वाराणसी (ब्यूरो)। 11 लाख परमिट टैक्स, दो लाख निगम टैक्स फिर प्राइवेट बसों को अवैध करार दे दिया गया। यह कैसा सिस्टम है। 15 दिनों से गाजीपुर मार्ग पर प्राइवेट बसों का संचालन बंद होने से नाराज बस संचालक ने कहा कि अगर इसका रास्ता नहीं निकाला गया तो सभी बस संचालक होईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.
डग्गामार कहकर बंद किया बस
गाजीपुर मार्ग पर संबंधित विभाग की ओर से अवैध व डग्गामार की बात कहकर बसों को पुलिस लाइन में बंद कर दिए जाने पर निजी बस संचालकों ने नाराजगी जताई है। चौकाघाट बस स्टैंड के पास एकजुट होकर सभी बस संचालकों ने सरकार से गुहार लगाई है कि यदि बसें अवैध हैं तो परमिट क्योंं दिए.
15 दिनों से बसों का संचालन बंद
बस संचालकों ने कहा कि चौकाघाट स्थित वाराणसी-गाजीपुर बस स्टैंड को आशापुर इस बात को कहकर भेज दिया गया कि यहां से बसों के संचालन से जाम लगता है। लगभग 15 दिनों से बसों के संचालन बंद होने से मर्माहत बस संचालकों ने रविवार से पत्रकारों को अपनी पीड़ा बयां की.
40 वर्ष से हो रहा बसों का संचालन
प्राइवेट बस संचालक कल्याण समिति के अध्यक्ष विजय प्रताप सिंह व सचिव जय प्रकाश सिंह ने बताया कि इस मार्ग पर आज से लगभग 40 वर्ष पूर्व से बसों का संचालन किया जा रहा है। सबसे पहले कैंट स्टेशन फिर अंधरापुल इसके बाद चौकाघाट अब आशापुर के लिए बताया जा रहा है.
पार्किंग स्थल को बदला जाए
बस संचालकों ने कहा कि पार्किंग स्थल बदलने का जिला प्रशासन का पूरा अधिकार है लेकिन इसकी भी एक प्रक्रिया है। उच्च न्यायालय की ओर से साफ तौर पर कहा गया कि स्थल को लॉ के अनुसार बदलने की प्रक्रिया अपनायी जाए.
165 बसों का है परमिट
बस संचालकों ने बताया कि इस मार्ग पर 165 बसों का परमिट है। इन सभी से प्रति माह आरटीओ को लगभग 11 लाख रुपये टैक्स दिया जाता है। इतना ही नहीं पार्किंग स्थल को निगम ने वैध रूप करार दे दिया है, जबकि प्रति बस 50 रुपये के हिसाब से लगभग दो लाख रुपये निगम को प्रति माह टैक्स दिया जाता है। इश्योरेंस के बावजूद विभाग की ओर से इसे बसों को अवैध मान लिया गया। बस संचालकों ने कहा कि आने वाले समय में अधिकारियों की ओर से समस्या का समाधान नहीं किया गया तो न्यायालय का शरण लिया जायेगा। इस अवसर पर सुशील कुमार सिंह, राजेश प्रताप सिंह, राजेश कुमार सिंह, खुर्शीद अहमद, मंजीत सिंह सहित अन्य लोग उपस्थित रहे.