वाराणसी (ब्यूरो)। लखनऊ में कोर्ट रूम में जीवा की हत्या के बाद 18 साल पहले हुई घटना जौनपुर के लोगों के जेहन में ताजा हो गई। 26 जुलाई, 2005 को जफराबाद में दिनदहाड़़े चार बदमाशों और पुलिस टीम के बीच हुई मुठभेड़ में दो बदमाश मारे गए और दो बच निकले थे। मारे गए बदमाशों में एक की शिनाख्त लखनऊ के मलिहाबाद निवासी विजय बहादुर सिंह के रूप में हुई थी। दूसरे को पुलिस करीब पखवाड़े तक संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा बताती रही। बाद में उसके जीवित होने की पुष्टि हुई तो पता चला कि जो दो बदमाश मुठभेड़ में बचकर भाग निकले, उनमें से एक जीवा था। उधर, मुठभेड़ में जो दूसरा अपराधी मारा गया, कई वर्षों तक पक्के तौर पर उसकी पहचान नहीं हुई तो पुलिस ने फाइल ही बंद कर दी.
गोलियां चलाते भाग रहे
उस दिन सुबह करीब दस बजे अचानक वायरलेस सेट पर संदेश प्रसारित हुआ कि बदलापुर की तरफ से क्वालिस सवार चार बदमाश अत्याधुनिक हथियारों से गोलियां चलाते जौनपुर की तरफ भाग रहे हैं। बक्शा क्षेत्र में बैरिकेडिंग को उड़ाते और शहर में पालीटेक्निक चौराहे पर गोलियां चलाते बदमाश वाराणसी रोड पर निकल गए। तत्कालीन एसपी अभय कुमार प्रसाद ने कई थानों की पुलिस लेकर बदमाशों का पीछा किया.
हाइवे छोड़ भागे
खुद को घिरता देख बदमाश हाईवे छोड़ हौज गांव से जफराबाद कस्बे की तरफ भागे। यहां गाड़ी खड़ी कर दो-दो की संख्या में अलग-अलग दिशा में भागने लगे। दो बदमाश भागते हुए शाहबड़ेपुर गांव के पास पहुंचे। पुलिस से घिरे बदमाशों ने लौटू राम यादव के घर में घुस गए और उनकी बेटी चंदा देवी को पिस्टल सटाकर बंधक बना लिया। अंदर से लड़की को गोली मार देने की धमकी देने लगे।
हत्या करने आए थे
पुलिस ने बदमाशों को गच्चा देकर चंदा को सुरक्षित निकाल लिया। इसके बाद देर तक चली मुठभेड़ में दोनों बदमाशों को ढेर कर दिया। शाम को एसपी ने पत्रकारों को बताया कि चारों बदमाश मुख्तार अंसारी के कहने पर एक बड़े नेता की हत्या की साजिश को अंजाम देने बनारस जा रहे थे। मारे गए दोनों बदमाशों में एक संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा भी था, जो मुख्तार अंसारी का शूटर था। पुलिस करीब पखवाड़े तक जीवा के मारे जाने का दावा करती रही, लेकिन जीवा यहां से बचकर भाग निकला था.
अजय ने दिखाई थी बहादुरी
बदमाशों के कस्बा की तरफ भागने की खबर लगने पर अदम्य साहस दिखाते हुए कस्बा निवासी अजय श्रीवास्तव ने अपनी लाइसेंसी बंदूक लेकर पुलिस के आने से पहले ललकारते हुए बदमाशों को घेर लिया था। उस दिन उनकी बहादुरी देख नगर पंचायत वासियों ने अजय श्रीवास्तव हीरो की तरह कंधे पर उठाकर कस्बा में भ्रमण कराया था.