वाराणसी (ब्यूरो)। संत शिरोमणि श्री गुरु रविदास की 646वीं जयंती पर रविवार को उनकी जन्मस्थली सीर गोवर्धनपुर में श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। भोर से ही भक्तों की जो कतार मंदिर की ओर चली तो देर रात तक यह क्रम नहीं टूटा। Óसंत रविदास शक्ति अमर रहेÓ Óजय गुरुदेव-धन गुरुदेवÓ के उद्घोष से पूरा क्षेत्र गूंजता रहा। नाचते-गाते श्रद्धालुओं का समूह पूरे दिन पहुंचता रहा और मंदिर के दोनों ओर एक किलोमीटर से अधिक लंबी कतारों में लगे श्रद्धालु फूलों की टोकरी ले अपनी बारी की प्रतीक्षा करते रहे।
जयंती समारोह के दिन सुबह सबसे पहले रविदासिया धर्म प्रमुख व मंदिर के मुख्य ट्रस्टी संत निरंजन दास सुरक्षा व्यवस्था के बीच नगवा स्थित संत रविदास पार्क में पहुंचे। वहां संत रविदास की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद मंदिर परिसर में बने रविदासिया धर्म के 120 फीट ऊंचे हरि निशान युक्त ध्वज को फहराया। इस दौरान मंदिर और आसपास की छतों पर चढ़कर श्रद्धालुओं ने संत निरंजन दास पर पुष्पवर्षा कर उनका अभिनंदन किया। इसके बाद मंदिर में चल रहे रविदास अमृतवाणी पाठ भोग लगाकर संपन्न हुआ। संत निरंजन दास ने संत रविदास की आरती उतारने और पूजन के बाद मंदिर में बैठकर श्रद्धालुओं को दर्शन दिया।
सत्संग पंडाल में भजन की धुन पर खूब बरसा दान
जयंती के अवसर पर देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं और कलाकारों ने विशाल सत्संग पंडाल में भजन-कीर्तन किया और सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा प्रवचन पूरे दिन चलते रहे। मंच संचालन कर रहे रविदासिया धर्म के उपाध्यक्ष और संत मनदीप दास ने Óचलो बनारस साधु संगत जी एक इतिहास रचाना है, गुरु रविदास के मंदिर को सोने से मढ़ाना हैÓ पर श्रद्धालुओं ने दान की वर्षा कर दी। सत्संग पंडाल में संत निरंजन दास, संत मनदीप दास, संत परगट नाथ, संत लेखराज, संत प्रीतमदास, संत सुमित्र दास, संत धनपत दास, संत रोशनी दास आदि काफी संख्या में संत रहे.
लंगर और और दर्शन के लिए लगी रहीं कतारें
देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु संत शिरोमणि के दर्शन के लिए भोर से ही कतार लगाए रहे। दर्शन पूजन का सिलसिला देर शाम तक अनवरत चलता रहा। लंगर के लिए दिन-रात कतारें लगी रहीं। संत की जन्मस्थली पर आने वाले भक्त सेवादार के रूप में सफाई से लेकर सुरक्षा और अन्य व्यवस्था में लगे रहे। मेले में स्टाल लगाकर कहीं संत रविदास की अमृतवाणी तो कहीं संत रामानंद पर लिखी ÓसुखसागरÓ पुस्तक बांटी जा रही थी। मेले में लोग खरीदारी और सेल्फी लेते नजर आ रहे थे.
हालैंड की दो बहनें कई देशों में कर रहीं धर्म प्रचार
संत की जन्मस्थली पर पिछले पांच वर्षों से आ रही हालैंड की दो बहनें चरन और हरप्रीत संत रविदास की वाणी और रविदासिया धर्म का कई देशों में प्रचार प्रसार कर रही हैं। इनकी मां किरन ने बताया कि वह 14 वर्ष से लगातार हर वर्ष जयंती पर यहां आती हैं.
चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के चांसलर, भीम आर्मी प्रमुख भी पहुंचे
ट्रस्टी सतपाल विर्दी ने बताया कि प्रधानमंत्री के निर्देश पर चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के चांसलर सतनाम ङ्क्षसह संधू भी आए थे, जिन्होंने मंच पर संत निरंजन दास से मिलकर उनका आशीर्वाद लिया। दोपहर में भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर ने भी मंदिर पहुंचकर मत्था टेका और सत्संग पंडाल में मंच पर पहुंचकर संत निरंजन दास का आशीर्वाद लिया.