-मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी ने मीडिया को बताया

- जनसूचना अधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में हुए शामिल

VARANASI

पुलिस, राजस्व और नगर निगम आरटीआई के तहत सूचना देने में ढिलाई में बरतते हैं। राज्य सूचना आयोग के सामने सबसे ज्यादा इन्हीं के मामले आते हैं। यह बातें प्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी ने बुधवार को मीडिया से कहीं। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि यह बात वह अनुभव के आधार पर कह रहे हैं, न कि किसी सर्वे के आधार पर।

जनसूचना अधिकार नियमावली-2015 के तहत सभी विभागों के जनसूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम बुधवार को बनारस में शुरू हुआ। इसका उद्घाटन करने आये जावेद उस्मानी ने बताया कि प्रदेश में इस समय 20 हजार से ज्यादा जनसूचना अधिकारी हैं और सभी को यह प्रशिक्षण दिया जाना है। अब तक प्रदेश भर में नौ हजार अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। यह कार्यक्रम जनसूचना आयोग के अलावा उत्तर प्रदेश प्रशासन एवं प्रबंधन अकादमी के बैनर तले चल रहा है।

तीन साल में 1.20 लाख

मुख्य सूचना आयुक्त ने बताया कि प्रदेश भर का डेटा निकाल पाना मुश्किल है। मगर राज्य सूचना आयोग ने अब तक 1.20 लाख आरटीआई निपटाई हैं। फरवरी-2015 में उनके आयुक्त बनने के समय आयोग में 55 हजार मामले लंबित थे। हर साल लगभग 35 हजार नए मामले आते हैं।

तीन साल में आए एक लाख पांच हजार मामलों के अलावा लंबित में से 15 हजार मामले भी निपटाए गए हैं। कई मामले अधिकारियों को परेशान करने वाले भी होते हैं। बेहद विस्तृत सूचनाओं को आरटीआई एक्ट के तहत ही खारिज कर दिया जाता है।

अनदेखी पर अर्थदंड

जावेद उस्मानी ने बताया कि आरटीआई की अनदेखी करने पर जनसूचना अधिकारी के खिलाफ 25 हजार रुपये तक का अर्थदंड लगाने का प्रावधान है। प्रदेश में अर्थदंड के अब तक 75 सौ मामले लंबित हैं।