वाराणसी (ब्यूरो)सर सुंदरलाल हॉस्पिटल-बीएचयू के डॉक्टर्स का कहना है कि बनारस की आबादी का बड़ा हिस्सा पाचन स्वास्थ्य की चुनौतियों का सामना कर रहा हैस्वास्थ्य पाचन तंत्र एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या रही हैइससे आबादी का एक बड़ा हिस्सा प्रभावित हुआ हैहील फाउंडेशन की ओर से एसिडिटी की बढ़ती समस्याओं को लेकर आयोजित की गई जागरूकता वर्कशॉप बीएचयू सहित शहर के कई डॉक्टर शामिल हुएइस दौरान एक जारी किए गए आंकड़े के मुताबिक बताया गया कि 10 में से 7 लोग पाचन तंत्र से संबंधित किसी न किसी बीमारी से जूझ रहे हैं.

नींद की गड़बड़ी व तनाव है वजह

बीएचयू नेफ्र ोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉशिवेंद्र सिंह ने कहा कि हाइपरएसिडिटी जैसी बीमारी भारत में व्यापक रूप से फैली हुई हैदेश की 10-30 परसेंट आबादी इससे प्रभावित हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश सबसे टॉप पर हैंडॉक्टर सिंह ने बताया कि आहार संबंधी आदतें नींद की गड़बड़ी और तनाव इसमें सबसे प्रमुख भूमिका निभा रही हैं.

दवा का चुनाव मोस्ट इम्पॉर्टेंट

डॉशिवेंद्र सिंह ने बताया कि एसिडिटी में दवा का चयन महत्वपूर्ण है, क्योंकि कुछ दवाएं महत्वपूर्ण एसिड के उत्पादन को रोक सकती हैंएसिड के संबंधित विकारों के लिए डॉक्टर रैनिटिडिन जैसी दवाएं लेने का सलाह दे सकते हैं, जो एक भरोसेमंद दवा हैमोबाइल का प्रयोग करने से मासिक तनाव बढ़ता है, जिससे एसिडिटी को बढ़ावा मिलता है.

पेट में दर्द और भारीपन की शिकायत

बीएचयू गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के डॉक्टर देवेश प्रकाश यादव ने बताया कि आजकल एसिडिटी की समस्या आम हैतले-भूने और मसालेदार खाने से एसिडिटी की समस्या झेलनी पड़ती है, जिससे पेट में दर्द और भारीपन की शिकायत भी हो जाती हैएसिडिटी होने पर पेट के ऊपरी हिस्से में जलन और दर्द भी संभव हैइससे भूख नहीं लगना, खट्टी डकार आना और पेट में गैस बनने जैसी परेशानियां हो सकती हैं.

एसिडिटी का समाधान और उपचार

-प्रति 70 परसेंट शहरी भारतीयों को पाचन स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें एसिडिटी एक प्रमुख की चिंता का विषय है.

-विशेषज्ञ रैनिटिडिन का समर्थन करते हैंयह पाचन तंत्र को प्रभावित किए बिना एसिडिटी से राहत देती है.

-रैनिटिडिन की विरासत 4 दशकों से अधिक की है, जो इसकी विश्वसनीयता सुनिश्चित करती है.

-नियमित व्यायाम, मसालेदार और जंक फूड से परहेज और शरीर में जल का पर्याप्त स्तर बनाए रखना जैसे निवारकयों उपायों को अपनाना.