वाराणसी (ब्यूरो)असलहों के शौक ने पूर्व विधायक एवं बाहुबली मुख्तार अंसारी को मुश्किल में डाल दिया है। 36 साल पहले डीएम व एसपी के फर्जी हस्ताक्षर का दस्तावेज देकर डबल बैरल बंदूक का लाइसेंस लिया थाइस मामले में कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास और दो लाख दो हजार रुपए का जुर्माना लगायामुख्तार अंसारी की तरह बनारस में असलहों के शौकीन लोगों की संख्या बहुत हैजिले में कुल 10,761 शस्त्र लाइसेंस हैं, जिसमें चौबेपुर थाना क्षेत्र 1400 से अधिक शस्त्र लाइसेंस के साथ सबसे आगे हैदूसरे नंबर पर 1245 शस्त्र लाइसेंस के साथ बड़ागांव थाना और तीसरे नंबर पर रोहनियां हैइसके साथ ही कुछ लाइसेंसीधारी हैं, जिन्होंने कई जिलों से शस्त्र लाइसेंस लिए हैंजिला प्रशासन की सख्ती के बावजूद शस्त्र लाइसेंस लेने की होड़ हैसबसे ज्यादा आवेदन चौबेपुर और बड़ागांव थाना क्षेत्र से आते हैंएक अनुमान के तहत हर दिन छह से सात आवेदन आते हैं, जिसमें अधिकतर युवा ही होते हैं

जांच होती तो कई और नाम सामने आते

बाहुबली मुख्तार अंसारी के करीबी भाई मेराज ने फर्जी दस्तावेजों पर शस्त्रों का नवीनीकरण कराया थाइस मामले में थाना जैतपुरा पुलिस ने गैंगेस्टर की कार्रवाई की थीइसके बाद चित्रकूट जेल भेज दिया गया, जहां भाई मेराज की हत्या कर दी गई थीजब मेराज द्वारा फर्जी दस्तावेजों के जरिए शस्त्रों का नवीनीकरण कराने का मामला सामने आया था तो सभी शस्त्र लाइसेंस के दस्तावेजों की जांच कराने की बात कही गई थी, लेकिन किन्हीं कारण यह नहीं हुआअगर जांच होती तो मुख्तार और मेराज की तरह कई और मामले भी सामने आ सकते थे.

80 परसेंट युवाओं में असलहा रखने का क्रेज

स्टेटस सिंबल बन चुके असलहे का लाइसेंस बनवाने के लिए होड़ सी मची हैइसे लेकर पिछले चार साल में 5360 आवेदन किए गएइसमें 80 फीसदी आवेदन 35 साल से कम उम्र के लोगों ने कियायानी युवाओं में असलहा रखने का क्रेज बढ़ गया हैयुवाओं की पसंद पिस्टल और रिवॉल्वर ज्यादा हैखास बात यह है कि आधी आबादी भी असलहा रखने के शौकीनों में पीछे नहीं हैमहिलाओं ने भी असलहे के लिए आवेदन किया है

इन थानों में सर्वाधिक शस्त्र लाइसेंस

चौबेपुर

बड़ागांव

रोहनियां

फैक्ट एंड फीगर

5360 आवेदन पिछले चार साल में शस्त्र लाइसेंस के आए

35 साल से कम उम्र के लोगों के 80 फीसदी आवेदन

वरासत पर जोर

बता दें, बीते दिनों शासन से तीन शस्त्र लाइसेंसधारियों के लिए एक शस्त्र सरेंडर करने का आदेश होते ही उनमें खलबली मच गई थीलाइसेंसधारी शस्त्र लाइसेंस सरेंडर करने की बजाय अपने परिवार के किसी सदस्य के नाम वरासत कराने पर ज्यादा जोर दे रहे थेबड़ी संख्या में लोगों ने जिलाधिकारी कार्यालय में शस्त्र लाइसेंस का वरासत कराने के लिए आवेदन भी किया है.