वाराणसी (ब्यूरो)कमिश्नर साहब, बैनामा मेरे नाम हैखतौनी में नाम दर्ज हैइसके बावजूद एक दबंग उद्यमी ने मेरी जमीन कब्जा कर रखा हैडीएम साहब, जमीन मेरे नाम हैट्रस्टी भी हूं, लेकिन शहर के नामी बाबा जबर्दस्ती उकत जमीन पर कब्जा कर रहे हैइसी तरह की फरियाद लेकर हर दिन कमिश्नरेट पुलिस मुख्यालय और राइफल क्लब में फरियादियों की भीड़ उमड़ रही हैफरियादियों से बातचीत और शिकायती पत्रों की पड़ताल करने पर चौंकाने वाली जानकारी सामने आई हैफरियादियों का आरोप है कि उनकी जमीन व मकान पर कब्जा अपराधी तो नहीं, बल्कि दबंग, जनप्रतिनिधि, संत और उद्यमी कर रहे हैंइनका प्रभाव भी इतना भारी है कि पुलिस व प्रशासन चाहकर भी कार्रवाई नहीं कर पा रहा है

लगातार बढ़ रहे हैं विवाद

आंकड़े बताते हैं कि कमिश्नरेट पुलिस के पास हर दिन सौ से अधिक तो एम के पास पचास से अधिक जमीन विवाद मामले पहुंचे रहे हैं। 50 विवाद हर रोज अन्य सुनवाई में पहुंच जाते हैंपुलिस कमिश्नर, एडिशनल सीपी, डीएम की ओर से लगातार कार्रवाई की संस्तुति की जा रही हैशिकायतों को जनसुनवाई पोर्टल और आईजीआरएस पर अपलोड भी किया जा रहा हैइसकी समय-समय पर मुख्यमंत्री द्वारा खुद समीक्षा की जा रही हैकागजों पर करीब 80 फीसद मामलों का निस्तारण भी हो रहा हैबावजूद इसके जमीन विवाद कम नहीं हो रहे हैं

थानों में नहीं होती सुनवाई

फरियादियों ने आरोप लगाया कि स्थानीय थाने में कोई सुनवाई नहीं हो रही हैउनके शह पर कब्जा हो रहा हैसबसे ज्यादा शिकायत लोहता, मंडुवाडीह, रोहनियां, चौबेपुर, चोलापुर और सारनाथ थाना क्षेत्र की आ रही हैइन्हीं थानों में जमीन संबंधित शिकायतें भी सबसे ज्यादा हैंमंगलवार को ही लालपुर-पांडेयपुर थाना क्षेत्र में जमीन बेचने के नाम पर 41 लाख रुपये की धोखाधड़ी किए जाने का मामला प्रकाश में आयाइस तरह के मामले लगातार वाराणसी में बढ़ रहे हैंकई बार केस दर्ज होते हैं तो कई बार फरियादी चक्कर लगाते रहते हैं

यह भी जानना जरूरी

पीडि़त के पास आपराधिक और सिविल दोनों ही तरह के मुकदमे दर्ज करने का विकल्प होता हैआईपीएस की धारा 420 का इस्तेमाल मुख्य रूप से धोखाधड़ी के अनेक मामलों किया जाता हैअगर किसी व्य1ित को बल प्रयोग कर उसकी संपत्ति से हटाया गया है, तो ये कानून इस्तेमाल में लाया जा सकता हैकिसी भी पीडि़त को सबसे पहले इसे इस्तेमाल में लाना चाहिएइसी तरह धारा 406 का इस्तेमाल उस व1त किया जाता है जब कोई व्य1ित किसी अन्य व्यकित का विश्वास पात्र बनकर उसकी प्रॉपर्टी में सेंध लगाता हैइसे भी संगीन अपराध की श्रेणी में रखा गया हैपीडि़त व्य1ित इस धारा के तहत अपने नजदीकी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करा सकता है

हर तरह की शिकायतें आती हैं, लेकिन जमीन विवाद से जुड़े ज्यादा होते हैंसंबंधित जोन व सर्किल से मामले की जांच कराकर न्याय दिलाया जाता हैकई मामले कोर्ट में विचाराधीन होते है, जिमसें हस्तक्षेप संभव नहीं होता है

संतोष सिंह, एडिशनल सीपी

जमीन विवाद को लेकर प्रार्थना पत्र ज्यादा आते हैं, जिसमें अधिकतर पुलिस से जुड़े होते हैं तो कार्रवाई के लिए संस्तुति की जाती हैकुछ मामले राजस्व से जुड़े होते है तो उसका समय सीमा के अंदर निस्तारण कराया जाता है

एस राजलिंगम, डीएम