वाराणसी (ब्यूरो)। दवा के कारोबार में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव यानी एमआर की भूमिका अभी तक महत्वपूर्ण मानी जाती रही है, लेकिन 7.5 करोड़ की पकड़ी गई नकली दवा के कारोबार में एक और नाम सामने आया है जिसने डिपार्टमेंट को हैरान कर दिया है। जी हां, नकली दवा के काले कारोबार में डिलेवरी मैन ने विलेन की भूमिका निभाई है। इन्हीं डिलेवरी मैन के माध्यम से दवा की सप्लाई पूरे पूर्वांचल में होती थी। डिपार्टमेंट ने इसकी जांच की तो अब तक करीब 15 डिलेवरी मैन के नाम सामने हैं और कईयों की तलाश जारी है.
बोरियों में भरकर करते थे सप्लाई
आम पब्लिक की जान के दुश्मन बने नकली दवा के काले कारोबार में सिर्फ कारोबारी ही नहीं बल्कि डिलेवरी मैन की भी मुख्य भूमिका संदिग्ध है। कारोबारी डिलेवरी मैन के माध्यम से नकली दवाओं की सप्लाई जौनपुर, गाजीपुर, भदोही, बलिया, सोनभद्र समेत कई जिलों में करवाता था। कई मेडिकल स्टोर्स पर डिलेवरी मैन झोले में ही नकली दवा भरकर ले जाते और पहुंचाने के बाद दूसरे जिले में चले जाते थे ताकि किसी को शक न हो.
झोलाछाप डाक्टर भी शामिल
इन डिलेवरी मैन ने ग्रामीण अंचल के कई झोलाछाप डाक्टरों को भी सेट कर रखे थे। अच्छी मार्जिन और सस्ता होने के कारण झोला छाप नकली दवा ही मरीजों को लिखते थे। इनके यहां इन दवाईयों की खपत बड़े पैमाने पर थी। डिलेवरी मैन प्रतिदिन झोला और बोरियों में भरकर दवा ले जाते थे। पैसे कमाने के चक्कर में दवा इतना अधिक लिखते थे कि सुबह मंगाया हुआ दवा शाम तक खत्म हो जाता था। इसके बाद फिर दूसरे दिन के लिए आर्डर देते थे.
जांच में हुआ खुलासा
ड्रग डिपार्टमेंट की टीम ने नकली दवा के काले कारोबार से जुड़े लोगों की पड़ताल करना शुरू की तो इनमें कई डिलेवरी मैन के नाम सामने आए। जांच में करीब 15 डिलेवरी मैन के नाम और पता चला गया हैं। बाकी का नाम और पता सर्विलांस पर दिया गया हैं। इसकी जांच में पुलिस के साथ डिपार्टमेंट की टीम भी लगी हुई हैं.
मेडिकल स्टोर से लेकर स्टाकिस्ट पर नजर
ड्रग डिपार्टमेंट के अफसरों की मानें तो नकली दवा की सप्लाई कहां-कहां होती थी इसकी जांच शुरू कर दी हैं। भदोही और जौनपुर में कई मेडिकल स्टोर्स मिले हैं जिनके यहां नकली दवा मिली हैं। इसके अलावा इनके स्टाकिस्ट की भी तलाश जारी हैं। जल्द ही वह भी डिपार्टमेंर्ट के शिकंजे में होगा.
एक ही बैच नंबर की मिली दवा
डिपार्टमेंट की टीम ने शहर से लेकर ग्रामीण अंचल तक कई मेडिकल स्टोर्स की जांच की तो एक ही बैच नंबर की करीब 24 दवा उनके यहां मिली। विभाग के अफसरों की मानें तो जो दवा कंपनी तैयार करती थी वहीं बैच नंबर की दवा नकली तैयार की गयी थी। डिपार्टमेंट ने इनके लाइसेंस निरस्त कर दिया है.
असली में मिलाकर बेचते थे नकली दवा
हॉकरों द्वारा पहुंचाएं गए दवा को मेडिकल स्टोर्स संचालक असली दवा में मिलाकर नकली दवा को बेचते थे। इसके अलावा ग्रामीण अंचल के अलावा शहर में झोला छापा डाक्टरों के यहां भी मेडिकल स्टोर्स पर नकली दवा को असली दवा में मिक्स कर बेचने का सिलसिला काफी वर्षो से चल रहा था। इसमें मेडिकल स्टोर्स हो या फिर झोला छाप डाक्टर्स सभी को मुनाफा अधिक मिलता था। 10 रुपए की दवा 50 से 60 रुपए में बेचकर मुनाफा कमाते थे.
सेम बैच नंबर की दवा कई मेडिकल स्टोर्स से मिली हैं। इसकी जांच चल रही हैं। दवा के सेक्टर में एमआर तो थे ही लेकिन अब डिलेवरी मैन भी इस सेक्टर में मुख्य भूमिका में उतर आए हैं। दवा कारोबारी इन्हीं हॉकरों के माध्यम से शहर और पूर्वाचल के जिलों में दवा की सप्लाई कराते थे। अब तक करीब 15 डिलेवरी मैन के नाम पता चल गए हैं.
अमित कुमार बंसल, डीआई