वाराणसी (ब्यूरो)वाराणसी की सड़कों पर करीब 11 लाख वाहन दौड़ रहे हैं और प्रदूषण जांच केंद्र सिर्फ 60 हैजिले में जहां तीन लाख वाहन बिना सर्टिफिकेट चल रहे हैैं, वहीं 60 हजार वाहन अनफिट होने के बाद भी सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैैंयही पॉल्यूशन बढ़ाने की बड़ी वजह हैशहर में तेजी से बढ़ रहे प्रदूषण की वजह जानने के लिए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने पड़ताल की तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आईचौकाघाट स्थित प्रदूषण जांच केंद्र पर दोपहर दो बजे तक मात्र एक बाइक की पॉल्यूशन कंट्रोल सर्टिफिकेट (पीयूसी) बनी थीयह आंकड़ा सिर्फ मंगलवार का नहीं, बल्कि अमूमन हर दिन हैपड़ताल के दौरान पता चला कि हर दिन औसतन सिर्फ दो ही गाडिय़ां पीयूसी के लिए आती हैंयह स्थिति सिर्फ चौकाघाट सेंटर का ही नहीं है, बल्कि शहर के अधिकतर केंद्रों का है.

बिना सर्टिफिकेट के तीन लाख वाहन

वाराणसी में करीब तीन लाख वाहन सड़कों पर प्रदूषण बढ़ा रहे हैंएनजीटी के आदेशों को ताक पर रखकर बिना प्रदूषण सर्टिफिकेट वाले वाहनों का संचालन जारी हैपरिवहन विभाग की कार्रवाई भी रस्म अदायगी तक सीमित हैजिले में 11 लाख से अधिक वाहन पंजीकृत हैंइनमें कुल तीन लाख से अधिक वाहन सड़क पर बिना प्रदूषण सर्टिफिकेट के संचालित हो रहे हैंइनमें व्यावसायिक, चौपहिया और दुपहिया वाहन शामिल हैं.

प्रतिबंध के बावजूद दौड़ते अनफिट वाहन

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी के आदेश के तहत वाराणसी में पेट्रोल की 15 साल और डीजल की 10 साल की पुरानी गाडिय़ों के संचालन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया हैआरटीओ ने ऐसे वाहनों के रजिस्ट्रेशन पर रोक लगा दी हैबावजूद इसके ये वाहन शहर में फर्राटा भर रहे हैंऐसे वाहनों की संख्या करीब 60 हजार हैअब इन वाहनों को आरटीओ विभाग जब्त कर स्क्रैप यार्ड में भेज देगा। 15 साल पुराने स्कूटर और बाइक पर भी ये नियम लागू होगा.

नंबर गेम

-60 प्रदूषण जांच केंद्र है पूरे जनपद में

-2 वाहन ही औसतन एक सेंटर पर पहुंचते हैं पीयूसी लेने

-1 साल बाद नये वाहन का प्रदूषण कराना अनिवार्य

-50 हजार वाहन कंडम घोषित हुए हैं

-3 लाख वाहनों के पास नहीं है पीयूसी

घाट में दशाश्वमेध व एरिया में मलदहिया सबसे ज्यादा प्रदूषित

शहर में हर दिन बाहरी वाहनों का जबर्दस्त दबाव रहता हैगंगा आरती की वजह से शाम 5 से 7 बजे तक वाहनों का आवागमन ज्यादा रहता हैइसके चलते वाराणसी के सबसे महत्वपूर्ण दशाश्वमेध घाट की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित होती हैयहां का अधिकतम एयर क्वालिटी इंडेक्स एक्यूआई 362 अंक तक पहुंच जाता है, जो बहुत खराब की श्रेणी में आती हैइसी तरह शहर के मलदहिया में लगातार वाहनों की आवाजाही व जाम के चलते सबसे ज्यादा प्रदूषित हवा यहां बहती हैयहां का एक्यूआई 219 अंक पहुंच जाता हैइसके बाद दूसरे स्थान पर अर्दली बाजार और तीसरे स्थान पर भेलूपुर रहता है.

एक साल बाद प्रदूषण जांच कराना अनिवार्य

सांस्कृतिक राजधानी व स्मार्ट सिटी होने के कारण वाराणसी में बसने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही हैसाल दर साल आबादी में वृद्धि हो रही हैएक अनुमान के तहत शहर में हर दिन तीन हजार दोपहिया और 500 चारपहिया और अन्य 200 वाहनों की बिक्री होती हैपिछले पांच साल के अंदर वाराणसी में 50 हजार वाहन मालिकों ने नई गाड़ी लेने के बाद पीयूसी नहीं बनवाया है, जबकि नियमानुसार एक साल के बाद प्रदूषण जांच कराना अनिवार्य होता है.

नवरात्र में शुरू होगा स्क्रैप वर्कशाप

शहर की हवा प्रदूषित करने वाले 15 वर्ष पुराने कंडम वाहनों को निष्प्रयोज्य करने के लिए फूलपुर (वाराणसी-जौनपुर बार्डर) में स्क्रैप वर्कशाप बनाने के लिए एक डीलर ने चार बीघा जमीन देने पर सहमति जताई हैपरिवहन विभाग नवरात्र में स्क्रैप वर्कशाप के लिए भूमि पूजन कराने की तैयारी में है। 15 वर्ष पुराने और अपनी अवधि पूरी कर चुके 501 सरकारी वाहनों को कबाड़ (कंडम) घोषित करने के साथ उनका पंजीयन 31 मार्च को निरस्त कर दिया जाएगावहीं, प्राइवेट वाहनों को कंडम घोषित कर निष्प्रयोज्य करने के लिए सूची बनाई जा रही है.

जिले में जांच के दौरान कई प्रदूषण केंद्र बंद रहते हैंपीयूसी लेने वालों की संख्या कम रहती हैजब-जब प्रवर्तन दल की ओर से चेकिंग अभियान चलाया जाता है तो पीयूसी लेने वालों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है.

पीयूष राय, आरआई, आरटीओ