वाराणसी (ब्यूरो)। काशी हमेशा से विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रही है। धर्म, अध्यात्म, संस्कृति और प्राचीन शहर के स्वरूप को देखने के साथ जानने की जिज्ञासा विदेशी पर्यटकों को सात समुद्र पार से काशी खींच लाती है। नव्य भव्य श्री काशी विश्वनाथ धाम, सारनाथ, रामनगर किला समेत सभी धर्मों के मुख्य स्थल में आस्था रखने वाले देशों से पधारने वालों की संख्या बढ़ गई है। बाबा दरबार के साथ भगवान बुध के प्रथम उपदेश स्थल सारनाथ में 139 देशों के भक्तों ने पिछले दो साल में उपस्थिति दर्ज कराई है। इनमें सर्वाधिक अमेरिकन आए हैं। यही वजह है कि दुनिया के लगभग प्रमुख देशों से आने वाले पर्यटकों के कारण वाराणसी को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की पहली सांस्कृतिक राजधानी बनाया गया है। एससीओ एक अंतर सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना 15 जून, 2001 को शंघाई में हुई थी। इसमें आठ सदस्य देश चीन, भारत, कज़ाख़िस्तान, किर्गिज़स्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, और उज़्बेकिस्तान। इसके अलावा, चार पर्यवेक्षक देश (अफग़़ानिस्तान, बेलारूस, ईरान, और मंगोलिया) और छह संवाद भागीदार देश (आर्मेनिया, अजऱबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका, और तुर्की) हैं।
मन मोह लेगा सारनाथ
भगवान बुध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद प्रथम उपदेश सारनाथ में दिया था। जिसे धर्म चक्र प्रवर्तन का नाम दिया जाता है। इसके बाद बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार आरंभ हुआ था। सारनाथ में भगवान बुद्ध के पांच शिष्यों का उपदेश देने से जुड़ी सारी यादे सहेज कर रखी गयी है। सारनाथ को बौद्ध धर्म के चार प्रमुख तीथों में से एक माना जाता है अन्य तीर्थ लुम्बिनी, बोधगया व कुशीनगर है। सारनाथ में इतनी शांति रहती है कि भाग-दौड़ भरी जिंदगी से मन उब गया हो तो यहां पर अवश्य जाना चाहिए। सारनाथ की हरियाली, मिनी जू व लाइट एंड साउंड शो आपका मन मोह लेगा।
इतिहास से भी पुराना है बनारस
काशी ने विशिष्ट संस्कृति और परंपराओं को जीवंत रखा है। काशी को प्राचीन लिविंग सिटी का दर्जा प्राप्त है। सुप्रसिद्ध यूरोपियन लेखक और साहित्यकार मार्क ट्वेन ने काशी की कथाओं और आध्यात्मिक परंपरा पर मंत्रमुग्ध हो कर लिखा है, बनारस इतिहास से भी पुराना है, परंपरा से भी पुराना है, किवदंतियों से भी पुराना है और इन सभी को जोड़कर तुलना करें तो इनकी संयुक्त आयु से भी दोगुना पुराना होने की प्रतीति देता है।
विदेशी सैलानी बढ़े
विदेशी सैलानियों में एक बड़ी संख्या में सैलानी श्रीकाशी विश्वनाथ के दर्शन करने आते हैं। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र ने बताया कि धाम के लोकार्पण के बाद लगभग 25 महीनों में बाबा के दरबार में 139 देशों के भक्तों ने हाजिरी लगाई है। वहीं यदि संख्यात्मक आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2019 के मुकाबले वर्ष 2023 में केवल श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने वाले विदेशी सैलानियों की संख्या में ही चार गुने से भी अधिक की वृद्धि हुई है।
आंकड़े में शामिल नहीं विदेशी पर्यटक
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के सीईओ द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों में विदेशी सैलानियों की गिनती इस संख्या में सम्मिलित नहीं है। इसी प्रकार बड़ी संख्या में सारनाथ होते हुए बौद्ध परिपथ के विदेशी पर्यटक भी इस संख्या में सम्मिलित नहीं हैं। तंत्र, क्रिया योग, जैन, अघोरपंथ के बड़े आश्रमों एवं साधना स्थलों पर सीधे पहुंचने वाले इन विद्याओं के विदेशी साधक भी इस आंकड़े में सम्मिलित नहीं हैं.
कनेक्टिविटी, सुरक्षा से काशी में पर्यटन
काशी की दुनिया से अच्छी कनेक्टिविटी, सुरक्षा, मूल-भूत ढांचा में सुधार से बढ़ी सुविधाओं ने काशी में पर्यटकों का रुझान और बढ़ा दिया है। विदेशी सैलानी काशी के मंदिरों, धरोहर और संस्कृति को देखने ही नहीं आते बल्कि काशी को जीने भी आते हैं। विदेशी पर्यटक हिंदी, संस्कृत, संगीत और मंत्रो को सीखने के लिए काशी में कई दिनों तक रहते भी हैं।
वीआईपी फीडबैक
1. 15 अप्रैल 2022 को बनारस आए तत्कालीन उप राष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने विजिटर्स बुक में लिखा था कि दशाश्वमेध घाट पर प्रकृति और संस्कृति का सुंदर संगम देखने को मिलता है। महादेव की नगरी में गंगा के तटों पर भारत की आत्मा की जीवंत रूप दिखता है। गंगा मां सबका कल्याण करें।
2. 9 जून 2022 को पहुंचे कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अजय राय ने लिखा- हर-हर महादेव.