वाराणसी (ब्यूरो)। चर्चित अवधेश राय हत्याकांड का फैसला 32 साल बाद आया। इस दौरान अदालतों में 369 तारीखें पड़ीं। दो जिलों बनारस व प्रयागराज कोर्ट में मामलों की सुनवाई हुई। दोनों पक्ष की ओर से अधिवक्ताओं ने साक्ष्य पेश किए। तीन अगस्त 1991 को अवधेश राय की हत्या के बाद भाई अजय राय ने चेतगंज थाने में मुख्तार अंसारी, पूर्व विधायक अब्दुल कलाम, कमलेश ङ्क्षसह, भीम ङ्क्षसह, राकेश न्यायिक व एक अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले के पहले विवेचक तत्कालीन थाना प्रभारी उदयभान ङ्क्षसह ने विवेचना शुरू की। उनके स्थानांतरण के बाद थाना प्रभारी कृपा शंकर शुक्ल ने मामले की जांच शुरू की। घटना के बाद गिरफ्तार राकेश कुमार श्रीवास्तव (राकेश न्यायिक) व अब्दुल कलाम समेत अन्य के खिलाफ 12 अक्टूबर 1991 में चार्ज शीट अदालत में फाइल किया.
16 साल तक हाजिर नहीं हुए
25 अक्टूबर 1991 को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने इसे संज्ञान लेते हुए रजिस्टर करने का आदेश दिया। इसके बाद लगभग 16 सालों तक मुख्तार व अन्य आरोपित इस मुकदमे में हाजिर नहीं हुए और अदालत में तारीख पर तारीख पड़ती रही। 29 जून 2007 को जिला जज की अदालत के सुपुर्द कर दिया गया। यहां से मुकदमा विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी एक्ट अली जामिन की अदालत में भेज दिया गया। इसी वर्ष सितंबर माह में मुख्तार अंसारी के खिलाफ धारा 302, 149 व 148 में चार्ज फ्रेम किया गया। नवंबर माह में मुकदमे के वादी अजय राय ने बयान दर्ज कराया था.
बताया था जान का खतरा
23 नवंबर 2007 को बनारस कचहरी में अवधेश राय हत्याकांड की सुनवाई हो रही थी, इसी दौरान कचहरी परिसर में सीरियल बम ब्लास्ट हुआ। इसके बाद आरोपित राकेश न्यायिक ने आरोप लगाया कि घटना के दौरान वादी पक्ष के लोगों ने उसे घेर लिया था और उसे जान का खतरा है। इसलिए मुकदमे को सुनवाई स्थगित व स्थानांतरित किया जाए। हाईकोर्ट ने उसके प्रार्थना पत्र पर बनारस में मुकदमे की सुनवाई पर रोक लगा दी। सात साल बाद हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश रद करके मुकदमा इलाहाबाद (प्रयागराज) जिला अदालत में स्थानांतरित कर दिया। इसके सात साल बाद फाइल वहां के एमपी एमएल कोर्ट गई। बनारस में एमपी एमएल कोर्ट का गठन होने के बाद सात जनवरी 2022 को मुख्तार के खिलाफ मुकदमे की फाइल वापस बनारस आ गई। वहीं, राकेश न्यायिक व भीम ङ्क्षसह के खिलाफ प्रयागराज में अपर जिला जज तृतीय की अदालत में ही सुनवाई हो रही है। मुकदमे की सुनवाई के दौरान दो आरोपित पूर्व विधायक अब्दुल कलाम व कमलेश ङ्क्षसह की मृत्यु हो गई.
बनारस में आई मुकदमे में तेजी
अवधेश राय हत्याकांड मुकदमे की सुनवाई पर वर्ष 2007 में लगी रोक के बाद उसकी फाइल बनारस स्थानांतरित होने तक लगभग 15 साल तक मुकदमे में कोई खास प्रगति नहीं हो सकी थी। बनारस आने के बाद इस मुकदमे में तेजी आई और फैसले के दिन तक 111 तारीखें तक अदालत ने अपना फैसला सुना दिया। बीते एक साल में वादी, प्रतिवादी, अभियोजन के बहस के साथ गवाहों के बयान दर्ज किए गए.
सत्य प्रमाणित प्रतिलिपि पर हुई सुनवाई
अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी के खिलाफ सुनवाई सत्य प्रमाणित प्रतिलिपि पर हुई। राकेश न्यायिक के प्रार्थना पत्र मुकदमा सुनवाई के लिए प्रयागराज स्थानांतरित किया गया। इसके साथ मुकदमे की जुड़े सभी पत्रावलियों को भी वहां भेज दिया गया। मु्ख्तार की फाइल बनारस भेजी गई तो उसके साथ पत्रावली भी आईं लेकिन यह मूल पत्रावली नहीं उनकी सत्य प्रतिलिपि थीं। अदालत ने मूल पत्रावली को लाने का आदेश दिया तो जानकारी हुई तो वह उपलब्ध नहीं है। इस पूरे मुकदमे की सुनवाई ही सत्य प्रमाणित प्रतिलिपि पर ही हुई.