वाराणसी (ब्यूरो)। सर्वे के दौरान शहर व ग्रामीण इलाकों में सैंपल के तौर पर अलग-अलग स्थानों पर चुनिंदा घरों में जाकर सवाल पूछे गए। सर्वे की टीम ने हाल ही में वाराणसी में 20 से 24 साल की विवाहिताओं व 23 से 25 साल के शादीशुदा लड़कों पर सर्वेक्षण किया था। इस दौरान उनसे पूछा गया कि उनकी शादी किस उम्र में हुई है।
कुप्रथा की शिकार हो रहीं
सर्वे के दौरान वाराणसी में हर 100 में से 15 लड़कियों ने बताया कि उनकी शादी 18 साल की उम्र से पहले ही कर दी गई। किसी ने शादी की उम्र 16 साल बताई तो किसी ने 15 साल। यानी हर साल जनपद में लाखों लड़कियों की शादी होती हैं, जिनमें से हजारों लड़कियां इस कुप्रथा की शिकार हो रही हैं। इसी तरह 100 में से 23 लड़कों ने बताया कि उनकी शादी 21 साल की उम्र से पहले ही कर दी गई।
शिकायत पर तुरंत एक्शन
विभागीय अधिकारी दावा कर रहे हैं कि बेटियों को इस तरह की कुप्रथाओं से बचाने के लिए वन स्टॉप सेंटर और महिला शक्ति केंद्र संचालित किए जा रहे हैं, जिनमें बाल विवाह समेत बेटियों से जुड़ी किसी भी तरह की शिकायत मिलते ही तुरंत जांच कर कार्रवाई की जाती है और समस्याओं का समाधान किया जाता है। साथ ही इन कुप्रथाओं के बारे में जागरूक किया जाता है। लेकिन बावजूद इसके सौ में से आठ बेटियां बाल विवाह की शिकार हो रही हैं।
समिति हुई फेल
शासन के आदेश पर जिला प्रशासन और संबंधित विभागों द्वारा जिला और ग्राम पंचायत स्तर पर महिला और बाल संरक्षण समितियां गठित की गई हैं, जिनकी जिम्मेदीरी भी बाल विवाह जैसी कुप्रथा को रोकना है। बावजूद इसके जिले में बाल विवाह पर पूरी तरह रोक नहीं लग सकी। वहीं, आंगनबाड़ी और आशाओं को भी यह जिम्मेदारी दी गई थी कि वह अपने आस-पास होने वाली शादियों में यह देखें कि जिसकी शादी हो रही है वह 18 साल की उम्र पूरी कर चुकी हैं। अगर लड़की नाबालिग है तो इसकी जानकारी विभाग को दें।
आंकड़े कम होने का दावा
विभागीय अधिकारी ये कहकर खुशी मना रहे हैं कि साल 2015-16 से पहले इससे ज्यादा नाबालिक लड़कियों की शादी कराई जाती थी, जिसमें अब सुधार आया है। लेकिन लोगों का सवाल यही है कि सरकार योजनाओं और कार्यक्रमों पर करोड़ों रुपये खर्च करती है, बावजूद इसके विभागीय अधिकारी बाल विवाह नहीं रोक पा रहे हैं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़ों के अनुसार पांच साल पहले 100 में से 21 लड़कियों की शादी बालिग होने से पहले करा दी जाती थी और अब भी 15 लड़कियां इसकी शिकार हो रही हैं।
बालिग होने से पहले बेटियों की शादी करने जैसी कुप्रथा आज भी जीवित है, जो बेहद खतरनाक है। इसका मुख्य कारण शिक्षा का अभाव है। जो लड़कियां पढ़ाई करती हैं, उनकी शादी 24 से 25 साल की उम्र से पहले नहीं होती। इसके अलावा सोशल जानकारी और आर्थिक स्थिति कमजोर होना भी इसका कारण हैं।
-डॉ। संजय गुप्ता, मनोविशेषज्ञ
शिक्षा और जागरूकता अभाव होने के कारण नाबालिग लड़कियों की शादी कर दी जाती है। इसके लिए समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। पांच साल पहले के मुकाबले बाल विवाह में कमी आई है।
-प्रवीण त्रिपाठी, महिला एवं बाल कल्याण अधिकारी
वाराणसी की सर्वे रिपोर्ट
20-24 वर्ष की महिलाओं की शादी 18 वर्ष की आयु से पहले प्रतिशत
शहर 9.6
गांव 17.9
टोटल 15.8
15-16 में 21.1
25-29 वर्ष की आयु के पुरुष 21 वर्ष की आयु से पहले विवाहित प्रतिशत
शहर 17.1
गांव 25.4
टोटल 23.0
15-16 में 28.7
कुल प्रजनन दर (प्रति महिला बच्चे)
शहर 1.9
गांव 2.5
टोटल 2.4
15-16 में 2.7
15-19 वर्ष की आयु की महिलाएं जो सर्वेक्षण के समय पहले से ही मां या गर्भवती थीं प्रतिशत
शहर 1.5
गांव 3.3
टोटल 2.9
15-16 में 3.8
15-19 वर्ष की आयु की महिलाओं के लिए किशोर प्रजनन दर
शहर 14
गांव 24
टोटल 22
15-16 में 28