वाराणसी (ब्यूरो)। बनारस में एक सप्ताह बाद एक बार फिर नकली करेंसी के साथ दो तस्कर दबोचे गए। इनके पास से 45 हजार नकली करेंसी जब्त की गई है, जिसे बनारस के बाजारों में ही खपाने की प्लानिंग थी। इससे पहले एटीएस की टीम ने कैंट रेलवे स्टेशन से इन तस्करों को दबोच लिया। पुलिस ने आरोपियों को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया है। अभी दो दिन पहले चंदौली से भी नकली करेंसी पकड़ी गई थी। बांग्लादेश से नकली इंडियन करेंसी को फरक्का, मालदा, बिहार, चंदौली के रास्ते बनारस में लाया जाता है। हालांकि एटीएस के साथ स्थानीय पुलिस भी इनपुट के आधार पर तस्करों के नेटवर्क ध्वस्त करने के प्रयास लगातार कर रही है.
कोलकाता से वाराणसी तक का रेल टिकट मिला
एटीएस के अनुसार आरोपी अंकुर मौर्य और विपिन गुप्ता उर्फ अवनीश अंबेडकर नगर के रहने वाले हैं। वे काफी समय से नकली नोटों धंधा कर रहे हैं। पूछताछ में बताया कि वे कोलकाता से नकली नोट उठाते हैं और दूसरे शहरों में ले जाकर खपा देते हैं। वाराणसी में जो नोट बरामद हुए हैं, उसे भी यहीं खपाने की प्लानिंग की गई थी क्योंकि दोनों फरक्का एक्सप्रेस से वाराणसी पहुंचे थे। इनके पास से कोलकाता से वाराणसी तक का रेल टिकट भी मिला है। नकली करेंसी की सूचना पर एटीएस ने घेरेबंदी की और कैंट स्टेशन के बाहर से ही दोनों को धर दबोचा गया।
तस्करों ने बनारस को बनाया सेंटर
पकड़े गए आरोपियों ने बताया कि वे पहले भी कोलकाता से नकली नोटों की कई खेप ला चुके हैं और खपा चुके हैं। 5 फरवरी को दोनों 45 हजार रुपए लेकर कोलकाता से वाराणसी पहुंचे। वे वाराणसी में दूसरे एजेंट को यह नोट हैंडओवर करके बस से अंबेडकर नगर जाने वाले थे, लेकिन पुलिस के हत्थे चढ़ गए। इसके पहले भी 28 जनवरी को वाराणसी में एक लाख फेक करेंसी के साथ पकड़े गए दीपक और चंदन ने पूछताछ में कई ऐसे खुलासे किए थे, जिसे जानकर पुलिस के होश उड़ गए थे। उन्होंने बताया था कि बांग्लादेश से नकली इंडियन करेंसी को फरक्का, मालदा, बिहार, चंदौली के रास्ते बनारस में लाया जाता है.
गांव और कस्बों में खपाए जाते हैं नकली नोट
एटीएस की पूछताछ में तस्करों ने कई अहम खुलासे किए हैं। उन्होंने बताया कि कोलकाता से हमें इन नोटों की डिलीवरी मिली थी। इन नोटों को वाराणसी के अलावा पूर्वांचल के बाजारों में खपाने की तैयारी थी। हमारा काम सिर्फ एजेंज को यह पैसे हैंडओवर करने का था। तस्करों ने बताया कि पूर्वांचल के कई जिलों में हमारे एजेंट हैं और उन्हीं के जरिए रैकेट काम करता है। इन एजेंट्स के पास नकली नोट पहुंचा दिए जाते हैं और वे धीरे-धीरे गांव-कस्बों की दुकानों पर इसे खपा देते थे। जिनको नकली नोटों की डिलीवरी दी जाती है। वह लोग आधी कीमत पर इसे लेते हैं और फिर छोटे गांव-कस्बों के बाजारों में नकली नोट असली नोट की कीमत पर चला देते हैं.
पहले से दर्ज हैं केस, जेल जा चुके दोनों तस्कर
एटीएस ने बताया कि जाली भारतीय नोट लेकर वाराणसी आए दोनों शातिर और अभ्यस्त तस्कर हैं। वे पहले भी जेल जा चुके हैं। इस गिरोह में अन्य अपराधियों के संलिप्त होने की भी संभावना है, जिनके संबंध में छानबीन की जा रही है। आरोपी अंकुर मौर्य पुत्र शिवशरन मौर्य के खिलाफ अंबेडकरनगर टांडा में 2021 में केस दर्ज किया गया था। वहीं विपिन गुप्ता उर्फ अवनीश पुत्र दिनेश गुप्ता पर भी केस दर्ज है.
पहले भी पकड़े जा चुके हैं फर्जी नोट
बीते 28 जनवरी को भी वाराणसी में नकली नोट पकड़ा गया था। तब 97,500 रुपए के जाली नोटों के साथ दो तस्करों को गिरफ्तार किया गया था। पूछताछ में पता चला कि बांग्लादेश के यह नकली नोट कोलकाता होते हुए, दूसरे राज्यों में सप्लाई किया जा रहा है.
20 हजार में 1 लाख के नकली नोट
4 फरवरी को भी चंदौली में 1 लाख रुपए से ज्यादा के नकली नोट पकड़े गए थे। तब आरोपियों ने बताया कि उन्होंने 20 हजार रुपए देकर बिहार से यह नकली नोट लिया था। माना जा रहा है कि इस तरह के नकली नोट 20 से 25 हजार रुपए में 1 लाख कीमत के मिल जाते हैं.