वाराणसी (ब्यूरो)। भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो। अजय कुमार सूद ने युवाओं का आह्वान किया कि वे अपने ज्ञान व क्षमताओं का विस्तार करते हुए सामाजिक विकास में योगदान दें। स्वतंत्रता भवन में आयोजित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के 103वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए चीफ गेस्ट प्रो। सूद ने कहा कि बीएचयू को उभरती प्रौद्योगिकियों के संदर्भ में आगे बढ़कर अपनी भूमिका निभानी चाहिए। आज विश्व प्रशंसा व ऐसी अपेक्षाओं की नजर से भारत को देख रहा है कि वह स्वच्छ ऊर्जा, जल समाधानों, स्वच्छ पर्यावरण, तथा सतत विकास जैसे वैश्विक विषयों के समाधान के लिए योगदान देगा।
नवाचार को बढ़ावा दें
उन्होंने कहा कि भारत को इस बात का एहसास है कि उसे डिजिटल प्रौद्योगिकी एवं समकालीन महत्व के क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप स्तर बनाना है और इसी के मद्देनजऱ भारत सरकार ने साईबर फिजिकल सिस्टम, सेमिकंडक्टर्स एवं कृत्रिम बौद्धिकता के लिए राष्ट्रीय मिशन आरंभ किए हैं।
बीएचयू को गौरवान्वित करें
कुलपति प्रो। सुधीर कुमार जैन ने कहा कि बीएचयू को अपनी शैक्षणिक विरासत तथा पारंपरिक ज्ञान व्यवस्था के आधुनिक शिक्षा के साथ मेल के लिए जाना जाता है। विश्वविद्यालय के मूल्य सामाजिक जि़म्मेदारियों, समग्रता, तथा शिक्षा, अनुसंधान, व सामुदायिक सक्रियता के ज़रिये देश के विकास में योगदान हेतु प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं। विश्वविद्यालय में शैक्षणिक योग्यता प्राप्त करके तथा ईमानदारी, करुणा तथा सत्यनिष्ठा जैसे मूल्य विकसित करने के पश्चात आज विद्यार्थी जीवन के एक नए दौर में प्रवेश कर रहे हैं, जहां वे नई शुरूआत कर सकेंगे। उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे उत्कृष्टता के प्रति उत्साह व वंचितों के प्रति करुणा के साथ आगे बढ़ें व अपने माता पिता एवं बीएचयू को गौरवान्वित करें।
28 मेधावियों को 32 मेडल
दीक्षांत समारोह में पंडित मदन मोहन मालवीय के पौत्र और विश्वविद्यालय के चांसलर जस्टिस डॉ। गिरिधर मालवीय और उनकी पत्नी कांता मालवीय व्हील चेयर से पहुंचे। डॉ। गिरिधर मालवीय चार साल से बीमार चल रहे हैं। अस्वस्थता के बाद भी वे छह साल बाद के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए। उन्होंने 28 मेधावियों को 32 मेडल दिए। इसमें 67 प्रतिशत गोल्ड मेडल्स छात्राओं के नाम हैं। यानी कि 32 गोल्ड मेडल में से 22 मेडल बेटियों के नाम हैं। 28 गोल्ड मेडलिस्टों में से 19 छात्राएं हैं। इनमें कुलाधिपति पदक, स्वर्गीय महाराजा विभूति नारायण सिंह स्वर्ण पदक तथा बीएचयू पदक शामिल थे। तीन गोल्ड मेडल पाने वाली छात्रा सुश्री ने कहा, वह आगे चलकर सितार वादिका बनना चाहती है। तीन मेडल पाने वाली भद्रा प्रिया ने कहा कि बांसुरी वादक बनना है।
14600 को दी जाएगी उपाधि
शनिवार से अगले 3 दिन तक 140 से ज्यादा विभागों के कुल 14,600 छात्र और छात्राओं को उपाधियां दी जाएंगी। वहीं, कुल 539 मेडल और प्राइज दिए जाएंगे। इसके अलावा बीएचययू का सबसे प्रतिष्ठित गोल्ड मेडल चांसलर, राजा विभूति नारायण सिंह और यूनिवर्सिटी मेडल भी 2 छात्राओं भद्रा प्रिया और सुश्री को ही दिए गए। दीक्षांत समारोह के पहले दिन पीएचडी की 986, एमफिल की 29 और डी लिट की भी 3 उपाधियां दी गई। सभी 16 फैकल्टी अपने हॉल में दीक्षांत समारोह हुई।
कई फैकल्टी में आयोजन
यह दीक्षांत समारोह स्वतंत्रता भवन से लेकर कई फैकल्टी में अलग-अलग रहा। इसमें सबसे ज्यादा डिग्री आर्ट फैकल्टी को 4334, दूसरे पर सोशल साइंस 3598 और तीसरे पर साइंस फैकल्टी 2158 को दी गई। सबसे कम 18 डिग्रियां वेटनरी साइंस में दी गई। डी लिट की डिग्री मेडिसिन, साइंस और आर्ट्स के रिसर्चरों को दी गई। 17 और 18 दिसंबर को यूनिवर्सिटी के बाकी संबद्ध कॉलेजों और फैकल्टीज के दीक्षांत समारोह होंगे.
विद्यार्थियों ने ली प्रतिज्ञा
मुख्य समारोह की अध्यक्षता कुलाधिपति न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय जी ने की। उन्होंने उपाधि प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों को प्रतिज्ञा दिलाई। कुलसचिव प्रो। अरुण कुमार सिंह ने उपाधि व पदक प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों की घोषणा की। कुलगुरू प्रो। वी। के। शुक्ला ने मुख्य अतिथि का परिचय प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के आरंभ में प्रो। पतंजलि मिश्र ने मंगलाचरण किया। प्रो। पद्मिनी रविन्द्रनाथ ने संचालन किया। समारोह का समापन कुलसचिव प्रो। अरुण कुमार सिंह द्वारा धन्यवाद संबोधन से हुआ।
डीन से नहीं लूंगा डिग्री
दीक्षांत समारोह में एमफिल के छात्र आशीर्वाद दुबे ने अपनी डिग्री लेने से इनकार कर दिया। मंच पर पहुंचते ही उसने कहा कि वह सामाजिक विज्ञान संकाय प्रमुख प्रो। बिंदा परांजपे के हाथों डिग्री नहीं लेगा। आशीर्वाद ने कहा, मैं किसी कर्मचारी से डिग्री लेना पसंद करूंगा लेकिन डीन से नहीं। डीन की नीयत हमेशा से ही छात्र विरोधी रही है, जो मुझे परीक्षा देने से वंचित कर सकता है। मेरे रिजल्ट पर रोक लगा सकता है। उसी हाथ से डिग्री लेना मैं उचित नहीं समझता हूं.