वाराणसी (ब्यूरो)। एसी बसों की मरम्मत के लिए वाराणसी परिक्षेत्र में कोई डिपो नहीं है। इसकी वजह से यहां के पैसेंजर्स को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इन बसों पर डिपो के कर्मचारी तभी ध्यान देते हैं जब डिपो में कोई सामान्य बस मरम्मत के लिए नहीं होती। कुल मिलाकर कह सकते हैं कि जब वे फुरसत में होते हैं तभी एसी बसों को बनाने की ओर रुख करते हैं। ऐसे में गड़बड़ी पर डिपो पहुंचने वाली एसी बसों को कई-कई दिन तक खड़ा रहना पड़ता है। इससे इन बसों से सफर करने वाले पैसेंजर्स को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
काशी में 45 एसी बसें
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की ओर से वाराणसी परिक्षेत्र में कैंट व काशी डिपो में कुल 45 एसी जनरथ बसें संचालित होती हैं। इनमे से अधिकतर की हालत खराब है। ये आए दिन वर्कशॉप में ही नजर आती हैं। वर्कशॉप में जाने के बाद इन बसों को ठीक करने में काफी समय लग जाता है। इनके अलावा लखनऊ व कानपुर से प्रतिदिन दो से तीन स्कैनिया, लगभग पांच वाल्वो और तीन पिंक बसें भी काशी आती हैं। अक्सर इनमें भी खराबी आने पर इन्हें लोकल वर्कशॉप में ही भेजा जाता है।
सामान्य बसों की वर्कशॉप
वाराणसी परिक्षेत्र में आने वाले डिपो काशी व कैंट में केवल सामान्य बसों का मेंटीनेंस किया जाता है। जब यहां एसी बसें मेंटीनेंस के लिए आती हैं तो उन्हें खड़ा कर दिया जाता है और जब मैकेनिक सामान्य बसों के काम से खाली होते हैं तभी इन बसों की मरम्मत में जुटते हैं.
ठेके पर मैकेनिक
पुराने मैकैनिक के रिटायर्ड होने के बाद बसों के रखरखाव के लिए ठेके पर मैकेनिक रखे गये हैं। इन्हें बस खराबी के बाद बुलाया जाता है। अनुभवहीनता के चलते उनसे भी तय समय पर बसें नही बन पाने के चलते कई-कई दिनों तक बसें कार्यशाला में ही खड़ी रहती हैं। इससे ना सिर्फ यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है, बल्कि बस सड़क पर संचालित ना होने के चलते निगम के राजस्व पर भी प्रभाव पड़ता है.
बाहरी बसों की भी मरम्मत
जनरथ के अलावा बाहर की डिपो से आने वाली एसी बसों में शुमार पिंक, स्कैनिया या वॉल्वो में भी अगर शहर में आने के बाद किसी किस्म की खराबी आती है तो यहां के ठेकेदार ही उस बस को भी बनवाते हैं। कभी-कभी उन बसों के भी ना बनने पर बस यहीं खड़ी कर दी जाती है.
लखनऊ में अवध डिपो
लखनऊ में एसी बसों की मरम्मत के लिए अवध डिपो बनाया गया है। वहां सिर्फ एसी बसों की देखरेख होती है। वहां के कर्मचारी एसी बसों पर ही फोकस करते हैं, ऐसे में वहां एसी बसें लगातार बनती रहती हैं। एसी बसों में ज्यादातर ब्लोअर ना चलने, ठंडी हवा में कमी, सहित अन्य समस्याएं आती हैं, जिन्हे साधारण मैकेनिक ठीक नहीं कर पाते हैं.
डिपो में खड़ी रहती हैं बसें
वाराणसी परिक्षेत्र में कैंट व काशी डिपो में हमेशा तीन से चार जनरथ बसें खराबी के चलते खड़ी रहती हैं। मैकेनिक की कमी के चलते बसों को ठीक करने में काफी समय लग जाता हैं।
वाराणसी परिक्षेत्र से इस संदर्भ में प्रस्ताव मिले तो इस पर मुख्यालय से पहल की जा सकती है। हां, एसी बसों की मांग लोगों में बढ़ी है। रही बात काशी में एसी बसों के डिपो के लिए तो यह अच्छी पहल है.
अजीत सिंह, जनसम्पर्क अधिकारी, उ.प्र.रा.स.प.निगम