वाराणसी (ब्यूरो)। बनारस में इन दिनों सड़कों पर आप जरा संभल कर पैदल और वाहन से ड्राइव करें। कहीं, ऐसा न हो कि दूसरी तरफ से आ रहे छूट्टïा पशु से टकराकर घायल हो जाएं। पिछले साल रामनगर में सांड के हमले में रामनगर निवासी संदीप विश्वकर्मा नामक युवक की मौत हो गई थी। इन दिनों शहर के कमोबेश हर गली, मोहल्ले, सड़क और फ्लाई ओवर पर देखने को मिल रहा है। सड़कों पर पशुओं के अचानक आ जाने से आएदिन वाहन चालक भिड़ कर घायल हो जा रहा हैैं। साथ ही कॉलोनी व रिहायशी एरिया में पशुओं के स्वछंद विचरण से पैदल नागरिकों, महिलाओं, बच्चे और बुजुर्गों को हादसे का भय बना रहता है। मसलन, शहर में सुरक्षित आवागमन के लिए पब्लिक ने नगर निगम से छूट्टïा पशुओं का समुचित बंदोबस्त करने की मांग की है।
केस-1
नदेसर में गायों की रेस
नदेसर में मंगलवार की देर शाम एक दर्जन से अधिक छूट्टïा पशु अचानक से दौड़ लगाते हुए सड़क पर आए। इधर, सड़क पर जैसे-जैसे चलता आवागमन पशुओं के आने बंद हो गया। थोड़ी ही देर में रोड़ पर जाम की स्थिति बन गई। राहगीरों के बीच फंसे मवेशियों के इधर-उधर भागने से भगदड़ की स्थिति बन गई। इतना ही नहीं एक बछड़े ने स्कूटी पर छलांग लगा दी। गनीमत रही युवती को कोई चोट नहीं आई, अलबत्ता उसकी स्कूटी की हेडलाइट क्षतिग्रस्त हो गई।
केस-2
सड़कों पर झूमते मवेशी
चौकाघाट से लहरतारा फ्लाईओवर के कैंसर अस्पताल के सामने बुधवार को सुबह से शाम तक रोड के किनारे और सड़क पर बेरोक-टोक घूमते रहते हैैं। इससे कई बार तो फ्लाईओवर से तेज रफ्तार से आ रही कार व बाइक की टक्कर तक हो जाती है। वहीं, इनके अचानक से बीच सड़क पर कूच करने से 10 से 15 मिनट के आवागमन भी रूक जाती है। स्थानीय दुकानदार ने बताया कि इस इलाके में 30 से अधिक छूट्टïा मवेशी उत्पात मचाते रहते हैैं.
स्लो हो जाता है आवागमन
शहर के लंका, कमच्छा, गोदौलिया, रथयात्रा, मलदहिया, राजघाट, अस्सी, सामनेघाट, सुंदरपुर, सिगरा, रामनगर, सारनाथ, पांडेयपुर, नदेसर, चौकाघाट, कचहरी, सरैया, पहडिय़ा, अर्दली बाजार, शिवपुर समेत कमोबेश पूरे शहरी इलाके में इन दिनों छूट्टïा पशुओं की संख्या बढ़ गई है। इनके बेरोकटोक सड़कों पर विचरण से आवागमन में दिक्कत आती है। साथी लोगों को पशुओं के हमले का भय बना रहता है।
नहीं निकल रहा समाधान
अमूमन बाढ़ आने के बाद शहर में अचानक से शहर इलाकों में छूट्टïा पशुओं की तादात में इजाफा हो जाता है। हर इलाके में ये छूट्टïा पशु 10 से 15 की झुंड में घूमते रहते हैैं। स्थानीय पब्लिक और राहगीरों को आशंका है कि इन पशुओं की वहज से कभी भी बड़ी दुर्घटना घट सकती है। लिहाजा, जल्द से जल्द इन्हें पकडऩे की कार्रवाई की जाए। कई इलाकों में घास या हरा चारा नहीं मिलने की स्थिति में ये वेस्टेज में फेंके गए प्लास्टिक और कूड़ेें को खाते है। साथ ही कॉलोनियों में गंदगी फैलाते रहते हैैं।
छूट्टïा पशुओं को पकडऩे के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है। एक से 7 सितंबर तक 66 पशुओं को पकड़ा गया है। आगामी 15 सितंबर से बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जाएगा.
संदीप श्रीवास्तव, पीआरओ, नगर निगम