वाराणसी (ब्यूरो)। नदेसर स्थित पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर के दफ्तर में अगस्त 2019 में ठेकेदार अवधेश श्रीवास्तव ने निर्माण कार्य के लाखों बकाया और विभागीय उत्पीडऩ से आजिज आकर लाइसेंसी असलहे से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। इस खबर ने पीडब्ल्यूडी में व्याप्त भ्रष्टाचार व कमिशनखोरी परत खोल दी थी। करीब चार साल बाद फिर पीडब्ल्यूडी में कमीशन का खेल चरम पर है। प्रोजेक्ट या टेंडर में निर्धारित काम पूरा होने के बाद भी ठेकेदारों का भुगतान नहीं हो रहा है। 20 फीसद कमीशन के चक्कर में 200 करोड़ से अधिक का भुगतान फंसा है। बाबू से लेकर साहब के भ्रष्ट तंत्र में फंसे कई ठेकेदारों ने 2019 वाली की घटना की पुनरावृत्ति की आशंका जताई है।
सात साल का है काम
पीडब्ल्यूडी के तहत प्रांतीय खंड, निर्माण खंड-एक, भवन खंड, राष्ट्रीय खंड काम करता है। हर खंड की भूमिका अलग-अलग है। इन खंडों के माध्यम से वाराणसी में रिंग रोड, सड़कों का निर्माण, चौड़ीकरण, पुल निर्माण, इंटरलॉकिंग समेत तमाम विकास कार्य हुआ है। एक अनुमान के तहत पिछले सात साल में 20 हजार करोड़ रुपये का काम पीडब्ल्यूडी के निर्माण व प्रांतीय खंड द्वारा कराया गया है। हर खंड में ठेकेदारों का कुछ न कुछ भुगतान फंसा है।
इल्जाम: बाबू से लेकर साहब तक लेते हैं कमीशन
पीडब्ल्यूडी से टेंडर होने के बाद ठेकेदारों द्वारा निर्धारित कार्य कराया जाता है। आरोप है कि टेंडर के साथ ही कमीशन का खेल शुरू हो जाता है। प्रोजेक्ट के साथ कमीशन भी कदम से कदम मिलता है। बीच-बीच में बजट स्वीकृत कराने के लिए पहले कमीशन दिया जाता है। काम पूरा होने के बाद फाइनल भुगतान कराने के लिए मोटी रकम यानी 20 फीसद तक कमीशन देने के बाद ही बात बनती है। ठेकेदारों का आरोप है कि कमीशन की चेन बाबू से लेकर अफसर तक है। बीच में अन्य पदों का भी हिस्सा तय है। जैसे-जैसे कमीशन का हिस्सा पहुंचेगा उसी रफ्तार से पूर्ण भुगतान की फाइल भी आगे बढ़ेगी। एक तय कर्मचारी के माध्यम से कमीशन बंटता है.
पीडब्ल्यूडी के पेंच में उलझे 50 ठेकेदार
पीडब्ल्यूडी के प्रांतीय खंड व निर्माण खंड-एक में करीब 70 से अधिक बड़े और छोटे ठेकेदार रजिस्टर्ड हैं, जो दो करोड़ से लेकर 100 करोड से अधिक का काम कराते हैं। विभाग के अनुसार करीब 50 ठेकेदारों का पैसा फंसा है। एक अनुमान के तहत इन ठेकेदारों का करीब 200 करोड़ रुपये फंसा है। बातचीत में कई ठेकेदारों ने बताया कि पीडब्ल्यूडी में जबर्दस्त भ्रष्टाचार है। इसी भ्रष्टाचार से परेशान होकर अगस्त 2019 में ठेकेदार अवधेश श्रीवास्तव ने गोली मारकर हत्या कर ली थी। पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों की मनमानी से चक्कर पर चक्कर लगाने के बाद भी कई ठेेकेदारों का भुगतान नहीं हो पाया है.
पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों की मनमानी की वजह से काम कराना मुश्किल हो गया है। इंटरलॉकिंग का काम पूरा हुए एक साल से अधिक हो गया है, लेकिन अभी तक भुगतान नहीं हुआ।
महेश सिंह, ठेकेदार
हमारी कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा करीब पांच करोड़ का काम कराया गया है। काम पूरा भी हो गया है, लेकिन अभी तक करीब तीन करोड़ ही मिला है। बाकी के लिए चक्कर लगा रहे हैं।
संदीप मौर्या, ठेकेदार
अगर कोई ठेकेदार कहता है तो यह गलत है। प्रांतीय खंड में भुगतान नहीं रुका है। निर्माण कार्य पूरा होने के बाद री-चेंकिंग होती है। इसके बाद ठेकेदार द्वारा बिल दिया जाता है तो भुगतान कर दिया जाता है।
केके सिंह, अधिशासी अभियंता