वाराणसी (ब्यूरो)। स्मार्ट सिटी काशी में अरबों रुपए खर्च करने के बाद भी शहर के अस्पतालों में आज भी लोग ट्राली पर डेडबाडी ले जाने के लिए लाचार हैं। अस्पतालों में एंबुलेंस तो है, लेकिन ड्राइवर नहीं हैैं। शव ले जाने के लिए शववाहिनी तो हैं लेकिन मरीजों को बताने वाला कोई नहीं है और न ही हास्पिटलों में डाक्टर ऐसे हैं कि इसकी जानकारी मरीजों को दे सकें। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के 'अनहेल्दी हेल्थ सिस्टमÓ कैंपेन के दूसरे दिन अस्पतालों में मरीज और तीमारदार किस तरह लाचार हैं, इसकी पड़ताल की गई तो कोई हास्पिटल के परिसर में किनारे बैठकर माथे पर हाथ रखकर रो रहा था तो कोई डेडबॉडी ले जाने के लिए परेशान दिखा.
ट्राली पर ले गए डेडबॉडी
कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल में इलाज के लिए आए तो मरीजों को ले जाने और ले आने के लिए अपनी व्यवस्था करके आएं, क्योंकि हॉस्पिटल के एंबुलेंस हमेशा वीवीआईपी डयूटी में ही लगे रहते हंै। तभी तो शनिवार को इलाज के दौरान हुई मौत के बाद परिजनों को एंबुलेंस के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा। इसके बाद भी जब एंबुलेंस नहीं मिला तो वह बाहर से ट्राली लोकर डेडबॉडी को ट्राली पर रखकर ले गए.
ढाई हजार पेशेंट पर दो एंबुलेंस
कबीरचौरा हास्पिटल में प्रतिदिन दो से ढाई हजार मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। हजार के आसपास मरीज भर्ती रहते हैं। इतने मरीजों पर अस्पताल में दो ही एंबुलेंस की सुविधा दी गयी है। यही वजह है कि एंंबुलेंस को लेकर अस्पताल में आए दिन पेशेंट्स के परिजन और डाक्टरों के बीच नोकझोक होती रहती है। इसके बाद भी व्यवस्थाओं में सुधार नहीं किया गया.
मौके पर एक भी एंबुलेंस नहीं
हेल्थ डिपार्टमेंट लाख दावा कर ले कि मरीजों के लिए हास्पिटल के साथ डाक्टर भी तैयार हैं। हर तरह की सुविधाएं मौजूद हैं। सिटी स्कैन, एक्सरे, ब्लड जांच, एंबुलेंस से लेकर सारी सुविधाएं देने का दावा करते हैं, लेकिन जब कोई परेशान, बदहवास परिजन अपने मरीज को अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस की मांग करते हंै तो मौके पर उनको कोई सुविधाएं नहीं मिलती है। फिर क्या उनको जो समझ में आता है करते हैं। हर चीज के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। गाहे-बगाहे अगर एंबुलेंस दिख भी जाता है तो एंबुलेंस में ड्राइवर नहीं मिलता है। शववाहिनी मौके से गायब रहती है। यह हाल है मंडलीय अस्पताल कबीरचौरा का।
एंबुलेंस वीआईपी ड्यूटी में
कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल में मरीजों की सेवा के लिए दो एंबुलेंस है, लेकिन यह दोनों एंबुलेंस हमेशा वीवीआईपी डयूटी में ही लगा रहता है। ऐसा कहना है कि कबीर चौरा मंडलीय अस्पताल के प्रभारी डा। एसपी सिंह का। किसी भी मरीज को मौके पर अगर एंबुलेंस मिल जाता है तो वह अपने आप को सौभाग्यशाली समझता है। शहर में इतना अधिक प्रोग्राम होता है कि 30 में 25 दिन अस्पताल का एंबुलेंस मरीजों की सेवा करने की बजाय वीआईपी ड्यूटी में ही लगा रहता है। इसको लेकर आए दिन में अस्पताल में मरीज के परिजन हंगामा करते दिख जाते हंै।
108 और 102 डायल कर मंगाएं एंबुलेंस
कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल के प्रभारी डा। एसपी सिंह का कहना है कि जिस भी किसी परिजन को एंबुलेंस चाहिए होता है तो वह 108 व 102 नंबर पर डायल करके एंबुलेंस को मंगा लेते हैं। क्योंकि अस्पताल के एंबुलेंस वीआईपी ड्यूटी में लगाया गया है। दो शववाहिनी हैं। इनमें से एक ड्राइवर नहीं है। एक एंबुलेंस में भी ड्राइवर की कमी है.
एक एंबुलेंस को वीआईपी डयूटी में लगाया गया है। दूसरे में ड्राइवर नहीं है। शववाहिनी को डेडबॉडी को पहुंचाने के लिए रखा गया है.
डॉ। एसपी सिंह, प्रभारी, कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल