वाराणसी (ब्यूरो)। सावन का दूसरा सोमवार, उस पर अमावस्या के एकाकार से 17 जुलाई का दिन शिवभक्तों के लिए अत्यंत पुण्यकारी है। दूसरे मंडे को बाबा के जलाभिषेक के लिए कांवरियों का हुजूम काशी उमड़ पड़ा। इस भीड़ में तीन सौ डाकबमों के जत्थे ने भी बाबा की ड्योढ़ी पर मत्था टेका और हर-हर, बम-बम बोला। बाबा का जलाभिषेक कर नंगे पांव वापस रवाना हुए।
चौकस व्यवस्था
बाबा के जलाभिषेक को विश्वनाथ मंदिर परिसर में चाक-चौबंद व्यवस्था की गई है। चारों द्वार के पास बैरिकेडिंग बनायी गयी है। इसी बैरिकेडिंग में रविवार से ही कांवरियों की लाइन लग गई। कतार इतनी लंबी की दर्शन करने में घंटों समय लग गया। रविवार को सुबह से रात तक बाबा दरबार में अपार आस्था दिखी। गलियों से लेकर विश्वनाथ धाम तक भक्त ही भक्त, स्वर्णमंडित गर्भगृह में बाबा काशी विश्वनाथ अभिषेक में निरत असंख्य कांवरियों ने जलधरी से बाबा के भाल गंगधार चढ़ाया और हर-हर महादेव संग जय बाबा विश्वनाथ गरजाया.
डाकबमों ने किया दर्शन
कांवरियों और आम दर्शनार्थियों के अलावा करीब तीन सौ डाक बमों ने भी बाबा का अभिषेक कर अपना संकल्प पूरा किया। शयन आरती तक करीब दो लाख भक्तों ने श्री काशी विश्वनाथ के दर्शन किये। निश्चित ही यह आस्था की अखंड धारा रही, जो बाबा को अभिशक्त कर उनकी ड्योढ़ी पर अनवरत हिलोर मारी।
सोमवती का संयोग
सावन के दूसरे सोमवार यानि सोमवती अमावस्या का संयोग जुडऩे से इसका महात्म्य अत्यधिक है। इसलिए कोई भी इन अतिशय पुण्यकारी तिथियों पर काशी विश्वनाथ सहित अन्य शिवालयों में जलाभिषेक का अवसर नहीं चूकेगा। काशी में कांवरियों एवं श्रद्धालुओं की भीड़ बीते शुक्रवार से शुरू हुई तो रविवार को भी यह कई गुना और बढ़ गई। दूसरे सोमवार से एक दिन पहले ही काशी विश्वनाथ मंदिर में हाजिरी लगाने के लिए आस्था की कतार गंगधार से गंगधारी के दरबार तक उमड़ पड़ी।
गंगाजल लेकर दरबार जाते
जगह-जगह से काशी आते जत्थों में शामिल कांवरिये गंगा स्नान और संकल्पादि के बाद गंगाजल लेकर बाबा दरबार जाते और वहां स्वअनुशासित हो कतारबद्ध होते रहे। कई कांवरिये ऐसे भी दिखे जो गेरुआ धोती, बंडी और साफा पहने हुए थे। कांवरियों के साथ आम श्रद्धालु भी जलाभिषेक के लिए अपनी बारी का इंतजार करते रहे। शिवभक्तों का रेला गंगाद्वार पर ज्यादा रहा। मंदिर में मंगला आरती के बाद बाबा के दर्शन व जलाभिषेक का भक्तानुष्ठान आरंभ हुआ जो शयन तक चलता रहा। कई भक्त बाबा दरबार में दंडवत होते तो कई दर्शन-पूजन के बाद विश्वनाथ धाम में सुस्ताते दिखे.
बाबा का विशेष श्रृंगार आज
सावन के दूसरे सोमवार पर देवाधिदेव महादेव अपने भक्तों को युगल छवि में दर्शन देंगे। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में परम्परानुसार भगवान शंकर एवं पार्वती की रजत प्रतिमा का श्रृंगार होगा और यह चल प्रतिमा गर्भगृह विराजित की जाएगी। भक्तों को इस युगल छवि के दर्शन रात आठ से 10 बजे, शयन आरती आरंभ होने तक प्राप्त होगा। शंकर-पार्वती के इस युगल छवि को वैराग्य और दाम्पत्य के बीच संतुलित समन्वय का प्रतीक माना गया है। यह स्वरूप प्रकृति एवं पुरुष के संयमित व आदर्श स्थिति को भी दर्शाता है। वहीं, मंदिर को कई क्विंटल फूलों से सजाने का कार्य रविवार से ही शुरू हो गया था.