वाराणसी (ब्यूरो)। ज्ञानवापी परिसर में कब्रों का जिक्र करते हुए उर्स एवं अन्य धार्मिक कार्य करने की मांग को लेकर लोहता निवासी मुख्तार अहमद अंसारी व अन्य की ओर से दाखिल वाद में रंजना अग्निहोत्री, सतीश शुक्ला एवं अन्य द्वारा पक्षकार बनाए जाने की अपील को अदालत ने स्वीकार कर लिया है। इस बाबत गुरुवार को आदेश दिया।
25 जुलाई को प्रार्थना पत्र
लखनऊ निवासी रंजना अग्निहोत्री, आशीष तिवारी, आशीष कुमार शुक्ला, वाराणसी के पवन कुमार पाठक ने 25 जुलाई 2022 को प्रार्थना पत्र दिया था। साथ ही राम कुमार जायसवाल ने 18 अक्टूबर 2022 को प्रार्थना पत्र देकर उक्त वाद में पक्षकार बनाने की अदालत से अपील की थी। अदालत में सुनवाई के दौरान उनकी ओर से वकील सुधीर त्रिपाठी, सुभाष नंदन चतुर्वेदी, दीपक ङ्क्षसह ने दलील दी थी। अदालत में कहा था कि जिस स्थान पर उर्स एवं अन्य धार्मिक कार्य की इजाजत देने की अपील की गई है, वह मंदिर का भाग है।
एडवोकेट कमिश्नर की कार्रवाई
बीते वर्ष ज्ञानवापी परिसर में एडवोकेट कमिश्नर की कार्रवाई की गई थी। इसकी रिपोर्ट जिला जज की अदालत में दाखिल की जा चुकी है। ज्ञानवापी परिसर को लेकर अन्य न्यायालयों में लंबित वाद में पक्षकार हैं। सभी वाद एक ही प्रकृति के हैं। उक्त वाद में पक्षकार नहीं बनाए जाने से ङ्क्षहदुओं की धार्मिक भावना प्रभावित होगी, जबकि मुख्तार अहमद अंसारी की ओर से वकील नंदलाल प्रसाद पांडेय ने आपत्ति करते हुए दलील दी थी कि उक्त वाद किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ दायर नहीं किया गया है।
इन्हें बनाया पक्षकार
इस वाद में प्रदेश शासन, जिला व पुलिस प्रशासन के अलावा अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की प्रबंध समिति को पक्षकार बनाया गया है। प्रदेश सरकार की ओर से अधिवक्ता राजेश मिश्र की ओर से यह कहा गया कि तीसरे पक्ष को पक्षकार बनाए जाने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। पक्षकारों की बहस सुनने के बाद सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) महेंद्र कुमार पांडेय की अदालत ने फैसला सुरक्षित कर लिया था।