मेरठ (ब्यूरो)। योग ही हमें धर्म का बोध कराता है और धर्म की केवल एक ही परिभाषा है, ईमानदारी से काम करना। सबसे बड़ा धर्म यही है। योग करने से हमारी विचारधारा पवित्र होती है। यह बात सीसीएसयू एवं क्रीड़ा भारती के संयुक्त तत्वधान में कैंपस के खेल मैदान में चल रहे सात दिवसीय योग शिविर के चौथे दिन स्वामी कर्मवीर जी महाराज ने कही।
सभी को योग करना चाहिए
स्वामी कर्मवीर जी महाराज ने कहा कि कोई भी कार्य ऐसा नहीं करना चाहिए, जिससे अधर्म हो क्योंकि इसी जीवन में ही उसका फल भुगतना पड़ता है। परमात्मा हर इंसान में है लेकिन उसे योग रूपी साधना करनी पड़ती है, जिससे परमात्मा का एहसास होता है। योग करने से कोई भी व्यक्ति अनैतिक मार्ग पर नहीं जाएगा और यदि हर व्यक्ति नैतिक हो जाएगा तो देश में राम राज्य आ जाएगा। योग करने से आत्मा से संबंध स्थापित होता है यहीं से धर्म स्थापित होता है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक शिक्षक और विद्यार्थी को योग करना चाहिए। यदि शिक्षक और विद्यार्थी योग करेंगे तो देश अच्छे लोगों से परिपूर्ण हो जाएगा। प्रत्येक व्यक्ति ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारी को निभाएगा।
मूली-गाजर खाने की सलाह
रविवार को स्वामी कर्मवीर जी महाराज ने मंडूकासन, बटरफ्लाई, पवनमुक्तासन, ताड़ासन, वीरभद्रासन आदि प्राणायाम का अभ्यास कराया। उन्होंने नेत्र ज्योति बढ़ाने के लिए मूली और गाजर खाने की सलाह दी। इसके अलावा स्वामी कर्मवीर जी महाराज से योग करने आए साधकों ने स्वास्थ्य संबंधी प्रश्न भी पूछे। स्वामी कर्मवीर जी महाराज ने नाभि डिगने पर कौन सा आसन करना चाहिए कैल्शियम की कमी होने पर आयुर्वेद में कौन सा उपचार है, ऐसे सभी सवालों का उत्तर दिया।
ये रहे मौजूद
इस दौरान सीसीएसयू की कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला, प्रोफेसर मृदुल गुप्ता, प्रोफेसर वीरपाल सिंह, प्रोफेसर अशोक कुमार चौबे, प्रोफेसर आलोक कुमार, प्रोफेसर दिनेश कुमार, ओमपाल, डॉ। धर्मेंद्र, इंजीनियर मनीष मिश्रा, सत्यम, ईशा पटेल, अमरपाल, नवज्योति, राजन कुमार और रामानंद आदि मौजूद रहे।