VARANSI : वाणिज्य कर में वैट अवधि के कर निर्धारण वादों के निस्तारण की अवधि को लेकर व्यापारियों की टेंशन बढ़ गई है। इन वादों के निस्तारण के लिए 31 मार्च अंतिम तारीख है। हालांकि होली पर्व और अन्य सरकारी अवकाश के चलते तिथि बढ़ने की संभावना है। अगर कर निर्धारण की अवधि बढ़ी तो करीब 12 हजार व्यापारियों को विभाग के एकपक्षीय कार्रवाई से राहत मिल जाएगी। कार्रवाई से बचने के लिए शुक्रवार को व्यापारियों ने एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-वन से वादों के निस्तारण की तिथि बढ़ाने की मांग की।
वैट अवधि के कर निर्धारण के वादों का मामला
प्रदेश में एक जनवरी 2008 में वैट लागू हुआ था। वैट 31 जून 2017 तक प्रभावी रहा। व्यापार कर विभाग में इस अवधि में कर निर्धारण का कार्य वैट की नियमावली से की जाती थी। एक जुलाई 2017 से जीएसटी लागू होने के बाद वैट निष्प्रभावी हो गया था। वैट में करीब 45 हजार व्यापारी पंजीकृत थे। इन व्यापारियों का वर्ष 2017-18 तक केस इस वर्ष होना है। विभाग के सूत्र का कहना है कि अभी 70 से फीसद व्यापारियों ने केस कराए हैं।
निस्तारण न कराने पर क्या होगा
वैट अवधि के कर निर्धारण की अंतिम तारीख 31 मार्च है। नियत अवधि तक अगर कोई व्यापारी वादों का निस्तारण नहीं कराता है। तब विभाग एक पक्षीय आदेश पारित एक्स पार्टी करता है। आदेश के 15 दिन बाद विभाग व्यापारी के पास डिमांड नोटिस भेजता है। जबकि व्यापारी के पास विभागीय कार्रवाई से बचने के लिए एक माह के भीतर धारा 32 के तहत केस खुलवाने का मौका रहता है। विभागीय नियम के मुताबिक अगर व्यापारी एक पक्षीय आदेश के 30 दिन के भीतर केस नहीं खुलवाते हैं तो आदेश के 45 दिन बाद से व्यापारी के खिलाफ वसूली की कार्रवाई शुरू की जाती है।
व्यापारियों ने 30 जून तक मांगा वक्त
वाराणसी व्यापार मंडल का प्रतिनिधिमंडल अजीत सिंह बग्गा के नेतृत्व में एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-वन प्रदीप कुमार से मिला। व्यापारियों ने वैट कर निर्धारण के लिए 30 जून तक समय मांगा है। व्यापारियों का कहना था कि कोरोना संकट के कारण काफी समय तक प्रदेश में लॉकडाउन लगा था। इससे व्यापार जगत को काफी नुकसान हुआ। व्यापारी विभागीय फार्म की औपचारिकता पूरी नहीं कर पाए हैं। वैट के कर निर्धारण के मामले आधे-अधूरे पड़े हैं। अब वादों की सुनवाई की 31 मार्च अंतिम तारीख है। होली के कारण इसी बीच कई सरकारी छुट्टियां पड़ रही है। व्यापारियों पर एक पक्षीय निर्णय देने से बोझ पड़ेगा।