे विचाराधीन हैं। मुख्तार अंसारी ने पूर्वाचल में कई जघन्य आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया है। उसने प्रदेश के कुख्यात अपराधियों और शूटरों का गैंग बनाकर समीपवर्ती राज्य बिहार के शहाबुद्दीन गैंग से भी संपर्क जोड़ा और एक मजबूत आपराधिक नेटवर्क और आपराधिक साम्राज्य स्थापित किया। अपराध और आतंक के कारण मुख्तार द्वारा पूर्वांचल की कोयल मंडी और ठेकों पर अपना आधिपत्य स्थापित कर करोड़ों रुपये की मासिक उगाही की जाती रही है। साथ ही व्यापारियों को भी धमकी देकर उनसे भी गुंडा टैक्स की वसूली की जाती रही है.
तब बृजेश सिंह के पीछे पड़ गई थी पुलिस
पूर्वांचल में बृजेश सिंह और मुख्तार अंसारी के गिरोहों के बीच पुरानी अदावत के किस्से मशहूर हैं। इस अदावत की शुरुआत साल 1991 में अवधेश राय की हत्या से हुई थी। उस हत्याकांड में मुख्तार और उसके गैंग का नाम आया था। बताया जाता है कि इस हत्याकांड के बाद पूर्वांचल में शुरू हुए गैंगवार में कई जानें गई। इसी बीच 1996 में मुख्तार पहली बार विधायक बन गया। प्रदेश की सत्ता में जबर्दस्त दखल होने के कारण और राजनीतिक पहुंच के चलते पुलिस बृजेश सिंह के पीछे पड़ गई थी, लेकिन अब दांव उल्टा पड़ गया है।
शुरू हो चुकी है परिवार की दुर्गति
प्रदेश में सरकार बदलते ही मुख्तार के परिवार की दुर्गति शुरू हो गई है। मुख्तार खुद तो सालों से जेल में ही है। पिछले विधानसभा चुनाव में परिवार का विरासत संभालने के लिए आगे आया बेटा अब्बास अंसारी विधायक बनने के बाद भी जेल में जीवन काट रहा है। जेल में नियमों को ताक पर रखकर अब्बास से मुलाकात करती पत्नी निखत बानो भी जेल ही जा पहुंची है। कुछ दिन पहले गैंगस्टर एक्ट में चार साल की सजा होने के बाद बड़े भाई अफजाल अंसारी की सांसदी खत्म हो गई। वह भी अब जेल में है। मुख्तार की पत्नी आफसा अंसारी भी पुलिस के रडार पर है। किसी भी वक्त उसकी भी गिरफ्तारी हो सकती है।
मुख्तार के गुर्गे पर शिकंजा
मुख्तार अंसारी के खास गुर्गा मुन्ना बजरंगी था, जिसकी बागपत जेल में हत्या कर दी गई। इसी तरह बरेली जेल में मेराज की हत्या कर दी गई। सांसद बनने के बाद भी खास गुर्गा अतुल राय की मुश्किलें कम नहीं हुई। वह भी लंबे समय से जेल में बंद हैं। अगद राय पर पुलिस का शिकंजा जारी है। झुन्ना पंडित भी जेल में है। इसी तरह मुख्तार अंसारी के गैंग के जुड़े गुर्गे को एक-एक खत्म किया जा रहा है। इस फैसले के बाद सक्रिय गुर्गे और बिल्डिंग के कारोबार में जुड़े लोग भी भूमिगत हो जाएंगे। नहीं तो पुलिस के हाथ चढऩा तय है.