वाराणसी (ब्यूरो)। मोबाइल का यूज अच्छी बात है, लेकिन डिजिटल युग में साइबर अपराधी इसका मिसयूज करने लगे हैं। पहले तो बड़ों को ही शिकार बनाते थे, लेकिन अब तो बड़ों के साथ बच्चों को भी गिरफ्त में लेने लगे हैं। ऑनलाइन पढ़ाई और पैरेंट्स की अनदेखी के चलते बच्चों में पनप रही मोबाइल गेम्स की लत उनको गलत दिशा में ले जा रही है और वह साइबर ठगों के जाल में फंसकर धोखाधड़ी का शिकार हो रहे हैं। गेम्स के चक्कर में बच्चे अपने पैरेंट्स से कई बार चोरी छिपे उनका अकाउंट, यूपीआई, क्रेडिट कार्ड यूज कर आसानी से पेमेंट तो कर देते हैं, लेकिन इस गलती से साइबर अपराधियों के पास बैंक डिटेल से लेकर सभी डेटा भी पहुंच जाता है। ऐसे में पैरेंट्स के साथ स्कूल की जिम्मेदारी काफी बढ़ गई है। इसी कड़ी में बाबतपुर स्थित सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल में आयोजित हुए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के अभियान फेक फ्रेंड्स के तहत हुए कार्यक्रम में साइबर क्राइम सेल के एक्सपर्ट विराट सिंह ने बच्चों को जागरूक करने के दौरान कही.
बच्चे बड़ों से कहीं अधिक स्मार्ट और एक्सपर्ट हो गए हैं। ऐसी स्थिति में पैरेंट्स के साथ स्कूल के टीचर की जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं। साथ ही अलर्ट रहने की जरूरत है। हालांकि इस तरह के प्रोग्राम से बच्चों के अंदर साइबर अपराध को लेकर जागरूकता आएगी। गलत-सही का जज करने में आसानी होगी.
सुधा सिंह, प्रिंसिपल
डिजिटल युग में पेरेंटस और टीचरों की जिम्मेदारी बढ़ गई है। पहले स्कूल भेजकर पैरेंट्स पांच घंटे बच्चे को भूल जाते थे, लेकिन बदलते दौर में हर वक्त बच्चों से संपर्क में रहना जरूरी हो गया है। मोबाइल पर गेम्स के दौरान बच्चे किसी वक्त साइबर ठगों के शिकार हो सकते हैं। निगरानी से वह किसी गलत ट्रैप में नहीं फंसेंगे.
ऋषभ श्रीवास्तव, टीचर
ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जरिए ऑलटाइम साइबर क्रिमिनल बच्चों की गतिविधियों पर निगरानी रखे हुए हैं। बच्चों को ट्रैप में फंसाने के लिए तरह-तरह के लालच दिए जा रहे हैं। पैरेंट्स को चाहिए कि वह अगर अपना समय मोबाइल गेम्स में दे रहा है तो इसकी पड़ताल कर एक्सपर्ट की राय लें.
ऋशु सोलंकी, टीचर
जो भी बच्चे मोबाइल पर वीडियो गेम खेलते हैं और टास्क पूरा करने के लिए पैसे देते हैं, वे ऐसा न करें। अगर किसी के साथ साइबर क्राइम हो रहा है तो छुपाए नहीं, बल्कि शेयर करें, ताकि किसी बड़ी संकट में न फंसे। साइबर अपराधी लोगों के डर का फायदा उठाकर ही उन्हें अपना शिकार बनाते हैं.
नरेंद्र पांडेय, टीचर
पेरेंटस को इन बातों का रखना होगा ध्यान
-हर डिपार्टमेंट के साइट से मिलती जुलती जालसाजों ने बना रखी है वेबसाइट.
-एंटी सोशल चीजों की करनी चाहिए रिपोर्ट.
-बच्चों को प्यार से बताएं अच्छी बूरी बातों की जानकारी.
-पूरी दुनिया में साइबर क्राइम के बढ़ रहे केस.
-ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान पैरेंट्स को करनी होगी बच्चों की निगरानी.
-बच्चे ने मोबाइल में क्या-क्या डाउनलोड किया इसकी जानकारी स्कूल से करें शेयर.
-बच्चों को किसी भी हाल में एटीएम या क्रेडिट कार्ड न सौंपे.
-ऑनलाइन पढ़ाई के बाद ये जरूर वॉच करें बच्चा कहीं गेम तो नहीं खेल रहा है.
-बच्चे का गलत क्लिक उसे गलत साइट पर पहुंचा सकता है.
ठगी के तरीकों के बारे मेें किया अवेयर
हाल ही में कुछ ऐसे मामले भी संज्ञान में आए हैं, जिसमें बच्चे गलत गेम को डाउनलोड करके उनके अकाउंट से रुपए निकाल रहे हैं। जब से ऑफलाइन पढ़ाई क्लास स्टार्ट की गई हैं, तब से इस तरह के मामले आ रहे हैं। पेरेंट्स को इसकी जानकारी पुलिस को देनी चाहिए.
विराट सिंह, एक्सपर्ट साइबर क्राइम सेल
साइबर फ्रॉड के शिकार अब तक कई मासूम हो चुके हैं। मोबाइल एप के दौरान किस तरह की सावधानी रखनी चाहिए बच्चों में इंटरनेट मोबाइल गेम की लत का साइबर क्रिमिनल फायदा उठा रहे हैं, अवेयर करने के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है, इससे जुड़कर वह अपडेट हो सकते हैं.
अश्विनी पांडेय, इंस्पेक्टर, साइबर सेल